सिर्फ कागजों में ही मिशन शक्ति, ऑपरेशन वीरांगना
कानपुर (ब्यूरो) छेड़छाड़ की पीडि़ता शिकायत लेकर थाने तक जाती हैैं और उनकी शिकायत सुनी भी जाती है। इसके बाद पीडि़ता करती है मनचले के पकड़े जाने का इंतजार। इस दौरान मनचला उसके सामने से ही कई बार निकल जाता है। अपनी शिकायत पर कोई कार्रवाई न होती देख पीडि़ता या तो डिप्रेशन में चली जाती है या घर से निकलना बंद कर देती है। इस बात को लेकर पीडि़ताओं का मानना है कि इन मामलों में सुुविधा शुल्क न मिलने की वजह से पुलिस एक्टिव नहीं होती है। जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है।
शुरू किया गया मोटिवेशन सेंटर
महिलाओं के लगातार डिप्रेशन में आकर सुसाइड के मामले बढ़ते गए। हालात ये हैैं कि शहर में एवरेज एक दिन में तीन सुसाइड के मामले आने लगे। यानी एक महीने में सैकड़ा पार। इस आंकड़े को देख पुलिस विभाग की आंखे खुली तो इस पर मंथन किया गया। जिसके बाद थानों में मोटिवेशन सेंटर शुरू किये गए। पुलिस कमिश्नर असीम अरुण के आदेश के बाद मोटिवेशनल सेंटर खोले तो खूब जोर शोर से थे, लेकिन समय बीतने के साथ ही सुविधा न मिलने पर पीडि़ताओं ने आना बंद कर दिया। कमिश्नरेट की ये योजना भी फ्लॉप हो गई।
पुलिस का टालू रवैया रहता
थाना पुलिस शिकायतों को लेकर रख तो लेती है, लेकिन इनके निस्तारण न होने की वजह से मनचलों का दुस्साहस लगातार बढ़ता जा रहा है। शहर में दर्जनों मामले ऐसे हुए हैैं, जिनमें थाना पुलिस की वजह से पहले सीनियर ऑफिसर्स का सिर नीचा हुआ है, बाद में सरकार की फजीहत भी हुई।