मत्स्य विभाग मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद अटल घाट पर गंगा में मछलियां छोडऩे आए थे लेकिन कई मरी मछलियां निकलने पर मामले ने तूल पकड़ लिया. सोशल मीडिया पर फोटो विडियो वायरल होने पर मंत्री को सफाई देनी पड़ गई. कहा कि मछलियों के स्थान बदलने पर लगभग दस प्रतिशत तक मछली मर जाती हैं. जिस कारण कुछ मछलियां मर गई थी.

कानपुर (ब्यूरो) फ्राईडे को मत्स्य मंत्री डॉ। संजय कुमार निषाद गंगा में 80 से 100 मिली मीटर की 40 हजार रोहू और नैन कतला मछलियां डालवाईं। यह मछली राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिक शोध केंद्र, लखनऊ से 313 पैकेट में लाई गई। जब मंत्री मछलियों को गंगा में डालने लगे तो उसमें कई मछलियां मरी निकलीं। उन्होंने बताया कि सितंबर तक दो लाख मछलियों को डालने का लक्ष्य था।

गंगा की तलहटी होगी साफ
डॉ। निषाद ने बताया की रोहू और नैन कतला मछलियां गंगा की तलहटी को साफ कर निर्मल बनाती हैं। नदी में जो गैसें आदि कचरे में दबी होती है उन्हें नष्ट भी करती हैं। जून,जुलाई और अगस्त में मछलियों का ब्रीङ्क्षडग सीजन होता है। अब सितंबर में और मछलियां डाली जाएंगी, जो एक साल बाद बच्चे देंगी। गंगा में बिठूर से प्रयागराज तक मछली पकडऩे पर रोक है।

बीमा नहीं तो होगी कार्रवाई
इस दौरान पांच लाख की धनराशि की दुर्घटना बीमा योजना के बारे में जानकारी दी गई। अब तक 1084 लोगों का बीमा कराया जा चुका है। इस मौके पर उपनिदेशक मत्स्य डॉ। नूरुल हक, सहायक निदेशक मत्स्य एनके अग्रवाल, नमामि गंगे के सचिव, प्रभागी वन अधिकारी मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive