स्क्रैप से ऐसे जानवर बनाए मानों बोल पड़ेंगे
कानपुर (ब्यूरो) स्टूडेंट्स ने यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम, प्रशासनिक भवन समेत कई बिल्डिंग के रिनोवेशन के समय वहां से निकलने वाले स्क्रैप को इक_ा किया। यूनिवर्सिटी में कंडम हो चुकी गाडि़य़ों के टायर, स्टीयरिंग, चैन, स्पॉकेट लिए गए। इसके अलावा टूटा फर्नीचर, खिड़कियां, दरवाजे, शीशे, सरिया, वायरिंग पाइप, वॉटर पाइप, टिन के डिब्बे और डीजल वाहनों के फिल्टर आदि को भी एक जगह पर लाया गया। उसके बाद इन्हीं चीजों को अपनी कला से तरह-तरह की ऐसी आकृतियां बनाई जो देखने में लग रही कि अभी बोल पड़ेगी।
हाथी, जिराफ, टैंक और डिजिटलमैन
स्कूल आफ विजुअल एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स के बाहर लगभग 15 फीट ऊंचाई का स्क्रैप से बना हुआ हाथी सभी को अपनी ओर अट्रैक्ट करता है। हाथी के अंदर आठ लोगों के बैठने की जगह है। हाथी के ऊपर एक महावत और चार स्टूडेंट से बैठे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर एक डिजिटलमैन खड़ा हुआ है, जिसके सिर पर कंप्यूटर का मॉनिटर है। यह डिजिटलमैन पुराने कलाकारों की तरह आर्ट बना रहा है, लेकिन चेहरे की जगह लगा मॉनिटर उसको आज का मॉडल कलाकार बनाता है। वहीं दूसरे मैदान में ओर सरियों, चैन और स्पॉकेट से करीब 10 फीट ऊंचा जिराफ भी स्टूडेंट्स ने बनाया है। यूनिवर्सिटी के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट से निकलने वाले गाडिय़ों के स्क्रैप से बना सेना का टैंक भी किसी से कम नहीं है।
स्क्रैप से बना तेंदुआ, मगरमच्छ डरा रहा
स्टूडेंट्स ने स्क्रैप से जानवरों की आकृतियों को भी बनाया है। जिसमें पेड़ पर चढ़ा तेंदुआ, जमीन पर रेंगता मगरमच्छ, अजगर और डिपार्टमेंट के सामने बैठा जर्मन शेफर्ड कुत्ता भी हुबहू असली जानवरों की तरह अपने होने का एहसास कराते हैं.यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर स्क्रैप से बना सामान और यहां के स्टूडेंट की आर्ट डिस्प्ले और सेल के लिए अवेलेबल है। आप निर्धारित दाम देकर उसको खरीद भी सकते हैं।
यूनिवर्सिटी की ब्यूटी बढ़ रही
स्क्रैप से जहां एक ओर यूनिवर्सिटी की ब्यूटी बढ़ रही है। वहीं दूसरी ओर यूज में आने की वजह से स्क्रैैप ने यूनिवर्सिटी के किसी स्पेस को नहीं घेर रखा है। स्क्रैप से बनी यह आकृतियां यह संदेश भी देती है कि कोई भी चीज वेस्ट नहीं होती। यह न्यूज पढऩे के बाद यदि आपको भी इन स्ट्रक्चर्स को देखने की इच्छा है तो सीएसजेएम यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ विजुअल एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स में जाकर इन चीजों को देख सकते हैं। हालांकि किसी भी चीज को छूना सख्त मना है।
&& एमएफए कोर्स में एक पार्ट होता है इस स्क्रैप वर्क उसी के अंतर्गत यह काम आता है। 2019 में गिटार बनाने से इस काम की शुरुआत हुई थी। लोगों को यह चीजें पसंद आने लगी तो हमने आगे भी काम किया है। एक स्टक्चर को बनाने में मिनिमम चार और मैक्सिमम 45 दिन लगे हैं। आने वाले दिनों में स्टूडेंट्स के बनाए कई अन्य स्ट्रक्चर भी यहां नजर आएंगे.&य&य
डॉ बीएस कटियार, एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ़ विजुअल एंड परफॉर्मिंग आर्ट
प्रोफेसर विनय कुमार पाठक, वीसी सीएसजेएमयू