पुलिस चौकियों में ताले, सुरक्षा किसके हवाले
- शहर की ज्यादातर चौकियों में बंद रहता है ताला, फरियादी होते हैं परेशान, थाने में नहीं होती सुनवाई
-आए दिन सनसनीखेज वारदातों वाले एरिया में भी चौकियां बनीं शोपीस, पर्याप्त स्टाफ भी नहीं किसी चौकी में >kanpur@inext.co.inKANPUR : किसी भी वारदात की शिकायत करने या किसी मुश्किल में फरियादियों के लिए सबसे आसान इलाके की पुलिस चौकी में पहुंचना होता है। पीडि़त को आसानी से और जल्दी से राहत मिले इसके लिए हर इलाके में पुलिस चौकी बनाई गई है। लेकिन, हालात ये हैं कि शहर अधिकतर पुलिस चौकी में ही ताले लटके मिलते हैं। यहां यहां फरियादी बहुत उम्मीदें लेकर जाता है। लेकिन ताला देखकर उसे मजबूरी में थाने जाना पड़ता है जहां से उसे फिर चौकी भेजा जाता है। अगर चौकी खुली मिल गई तो बाहर मौजूद होमगार्ड भी थाने जाने की नसीहत दे देता है। ऐसे में इलाके की सुरक्षा व्यवस्था का क्या हाल होगा, अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।
चौकियां जो बंद रहती हैं गंगा बैराज(कोहना), गिलिश बाजार (कोतवाली) , रानीगंज(काकादेव), जेके मंदिर(नजीराबाद), पांडु नगर(नजीराबाद), मकड़ी खेड़ा(कल्याणपुर), बेगमपुरवा(बाबूपुरवा), ट्रांसपोर्ट नगर(बाबूपुरवा), बाबाकुटी(बाबूपुरवा)आनंदपुरी (जूही), साकेत नगर(किदवई नगर)। ये वे चौकियां हैं जो कभी वाजिब वजह से तो कभी बिना जरूरत के बंद रहती हैं। ------------- पहले पुलिस चौकी जाओनजीराबाद के जेके मंदिर के बाहर दो फरियादी मिले। एक मामला आपसी झगड़े का था जबकि दूसरा मामला पड़ोसी से विवाद का। लेकिन यहां चौकी में ताला बंद था। किसी तरह की जानकारी देने वाला कोई नहीं। परेशान होकर शाम को आने की बात कहकर दोनों चले गए। इसी तरह काकादेव थाने में बाइक चोरी की शिकायत करने पहुंचे शिवम और राहुल को पुलिस चौकी जाने को कहा गया। थाना परिसर में ही मौजूद चौकी में जब दोनों पहुंचे तो चौकी में ताला बंद मिला। घंटों इधर उधर घूमने के बाद दोनों की तहरीर थाने में ही ली गई।
चौकी खाली, कैसे हो रखवाली कल्याणपुर का मकड़ीखेड़ा इलाका, जहां रात तो क्या दिन में ही तमाम सनसनीखेज वारदातें हो जाती हैं। यहां मौजूद शिवदीन ने बताया कि उनके घर में चोरी हुई थी। चौकी गए तो खाली मिली। फिर थाने गए। वहां से फिर चौकी जाने को कहा गया। दहशत में नहीं घुसते पीडि़तट्रांसपोर्ट नगर चौराहा, आनंदपुरी, पिंक चौकी स्वरूप नगर समेत कई चौकियां ऐसी हैं। जिनके अंदर जाने में पीडि़त को दहशत होती हैं। शीशे से बनाए हुए केबिन चारों तरफ से बंद रहते हैं। शहर की तमाम चौकियों के बाहर एक होमगार्ड खड़ा रहता है। जिसका काम फरियादियों को थाने पहुंचाने का होता है।
जितनी चौकी, उतने बहाने बाबूपुरवा इलाके में बंद चौकियों के प्रभारियों से बात की गई तो सबने चौकी बंद होने की अलग अलग वजह बताई। किसी का कहना है कि पंचनामा भरने आए है, तो किसी का कहना है कि घटनास्थल का नक्शा नजरी बनाने आए हैं। कोई थाने में पर्चे काटता दिखता है तो कोई अधिकारियों के आदेश पर हाईकोर्ट भेजे की दुहाई देता दिखाई दिया। नाम न छापने की शर्त पर साउथ सिटी के एक चौकी इंचार्ज ने बताया कि पत्नी कोरोना पीडि़त थीं, इसके बाद बेटा और बेटी भी हो गए। परिवार की देखभाल भी नहीं कर पाते। फोर्स की कमी भी बड़ा कारण पुलिस के रेगुलेशन के मुताबिक हर चौकी में एक चौकी इंचार्ज के साथ उसका समकक्ष दो दारोगा, एक महिला दारोगा, 13 सिपाही और दो गार्ड होने चाहिए। लेकिन जिले में पुलिस स्टाफ पूरा न होने की वजह से एक सब इंस्पेक्टर और तीन सिपाही रहते हैं। इन्हीं सिपाहियों को गश्त, विवाद के दौरान मौका मुआयना और विवादों का निस्तारण भी करना होता है। कभी कभी वीआईपी ड्यूटी में भी ये पुलिस कर्मी लगा दिए जाते हैं। -------------------------------------------------- शहर में कुल थाने - 44 कुल चैकियां - 235पिंक पुलिस चौकियां- 02
रिपोर्टिग पुलिस चौकी- 04 --------------------------------------- इस समाचार में अधिकारी का वर्जन दिया जाएगा