10 लाख से बनेगा एलएमयू सेंटर, माताएं दान कर सकेंगी अपना दूध
कानपुर(ब्यूरो)। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के गायनिक डिपार्टमेंट में अब माताएं अपना दूध दान कर सकेंगी। दान किया हुआ दूध ऐसे बच्चों के काम आएगा जो लावारिस होंगे या उनकी मां की स्थिति ठीक नहीं होगी। इसके लिए 10 लाख रुपए से हैलट के गायनिक डिपार्टमेंट में लेक्टेशनल मैनेजमेंट यूनिट(एलएमयू) बनाई जाएगी। जिसको लेकर शासन ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को ग्रीन सिग्नल दे दिया है।
लावारिस बच्चों को मिलेगी राहतमेडिकल कॉलेज के जच्चा बच्चा अस्पताल में कई लोग लावारिस बच्चे छोड़ जाते हैं। वहीं कई बार पुलिस के माध्यम से भी लावारिस नवजात को अस्पताल में भर्ती किया जाता है। इसके लिए कुछ स्थिति ऐसे भी होती है कि मां होने के बावजूद किसी बीमारी की वजह से वह अपने बच्चे को दूध नहीं पिला पाती है। इस स्थिति में उन बच्चों को दान में मिला दूध पिलाया जाएगा। जिससे वह स्वस्थ रहे।
10 लाख रुपए से बनेगी यूनिट
पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ। एके आर्या ने बताया कि शासन ने मिली मंजूरी के बाद 10 लाख रुपए से गायनिक डिपार्टमेंट एलएमयू बनाई जाएगी। जिसके निर्माण के लिए पहली इंस्टालमेंट के रूप में डिपार्टमेंट को तीन लाख रुपए स्वीकृत हो चुके हैं। सभी सात लाख रुपए जल्द ही स्वीकृत होना है। अधिकारियों के मुताबिक जगह चिन्हित कर ली गई है। यूनिट के तैयार होते ही माताएं वहां अपनी स्वेच्छा से अपना दूध दान कर सकेंगी।
मां के दूध पर की जाएगी रिसर्च
हैलट अस्पताल के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। एके आर्या ने बताया कि एलएमयू सेंटर में माताएं अपना दूध दान करती है। जिस पर रिसर्च भी किया जाएगा। जब यह दूध किसी बच्चे को दिया जाएगा तो उसने कब और कितना दूध पिया व किस तरह से अधिकांश बच्चे ने उसका सेवन किया। इसकी जानकारी होगी। अगर कोई बच्चा दूध नहीं पी पा रहा है तो उसके कारणों का भी पता लगाया जाएगा।
डिब्बे वाला दूध नहीं देना पड़ेगा
डॉक्टर्स के मुताबिक नवजात बच्चे के लिए छह माह तक मां का दूध अमृत की तरह होता है। सेंटर में माताओं द्वारा दान में दिए जाने वाले दूध को किसी जरूरतमंद नवजात को दिया जाएगा। फिर उनको मजबूरी में डिब्बे वाला व किसी जानवर का दूध देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि दोनों की दूध नवजात को कहीं न कहीं नुकसान पहुंचाते हैं। जिसका असर बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास पर पड़ता है।
केजीएमयू व गोरखपुर में अभी यूनिट
पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के प्रो। डॉ। यशवंत राव ने बताया कि वर्तमान में यूपी में केजीएमयू व गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में सीएलएमयू खुला हुआ है। जहां माताएं अपना दूध दान कर सकती है। उसकी तर्ज पर प्रदेश सरकार ने अब कानपुर स्थित जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज समेत यूपी के अन्य मेडिकल कॉलेज में एमएमयू सेंटर खोलने की प्लानिंग बनाई है। जिसकी शुरुआत जीएसवीएम से की गई है। जिससे लावारिस बच्चों को काफी राहत मिलेगी।
आंकड़े
- 10 से 15 डिलीवरी रोज होती हैं वार्ड में
- 2 से 3 ऐसे माताएं ऐसी होती हैं जो बच्चे को दूध नहीं पिला पातीं
- 15 केस में एक ऐसा भी होता, जिसमें मां को दूध ही नहीं बनता
- 10 लाख रुपए से एलएमयू सेंटर खोला जाएगा मेडिकल कॉलेज में
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