हाल में कुवैत ने भारत से 192 मीट्रिक टन देसी गाय के गोबर की मांग की है. कुवैत के कृषि विज्ञानियों को शोध के दौरान खजूर की फसल में देसी गाय के गोबर का प्रयोग करने से अच्छे परिणाम मिले हैं. यह बात मंडे को सीएसए कैंपस में कृषक-वैज्ञानिक संवाद संगोष्ठी में बतौर चीफ गेस्ट शामिल हुए पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री व सांसद राधा मोहन ङ्क्षसह ने कही. उन्होंने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया.


कानपुर (ब्यूरो) सांसद राधा मोहन ङ्क्षसह ने कहा कि केंद्र सरकार ने साल 2015 में किसानों के लाभ के लिए राष्ट्रव्यापी मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की थी। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती देसी गाय के गोबर और गोमूत्र से की जाती है। जिसमें कृषि लागत शून्य होती है और कृषि उत्पाद गुणवत्तायुक्त प्राप्त होता है। सीएसए वीसी डॉ। डीआर ङ्क्षसह ने बताया कि प्राकृतिक खेती अपनाकर हम अपने स्वास्थ्य, मृदा स्वास्थ्य और पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं। इस मौके पर समन्वयक प्रसार निदेशालय डा। एके ङ्क्षसह, धनंजय ङ्क्षसह, डा। खलील खान, डा। सुभाष चंद्रा, डा। पीके राठी और डा। अशोक कुमार मौजूद रहे।

आर्गेनिक खेती से हर साल बढ़ता है उत्पादन
संगोष्ठी में आए कृषक समृद्धि आयोग उत्तर प्रदेश के मेंबर श्याम बिहारी गुप्ता ने बताया कि प्राकृतिक खेती में मिट्टी की सेहत ठीक होने के साथ पहले साल से ही उत्पादन भी बढऩे लगता है। ऐसी फसल की कीमत भी बाजार में ज्यादा मिलती है। संगोष्ठी में चीफ गेस्ट पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद राधा मोहन सिंह को सुबह 10.30 बजे पहुंचना था,लेकिन वो दोपहर 3 बजे के बाद वहां पहुंचे। 5 घंटे चीफ गेस्ट के इंतजार कर रहे किसान भी परेशान हो गए। इस बीच गर्मी ने भी उन्हें बेहाल कर दिया।

Posted By: Inextlive