कानपुर ब्यूरो । साइबर शातिर न सिर्फ आम लोगों के लिए बल्कि सरकारी विभागों के लिए भी बड़ी चुनौती बन गए हैं. साइबर शातिरों का ताजा शिकार केस्को हुआ है.

कानपुर (ब्यूरो)। साइबर शातिर न सिर्फ आम लोगों के लिए बल्कि सरकारी विभागों के लिए भी बड़ी चुनौती बन गए हैं। साइबर शातिरों का ताजा शिकार केस्को हुआ है। कंज्यूमर्स द्वारा बिल पेमेंट के रूप में ऑनलाइन जमा किए गए 1.68 करोड़ रुपए उड़ाने वाले शातिरों के गैंग को पुलिस ने दबोच लिया है। क्राइम ब्रांच की साइबर सेल, स्वाट व सर्विलांस टीम ने मामले का खुलासा करते हुए छह अभियुक्तों को गिरफ्तार कर 90 लाख रुपये की बरामदगी भी कर ली है। जांच में सामने आया कि शातिरों ने पेमेंट गेटवे के यूआरएल को ही बदल दिया था। जिसे सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने अंजाम दिया था।

ये है पूरा मामला
केस्को के कंज्यूमर्स बिजली के बिल का भुगतान आईसीआईसीआई बैंक के गेटवे के माध्यम से ऑनलाइन जमा करते हैं। भुगतान के बाद आईसीआईसीआई बैंक केस्को के खाते में रकम ट्रांसफर कर देता है। बीते दिनों जब केस्को ने जब बिल भुगतान का मिलान किया तो पता चला कि 18 जून से 16 जुलाई तक करीब 1905 कंज्यूमर्स ने कुल 1.68 करोड़ रुपये बिल जमा किया लेकिन ये रकम केस्को को नहीं मिली। इस पर केस्को की तरफ से ग्वालटोली थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया।

दूसरे खाते में रकम ट्रांसफर
केस्को की तहरीर में कहा गया कि 18 से 23 जून तक 679 कंज्यूमर्स के 44.92 लाख रुपये आईसीआईसीआई बैंक के गेटवे में छेड़छाड़ करके दूसरे खाते में ट्रांसफर लिए गए। इसी तरह एक से 16 जुलाई तक 1102 कंज्यूमर्स के जमा 1.03 करोड़ रुपये भी ट्रांसफर कर लिए गए। 17 जुलाई को एक-एक कंज्यूमर के भुगतान का वेरिफिकेशन किया गया। इसमें यह सामने आया कि गेटवे में छेड़छाड़ कर केस्को के खाते के बजाए मिलते जुलते दूसरे खाते में रकम ट्रांसफर हो गई।

साइबर सेल ने जोड़े तार
22 जुलाई को मुकदमा लिखे जाने के बाद क्राइम ब्रांच और साइबर सेल ने जांच शुरू की और एक-एक तार जोडऩा शुरू किया। प्राइमरी इनपुट्स मिलने के बाद साइबर सेल समेत पुलिस की चार टीमों को मेरठ, बागपत और उसके आसपास भेजा गया। साइंटिफिक और इलेक्ट्रॉनिक इविडेेंस के आधार पर हुई जांच में साफ हो गया था कि ये काम हैकर्स का है। हैकर्स हर एक दो घंटे में केस्को के गेटवे के यूआरएल में छेड़छाड़ करके ऑनलाइन जमा हो रही धनराशि को अपने खाते में ट्रांसफर कर रहे थे। ये खाता आईसीआईसीआई बैंक की बड़ौत की शाखा में केस्को इलेक्ट्रॉनिक के नाम से खुले करंट एकाउंट में ट्रांसफर हो रहे थे। ये एकाउंट बागपत निवासी सुमन पत्नी योगेंद्र के नाम पर खुला है। पूरे खेल में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी शामिल है। जिसने गेटवे का यूआरएल चेंज कर रकम ट्रांसफर की है।

बिजली ठेकेदार भी शामिल
अब तक की जांच में सामने आया कि बिजली ठेकेदार विवेक शर्मा ने बागपत में बैठकर 22 खाते खुलवाए थे। खाताधारक सुमन और उसके पति योगेन्द्र को भी साइबर सेल ने पकड़ लिया है। योगेन्द्र ने बताया कि वह बिजली विभाग के ठेकेदार विवेक शर्मा के सम्पर्क में था, उसी के कहने पर योगेन्द्र ने केस्को इलेक्ट्रॉनिक के नाम पर खाता खुलवाया था। इनमें से पैसा निकालने वाले तीन आरोपियों को भी साइबर सेल ने गिरफ्तार कर लिया है। अब तक की जांच में कई अन्य लोगों के नाम भी सामने आए हैं उनकी तलाश में पुलिस टीमें दबिश दे रही हैं।

ये शातिर हुए गिरफ्तार
पुलिस ने सुहेल खान(निवासी दिल्ली), विवेक कुमार शर्मा, अनिल कुमार, करन राणा, योगेंद्र, शक्ति (सभी बागपत निवासी ) को गिरफ्तार किया है। सोहेल और अनिल को बुलंदशहर की कोतवाली देहात से और विवेक, करन, योगेंद्र और शक्ति की गिरफ्तारी बागपत से की है। इनके पास से कुल 90 लाख 50 हजार नकद और 31 मोबाइल फोन, 30 एटीएम व अन्य कागजात बरामद हुए है।
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1.68 करोड़ रुपए की ठगी हुई थी
1905 कंज्यूमर्स के बिल की थी रकम
6 आरोपियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
90 लाख रुपए पुलिस ने किए बरामद
31 मोबाइल फोन, 30 एटीएम कार्ड बरामद
40 लाख रुपए से दो गाडिय़ां खरीदी गईं
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ग्वालटोली थाने में केस दर्ज किया गया था। जिस अकाउंट में धनराशि गई उनकी जानकारी की गई। क्राइम ब्रांच की साइबर सेल की चार टीमों ने अथक प्रयास कर मामले का खुलासा किया गया। छह अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है।
बीपी जोगदण्ड, पुलिस कमिश्नर

Posted By: Inextlive