Kanpur Zoo News: नरभक्षियों को प्यार करना सीखा रहा जू , तीन तेंदुए और दो बाघिन को हास्पिटल कैंपस में रखकर बिहेवियर किया जा रहा नार्मल
कानपुर (ब्यूरो)। प्यार एक ऐसा उपाय है, जिससे आप किसी भी काम को बिना विवाद के करा सकते हैैं। कुछ ऐसा ही काम कानपुर जू में किया जा रहा है। यहां प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से रेस्क्यू करके लाए गए नरभक्षी बाघ और तेंदुओं को प्यार की भाषा सिखाई गई है। व्यवहार में सुधार करना सिखाने के बाद जानवरों को आम दर्शकों के लिए बाड़े में छोड़ दिया जाता है। इस समय जू के हॉस्पिटल कैंपस में तीन बाघ और दो बाघिनों को रखकर उनके व्यवहार में चेंजमेंट लाने का काम किया जा रहा है। रेस्क्यू करके आने के बाद उनको डॉक्टर और स्टाफ की मॉनिटरिंग में रखा जाता है। इसको रीहैबिटेशन सेंटर बोला जाता है।
चार जान लेने वाले जग्गू में हो रहा सुधार
लखीमपुर खीरी के जमुनाबाद में चार लोगों को मौत की नींद सुलाने वाले तेंदुए जग्गू को 2022 में यहां रेस्क्यू करके लाया गया था। बीते लगभग 1.5 सालों में जग्गू के बिहेवियर मेें चेंजमेंट आया है। एक समय था कि वह किसी को भी देखने पर आक्रामक हो जाता था जो कि अब नहीं है। अब वह केवल गुर्राता है। उसका बिहेवियर अभी और सुधरना बाकी है। इसके अलावा सोहन को बहराइच से रेस्क्यू करके लाया गया था। इसकी उम्र इस समय पूरी हो चुकी है, यह 18 साल का है। वहीं मुरादाबाद से 15 दिन के शेरु को रेस्क्यू करके लाया गया था। इनके अलावा राम, लालू, कालू, नीलम और पीतांबरी को 2019 में बचपन में यहां लाया गया। अब यह बाड़े में जा चुके हैैं। यह सभी तेंदुए हैैं।
जू के प्रभारी पशु चिकित्साधिकारी डॉ। अनुराग सिंह ने बताया कि रेस्क्यू करके आए जानवर का खास ख्याल रखा जाता है। डेली मैैं, डाक्टर और स्टाफ उनके पास जाते और उनके बिहेवियर को देखते हैैं। समय पर उनको डाइट दी जाती है। इसके अलावा उनके सामने ऐसी कोई हरकत नहीं की जाती है, जिससे उनको गुस्सा आए। सर्दी, गर्मी और बरसात में भी आम बाड़ों की तरह उनके स्थान को भी वेदर के अनुसार बदला जाता है। यही वह चीजें है जो कि जानवर के बिहेवियर को बदल देती हैैं।