बाहर गोलियों व बम की आवाज से लगता कि कब प्राण निकल जाएं पता नहीं. फौज की वेश में बंदूकधारी आए और मारपीट करने के साथ ही लूटपाट करने लगे. भला हो सरकार का जिसने समय रहते मुझे व हमारे जैसे न जाने कितनों को सकुशल घर पहुंचाया. शेरपुर तरौंदा गांव के संजय कुमार ने यह बातें बताईं तो उनका गला रुंध गया.

कानपुर (ब्यूरो)। बाहर गोलियों व बम की आवाज से लगता कि कब प्राण निकल जाएं पता नहीं। फौज की वेश में बंदूकधारी आए और मारपीट करने के साथ ही लूटपाट करने लगे। भला हो सरकार का जिसने समय रहते मुझे व हमारे जैसे न जाने कितनों को सकुशल घर पहुंचाया। शेरपुर तरौंदा गांव के संजय कुमार ने यह बातें बताईं तो उनका गला रुंध गया। वह सूडान में एक स्टील फैक्ट्री में फिटर का काम करते थे.वह घर पहुंचे तो परिवार ने गले लगा लिया। वहां का खतरनाक माहौल देखकर अब संजय ने फैसला किया है कि वह कभी वापस वहां नहीं जाएंगे और घर पर ही काम कर जीवन यापन करेंगे।


दो साल पहले गए थे सूडान
संजय ने बताया कि दो साल पहले एक परिचित के जरिए सूडान के खाटून शहर गए थे। मार्च में वह घर आए थे लेकिन 15 मार्च को फिर वापस वहां चले गए थे.उन्होंने बताया कि 15 अप्रैल को वह सभी फैक्ट्री के अंदर ही बने गेस्ट हाउस में थे तभी एक बम पास में आकर गिरा और इतना जोरदार धमाका हुआ कि कान तक सुन्न हो गए। इसके बाद सभी एक कमरे में आकर छिप गए। अगले दिन फौज के वेश में कई अज्ञात बंदूकधारी घुस आए और मारपीट कर उनके रुपये, मोबाइल सभी छीन लिए।


160 लोग थे साथ
उनके साथ वहां पर 160 लोग थे उनसे भी लूटपाट की गई। उस समय किसी तरह से जान बच गई। इसके बाद एक दिन तक तो सहमे रहे इधर घर वाले परेशान हो रहे थे। एक साथी का मोबाइल बच गया तो उसने नंबर से घर पर सही सलामत होने की जानकारी दी। इसके बाद 20 अप्रैल को दूतावास से संदेश साथी के मोबाइल पर आया कि उन लोगों को सुरक्षित निकाला जाएगा।


मंजर भूल नहीं पाएंगे
इसके बाद अगले दिन बस आई और वहां से पानी के जहाज के जरिए उनको सऊदी अरब पहुंचाया गया। वहां से हवाई जहाज से एयरफोर्स उनको निकालकर लाई और दिल्ली के रास्ते फिर घर पहुंचे। पत्नी सुनीतच् बच्चे ऋषि उनको देखते ही रो पड़े और गले लग गए। ऐसा लगता है कि दूसरा जन्म मिल गया जो मंजर देखा है भूल न पा रहे हैं। अब यहीं रहकर कमाएंगे और परिवार संग खुशी से रहेंगे।

Posted By: Inextlive