ऑक्सीजन में आत्मनिर्भर बनेगा कानपुर
- कोविड पेशेंट्स को ऑक्सीजन की किल्लत दूर करने के लिए शहर के अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का काम तेज
-उर्सला में 500 एलपीएम का प्लांट लगाया जा रहा, कांशीराम में 1250 एलपीएम का लगेगा प्लांट, 400 टन का प्लांट रिमझिम लगाएगाKANPUR: कोरोना संक्रमण के चलते लोगों की सांसें फूल रही हैं और ऑक्सीजन की जबरदस्त डिमांड है। डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं मिल पा रही है। ऑक्सीजन की कमी के कारण सैकड़ों की संख्या में लोगों ने घरों और सड़कों पर दम तोड़ दिया। सिलेंडर लेने और भरवाने के लिए लोग सुबह से शाम तक एजेंसियों के बाहर लाइन लगाए खड़े रहते हैं। 12 टन प्रतिदिन की खपत बढ़कर 36 टन पहुंच गई है। ऐसे में कानपुर को बोकारो और राउरकेला से भी ऑक्सीजन मंगानी पड़ रही है.लेकिन, ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है। भविष्य में ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी। कानपुर जल्द ही ऑक्सीजन की जरूरत में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
उर्सला में बैकअप खत्मऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए उर्सला हॉस्पिटल में 500 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन प्रोड्यूस करने वाला ऑक्सीजन प्लांट लगाया जा रहा है। इसका काम तेजी से चल रहा है। मौजूदा समय में उर्सला के इमरजेंसी एनबी वन और एनबी टू वार्ड में करीब 35 कोरोना संक्त्रमित और कुछ कोरोना जैसे लक्षणों वाले रोगी एडमिट हैं। यहां एक दिन में 200 से अधिक जंबो सिलेंडर की जरूरत पड़ रही है। लेकिन अभी 50 से 60 जंबो सिलेंडर ही पहुंच पा रहे हैं। सीएमएस डॉ। अनिल निगम ने बताया कि ऑक्सीजन सिलेंडर की डिमांड तेजी से बढ़ी है। बैकअप भी लगभग खत्म हो चुका है।
100 करोड़ का खर्च अगर सबकुछ सही रहा तो अगले 6 महीने में कानपुर ऑक्सीजन प्रोडक्शन में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएगा। हमीरपुर स्थित रिमझिम कंपनी द्वारा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट मिनिस्टर सतीश महाना को 400 टन प्रतिदिन ऑक्सीजन प्रोडक्शन प्लांट लगाने का प्रस्ताव दिया है। इसमें 100 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसके लगने से कानपुर दूसरे शहरों को ऑक्सीजन सप्लाई करने लगेगा। अगर मंजूरी मिलती है तो अगले 6 महीने में प्लांट बनकर तैयार हो जाएगा। कोरोना में यहां ऑक्सीजन डिमांड बढ़कर 1 हजार से 2 हजार सिलेंडर तक हो गई है। इसमें कानपुर को पहले 300 से 400 की जगह अब 800 तक सिलेंडर मिल रहे हैं। सप्लाई मिले तो बढ़ें कोविड हॉस्पिटलजिला प्रशासन ने 14 प्राइवेट कोविड हॉस्पिटल का अधिग्रहण किया है। लेकिन अभी सिर्फ 5 हॉस्पिटल को ही खोला जा रहा है। क्योंकि ऑक्सीजन की सप्लाई मौजूदा समय में कम है। ऑक्सीजन डिमांड के आधार पर ही नए कोविड हॉस्पिटल खोले जा रहे हैं। डीएम ने 5 हॉस्पिटल को खोलने की मंजूरी दे भी दी है। इसके बाद कानपुर में लगभग 150 बेड और बढ़ जाएंगे।
10 हजार लीटर से अधिक डिमांड कांशीराम हॉस्पिटल सबसे हाई रिस्क में है। यहां 120 कोविड पेशेंट का ट्रीटमेंट चल रहा है। इसमें 20 आईसीयू में हैं। यहां सिलेंडर से सप्लाई हो रही है। 50 से अधिक जंबो सिलेंडर लग रहे हैं। लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगाने की कवायद शुरू हो गई है। 1.79 करोड़ रुपए से 1500 एलपीएम क्षमता का प्लांट लगाने की तैयारी है। वहीं हैलट में भी सिलेंडर और लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई कर रही कंपनियों से कहा है कि 2 गुना बैकअप रखें। हालांकि हैलट में एक और ऑक्सीजन प्लांट लगाने का प्रस्ताव तैयार है। अभी 350 छोटे बड़े सिलेंडर आ रहे हैं। इस तरह लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के लिए एक एलएमओ सिलेंडर 24 घंटे हैलट परिसर में मौजूद है। प्राइवेट हॉस्पिटल में सुधारकई हॉस्पिटल में ऑक्सीजन बैकअप इतना अच्छा है कि वहां जो रोज खर्च हो रहा है। उससे कहीं उनके पास बैकअप है। नारायणा मेडिकल कॉलेज में एक दिन पहले 91 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन खर्च हुई थी जबकि उनके पास बैकअप 402 क्यूबिक मीटर का है। रीजेंसी हास्पिटल में एक दिन पहले 170 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन खर्च हुई थी जबकि उसके पास 675 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन बैकअप में है। एसपीएम हास्पिटल में एक दिन पहले की खपत 1,550 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन की थी। जबकि उसका बैकअप 1,350 क्यूबिक मीटर यानी करीब एक पूरे दिन का है।
प्रमुख हॉस्पिटल में ऑक्सीजन बैकअप हैलट हॉस्पिटल - 03 दिन रामा मेडिकल कॉलेज 1,630 क्यूबिक मीटर एमकेसीएच रामादेवी 142 डी टाइप, 56 बी टाइप सिलेंडर एसपीएम हास्पिटल 1,350 लीटर रीजेंसी हास्पिटल 675 क्यूबिक मीटर नारायणा मेडिकल कॉलेज 402 क्यूबिक मीटर फैमिली हास्पिटल 105 क्यूबिक मीटर कानपुर में 4 ऑक्सीजन सप्लायर -मुरारी गैस -बब्बर गैस -मुरारी फर्म -हरिओम गैस एजेंसी ऑक्सीजन डिमांड को पूरा करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। लोगों को ऑक्सीजन देकर उनकी लाइफ बचा सके, इसके लिए पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं। -अजय मिश्रा, संचालक, मुरारी ऑक्सीजन प्लांट24 घंटे प्लांट चल रहा है। एक बार में 24 सिलेंडर भरने की क्षमता है। एक सिलेंडर भरने में कम से कम आधा घंटा लगता है। ऐसे में जितनी सप्लाई कर सकते हैं, पूरी क्षमता से कर रहे हैं।
-सुमित बब्बर, संचालक, बब्बर गैस।