महिलाओं के साथ अपराध में कानपुर पूरे यूपी में दूसरे नंबर पर
कानपुर (ब्यूरो)। महिलाओं को सुरक्षा का अहसास कराने और उनके साथ हो रहे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए कमिश्नरेट से लेकर शासन तक से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। मिशन शक्ति और सेफ सिटी से लेकर कई हेल्पलाइन भी शुरू की गईं। हर थाने में पिंक चौकी और थानों में अलग महिला हेल्प डेस्क बनाई गई। लेकिन, इसके बाद भी हालात सुधरना तो दूर और खराब हो रहे हैं। महिलाओं के साथ अपराध के मामले बढ़ते जा रहे हैं। महिलाएं आए दिन रेप, किडनैपिंग, ब्लैकमेलिंग और अन्य गंभीर अपराधों का शिकार हो रही हैं। हालात इतने खराब हैं कि कानपुर इस मामले में प्रदेश में दूसरे नंबर है। जबकि राजधानी लखनऊ पहले नंबर पर और गाजियाबाद तीसरे नंबर पर है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से खुलासा हुआ है।प्रयास साबित हो रहे नाकाफी
प्रदेश में बीते साल सबसे ज्यादा महिलाओं के साथ क्राइम लखनऊ में हुआ है। यानि राजधानी भी महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। आंकड़े बताते हैैं कि डोमेस्टिक वायलेंस ज्यादा हुआ है। ये हालात तब हैैं जब चार साल से यूपी सरकार प्रदेश में मिशन शक्ति चला रही है। जिसके तहत थानों में महिला हेल्प डेस्क खोली गई हैैं। थानों में सुनवाई के लिए निजी केबिन बनाए गए हैैं। महिला विवेचक और महिला सिपाहियों की विशेष नियुक्ति की गई है। पिंक चौकी और ईव टीजिंग को रोकने के लिए स्कूटी मोबाइल बनाई गई हैैं। परिवार परामर्श केंद्र के तहत हर थाने में सुनवाई शुरू हो गई है।आंचल, आरजू जैसे मामलों से बढ़ा ग्राफनजीराबाद थानाक्षेत्र में हुआ आंचल खरबंदा हत्याकांड हो या साउथ सिटी का आरजू कटारा हत्याकांड। इसके साथ ही स्वरूप नगर में महिला की छत से गिरकर मौत हो या नर्स की चौथी मंजिल से गिरकर मौैत। सभी मामलों की जांच में उत्पीडऩ ही सामने आया है। वहीं कल्याणपुर में चौथी मंजिल से कारोबारी की बेटी के फेंकने का मामला भी सुर्खियों में रहा है। घाटमपुर में चचेरे भाइयों ने रेप कर किशोरी की हत्या कर दी थी वहीं नरवल में कुकर्म के बाद बालक की हत्या का मामला सामने आया था। नौैबस्ता और बर्रा में भी तमाम मामले आ चुके हैैं। जिनमें किशोरियों से लेकर महिलाओं का उत्पीडऩ हुआ है।
थानों में 500 से ज्यादा मामले पेंडिंग
कमिश्नरेट के सभी थानों में महिलाओं के साथ अपराध के 500 से ज्यादा मामले पेंडिंग में पड़े हैैं। जिनकी जांच ठप है या फिर बेहद धीमी गति से चल रही है। वहीं पीडि़त महिलाएं न्याय का इंतजार रक रही हैं। मामलों में जांच की स्थिति पता करने के लिए पुलिस अधिकारियों की चौखट के चक्कर काट रही हैं। वहीं पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बीते एक महीने से कमिश्नरेट में पुलिसकर्मियों की भारी कमी है, जिसकी वजह से जांचें पेंडिंग में पड़ी हैैं। थानों से प्रार्थना पत्र आगे नहीं बढ़ पा रहे हैैं।