Kanpur News: सीबीटी को छोड़ ओएमआर पर क्यों कराया गया नेट ?
कानपुर (ब्यूरो)। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) एक आर फिर सवालों के घरे में है। नीट में गड़बडिय़ों पर घिरी एनटीए अब नेट में भी उलझ गई। सिटी के 12 सेंटर्स पर ट्यूजडे को एनटीए की ओर से यूजीसी नेट को कराया गया और वेडनसडे लेट नाइट एग्जाम कैंसिल होने की सूचना आ गई। नेशनल एलिजबिलिटी टेस्ट (नेट) का पेपर पहली बार लीक हुआ है। पेपर कैंसिल होने के बाद नेट देने वाले कैंडीडेट्स ने एनटीए पर सवाल दागने शुरू कर दिए हैं। कैंडीडेट्स का कहना है कि बीते सालों तक नेट को कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट (सीबीटी) के जरिए कराया जाता था। सीबीटी में पेपर लीक नहीं होते हैैं। इस बार ऐसा क्या हुआ जो एनटीए को एडवांस सिस्टम को छोडक़र पेन पेपर बेस्ड ओएमआर शीट पर आना पड़ा। एग्जाम की खामियों को लेकर नेट कैंडीडेट्स ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से अपनी प्राब्लम को शेयर किया।
पेन पेपर मोड में ट्रांसपैरेंसी होती कम
सात सब्जेक्ट से नेट को पास कर चुके डॉ। अमित निरंजन ने इस बार टूरिज्म एंड मैनेजमेंट सब्जेक्ट से नेट दिया था। अमित का कहना है कि क्या एनटीए को नहीं पता था कि पेन एंड पेपर मोड ट्रांसपेरेंसी कम होती है। बीते सालों में सीबीटी मोड होता था तब कभी प्राब्लम नहीं हुई। सीबीटी मोड को तभी क्यों हटाया गया जब नोटिफिकेशन आया। ओएमआर से जब भी पेपर होता है तब मशीन कई सेट को रिजेक्ट या इनवैलिड कर देती है। मॉनिटरिंग प्रक्रिया का कम होना इस बात का प्रूफ है कि पेपर बहुत ही साधारण कैजुअल तरीके से कंडक्ट कराया गया। कुछ प्रश्न सिलेबस के बाहर से आए, इसके बारे में कुछ भी यूजीसी ने नहीं बोला।
पुखरायां की रहने वाली ज्योति सचान ने जियोग्राफी से नेट दिया था। इनका कहना है कि कोई भी पेपर ठीक से नहीं हो पा रहा है। नेट का पेपर पहली बार लीक हुआ है, यह तो इतिहास बन गया। हमने सीबीटी की तैयारी की थी। पेपर को ओएमआर बेस्ड करा दिया। पेपर लीक हो गया तो कैंसिल भी कर दिया गया। इस भीषण गर्मी में पेपर देने आए। हजारों रुपए खर्चा आया, इसका एनटीए को कोई असर नहीं पड़ता है। पेपर लीक होने से नहीं रोक पाते तो सीबीटी मोड में क्यों नहीं करा लेते हैैं। ओएमआर बेस्ड क्यों कराया, जवाब दे एनटीए
शास्त्री नगर की रहने वाली नेहा त्रिपाठी का कहना है कि एग्जाम को लेकर हम शेड्यूल बनाते हैैं। जेआरआफ क्रैक करना कितना चैलेंजिंग होता है इसका पता एनटीए को नहीं है। सीबीटी आसान है, बीते सालों से ठीक से पेपर भी हो रहे थे। इस बार ऐसा क्या हुआ जो पेपर को ओएमआर बेस्ड कराना पड़ा। इसका जवाब एनटीए को देना पड़ेगा। मैंने जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन से एग्जाम दिया था। सोचा था कि समय से पीएचडी में एडमिशन मिल जाएगा लेकिन सब चौपत हो गया। पीएचडी का सेशन लेट होगा।
ओएमआर फट रही थी नौबस्ता के रहने वाले अभय ने फिलास्फी से नेट को दिया था। बताया कि ओएमआर शीट इतनी हल्की थी कि गोले भरने में हल्का प्रेशर पडऩे पर ही फट रही थी। एनटीए इतनी बड़ी एजेंसी है और पेपर लीक को नहीं रोक पाई। जब बस में नहीं था तो सीबीटी बेस्ड ही करा देना चाहिए था। जिस सेंटर से पेपर प्रिंट हुए हैैं उसकी जांच हो। दोषियोंं को सख्त सजा दी जाए। वहीं एनटीए को भी पुरे सिस्टम को फिर से चेक और रिफाइन करना चाहिए। आखिर हर बार स्टूडेंट ही सजा क्यों भुगतें?नेट पास को ही पीएचडी में एडमिशन
यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार पीएचडी में एडमिशन के लिए नेट क्वालीफाई होना कंपलसरी है। ऐसे में इस बार रिजल्ट तीन अलग अलग कैटेगरी में आएगा, जिसमें पहली कैटेगरी जेआरआफ, दूसरी कैटेगरी असिस्टेंट प्रोफेसर और पीएचडी में एडमिशन के लिए योग्य और तीसरी कैटेगरी में पास होने वाले स्टूड़ेंट्स केवल पीएचडी में एडमिशन के लिए योग्य होंगे।