- सिग्नल फेल होने पर भी नहीं रुकेंगे ट्रेनों के पहिए, एक डिवाइस फेल होने पर दूसरी पूरे सिस्टम को कर देगी ऑटो रीसेट

- न्यू टेक्नोलॉजी के जरिए डुअल सिग्नल सिस्टम पर काम कर रहा है आरडीएसओ, कानपुर-लखनऊ रूट पर किया जा रहा ट्रायल

KANPUR। ट्रेनों के ऑपरेशन और उनकी स्पीड में सबसे बड़ा ब्रेकर बनने वाले सिग्नल फेल्योर का तोड़ रेलवे ने निकाल लिया है। जिसका ट्रायल कानपुर-लखनऊ रूट पर किया जा रहा है। रेलवे ऑफिसर्स के मुताबिक, प्रोजक्ट अगर सफल रहा तो सिग्नल फेल होने पर भी ट्रेनों की रफ्तार उनके संचालन पर ब्रेक नहीं लगेगा। जिससे लाखों पैसेंजर्स का बड़ी राहत मिलेगी।

क्या है न्यू टेक्नोलॉजी

रेलवे आफिसर्स के मुताबिक, इस प्रोजक्ट को आरडीएसओ ने तैयार किया है। रेलवे डुअल सिस्टम पर वर्क कर रहा है। जिसमें न्यू टेक्नोलॉजी के साथ अंडर ग्राउंड केबल बिछाकर एक्सल काउंटर के साथ डिवाइस लगाई गई है। जोकि ब्लॉक प्वाइंट और स्टेशनों को आपस में कनेक्ट करेगा। इससे एक डिवाइस फेल होने पर दूसरी पूरे सिस्टम को ऑटो रीसेट करेगी। जिससे ट्रेनों का संचालन नहीं थमेगा। जबकि मौजूदा स्थिति में सिग्नल फेल होते ही ट्रेनों का ऑपरेशन ठप हो जाता है।

गंगाघाट-मगरवारा के बीच ट्रायल

लखनऊ डिविजन के पीआरओ आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि आरडीएसओ द्वारा तैयार किए गए डुअल सिस्टम का ट्रायल गंगाघाट-मगरवारा के बीच किया जा रहा है। जोकि इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग को और ज्यादा आधुनिक बनाता है। उन्होंने बताया कि ऑप्टिकल और टेलीकॉम केबल बिछाई जा रही हैं। गंगाघाट स्टेशन से मगरवारा तक लगभग 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है। न्यू टेक्नोलॉजी के तहत एक सिग्नल फेल होने पर वह रीसेट होकर दूसरी डिवाइस एक्टिव कर देगा।

एक्टिव होने में लगेंगे पांच मिनट

रेलवे के टेक्निकल डिपार्टमेंट के आफिसर्स के मुताबिक, न्यू टेक्नोलॉजी पर आधारित प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लगातार वर्क भी किया जा रहा है। जिसमें एक सिग्नल फेल होने पर उसको रिसेट होने व दूसरे सिग्नल के एक्टिव होने में मात्र पांच मिनट लगेंगे। जिसके बाद ट्रेनों का संचालन दोबारा बेहतर और सुरक्षित तरीके से किया जा सकेगा। इस दौरान रेलवे की मेंटिनेंस टीम पहुंच कर खराब हुए सिग्नल सिस्टम को भी ठीक कर देगा।

कोट

रेलवे ट्रैक पर लगे नॉन इंटरलॉकिंग का सिग्नल फेल होते ही ट्रेनों का संचालन पूरी तरह थम जाता है। जिससे पैसेंजर्स को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। इस समस्या को दूर करने के लिए न्यू टेक्नोलॉजी के जरिए बैकअप सिस्टम को डेवलप किया जा रहा है। ट्रायल भी शुरू हो गया है।

आलोक श्रीवास्तव, पीआरओ, लखनऊ डिविजन

Posted By: Inextlive