एक ट्रैक पर दौड़ रही ट्रेनों के आपस में टकराने रेड सिग्नल पार कर डिरेल हो जाने जैसी बड़ी घटनाओं पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए रेलवे आईआईटी कानपुर की ईजाद तकनीकि कवच का यूज कर रहा है. कानपुर 87 लोकोमोटिव पैसेंजर ट्रेन इंजन में से 64 में इस तकनीक को लगाने का काम पूरा हो चुका है. 23 में दिसंबर तक इसे लगा लिया जाएगा. हालांकि इसका फायदा अभी ट्रेनों को नहीं मिल रहा है क्योंकि अभी इसे फंक्शनल नहीं किया गया है. हालांकि कवच का दूसरा हिस्सा सेंट्रल सहित किसी स्टेशन के प्लेटफार्म में लगाए जाने की शुरूआत नहीं हो सकी है. इसके लगने के बाद इसे पूरी तरह से फंक्शन किया जा सकेगा.

कानपुर (ब्यूरो)। एक ट्रैक पर दौड़ रही ट्रेनों के आपस में टकराने, रेड सिग्नल पार कर डिरेल हो जाने जैसी बड़ी घटनाओं पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए रेलवे आईआईटी कानपुर की ईजाद तकनीकि कवच का यूज कर रहा है। कानपुर 87 लोकोमोटिव (पैसेंजर ट्रेन इंजन ) में से 64 में इस तकनीक को लगाने का काम पूरा हो चुका है। 23 में दिसंबर तक इसे लगा लिया जाएगा। हालांकि इसका फायदा अभी ट्रेनों को नहीं मिल रहा है क्योंकि अभी इसे फंक्शनल नहीं किया गया है। हालांकि कवच का दूसरा हिस्सा सेंट्रल सहित किसी स्टेशन के प्लेटफार्म में लगाए जाने की शुरूआत नहीं हो सकी है। इसके लगने के बाद इसे पूरी तरह से फंक्शन किया जा सकेगा।

आधा- अधूरा है

आईआईटी ने कवच तकनीक को ईजाद किया था। रेलवे ने कई चरण के प्रयोग के बाद इस तकनीक को अपना लिया। ट्रेनों में अब इसे लगाने का काम चल रहा है.रेलवे ने आईआईटी की तकनीक कवच को अपनी पैसेंजर ट्रेनों के इंजन में लगाने की शुरूआत दिसंबर 2023 में की थी। इस काम को शुरू हुए 10 माह बीत चुके हैं। इस दौरान रेलवे आफिसर ने अधिकतर लोकोमोटिव में यह तकनीक लगा ली है। जो बचे रह गए हैं उनमे दिसंबर तक इसे लगाने का काम पूरा हो जाएगा। बहरहाल अब तक लोकोमोटिव को पूरा कवच नहीं मिल सका है। दरअसल इस तकनीक का दूसरा हिस्सा रेलवे स्टेशंस के प्लेटफार्म पर लगाया जाना है जिसके बाद ही यह सिस्टम आटोमेटिक तरीके से ट्रेनों को अपनी सुरक्षा का कवच प्रदान करेगा।

प्लेटफार्म पर लगाया जाएगा 20 मीटर लंबा एंटिना

कवच तकनीक दो हिस्सों में काम करेगी। इसका एक हिस्सा लोकोमोटिव में लगेगा तो दूसरा हिस्सा रेलवे स्टेशन पर होगा। रेलवे स्टेशन पर 20 मीटर लंबा एंटिना लगाया जाएगा जबकि एक छोटा एंटेना लोकोमोटिव के ऊपर लगेगा। लोकोमोटिव का एंटिना अपने एक स्टेशन आगे और एक स्टेशन पीछे को कवर करेगा। जीपीएस के माध्यम से यह कनेक्ट रहेगा और अपनी लोकेशन देता रहेगा। कानपुर सेक्शन में प्लेटफार्म पर इसे लगाने का काम अभी शुरू नहीं हुआ है।

लोकोमोटिव में लगेंगे यह यंत्र

रेलवे ऑफिसर्स के मुताबिक पैसेंजर ट्रेन इंजन की छत पर छोटा एंटिना होगा। इसके साथ ही अंदर ड्राईवर मशीन इंटरफेस लगाया जाएगा, जिसमें सिग्नल और दूरी दिखती रहेगी। इसके साथ आरएफआइडी यानी रेडियो फ्रिक्वेंसी रीडर और ब्रेक कंट्रोल यूनिट लगी होगी। ऐसे में जब ट्रेन एक ट्रैक पर पीछे से या आगे से नजदीक आएगी या फिर किसी कारणवश ट्रेन रेड सिग्नल पार कर जाएगी तो एक मैसेज स्वत: जेनरेट होगा और आसपास की सभी ट्रेनों और प्लेटफार्म तक पहुंच जाएगा। इसके बाद भी यदि ड्राइवर सक्रिय नहीं हुआ तो सिस्टम स्वत: ब्रेक लगाकर ट्रेन रोक देगा। सभी लोकोमोटिव में इस तकनीक को लगाने के बाद इसे सक्रिय कर दिया जाएगा।

Posted By: Inextlive