हैलट हॉस्पिटल में स्ट्रोक और शॉक पेशेंट की जान बचाना अब और आसान होगा. इसके लिए थ्रोम्बोसिस यूनिट का निर्माण किया जा रहा है. यूनिट में स्ट्रोक के पेशेंट को 95 परसेंट ठीक होने की संभावना होगी. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो.संजय काला ने बताया कि सर्दी हो या गर्मी का मौसम दोनों में ही स्ट्रोक की संभावना अधिक होती है. ऐसे पेशेंट को तत्काल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है. इसलिए यूनिट का निर्माण कराया जा रहा है.

कानपुर (ब्यूरो)। हैलट हॉस्पिटल में स्ट्रोक और शॉक पेशेंट की जान बचाना अब और आसान होगा। इसके लिए थ्रोम्बोसिस यूनिट का निर्माण किया जा रहा है। यूनिट में स्ट्रोक के पेशेंट को 95 परसेंट ठीक होने की संभावना होगी। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो.संजय काला ने बताया कि सर्दी हो या गर्मी का मौसम, दोनों में ही स्ट्रोक की संभावना अधिक होती है। ऐसे पेशेंट को तत्काल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है। इसलिए यूनिट का निर्माण कराया जा रहा है। थ्रोम्बोसिस यूनिट की शुरूआत अक्टूबर के एंड तक होगी। यूनिट में पेशेंट को ईसीजी सहित अन्य अत्याधुनिक मशीनों और वेंटीलेटर की सुविधा मिलेगी। यूनिट बनाने के लिए कार्य शुरू हो गया है।

अधिकतर गंभीर पेशेंट आते
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट हॉस्पिटल की इमरजेंसी यूनिट में अधिकांश गंभीर पेशेंट ही आते हैं। गंभीर बीमारी या हादसों की वजह से पेशेंट शॉक में चले जाते हंै। इसके अलावा बदलते मौसम में स्ट्रोक के पेशेंट भी आते हैं। इनमें सिटी के साथ कन्नौज, कानपुर देहात, उन्नाव, औरैया, फर्रुखाबाद आदि सिटीज के पेशेंट शामिल रहते हैं। ऐसे पेशेंट के लिए नई थ्रोम्बोसिस यूनिट का निर्माण किया जा रहा है। यूनिट में अगर स्ट्रोक या शॉक के पेशेंट चार घंटे के अंदर पहुंचते हैं तो उनके पूरी तरह से ठीक होने की संभावना होगी।

यूनिट में होंगे छह बेड
डॉक्टर्स के मुताबिक यूनिट में पेशेंट के लिए छह बेड की व्यवस्था होगी और पेशेंट को स्वास्थ्य लाभ देने के लिए यूनिट में दो डॉक्टर 24 घंटे कार्यरत रहेंगे। इसके अलावा यूनिट में दो वेंटीलेटर, ईसीजी सहित अन्य जरूरी मशीनें रहेगीं। हैलट के एसआईसी डॉ। आरके सिंह ने बताया कि थ्रोम्बोसिस यूनिट में पेशेंट को थ्रोम्बोलिसिस थेरेपी, इंजेक्शन और दवा दी जाएगी। इसके साथ ही उनकी मॉनिटरिंग भी की जाएगी। मॉनिटरिंग पर डॉ। सिंह कहते हैैं कि पांच परसेंट पेशेंट में कठिनाई भी हो सकती है। इसलिए सभी पेशेंट की मॉनिटरिंग होगी। अगले महीने के अंत तक यूनिट बनकर तैयार हो जाएगी।

आधा दर्जन से अधिक पेशेंट डेली
हैलट की इमरजेंसी यूनिट में ठंड के मौसम में स्ट्रोक के पेशेंट, डेली आधा दर्जन से ज्यादा आते हैं। कई बार गंभीर पेशेंट को ट्रीटमेंट मुहैया कराने की वजह से स्ट्रोक के पेशेंट को प्राथमिक उपचार देकर ट्रीटमेंट किया जाता है। थ्रोम्बोसिस यूनिट खुलने से स्ट्रोक और शॉक के पेशेंट अब अलग यूनिट में भर्ती हो सकेंगे।
क्या होता है थ्रोम्बोसिस
थ्रोम्बोसिस रक्त वाहिकाओं (आर्टरी या वीन) के अंदर रक्त के थक्के(ब्लड क्लॉटिंग) का निर्माण है जो पूरे शरीर में ब्लड के सर्कुलेशन को बाधित कर सकता है। कई बार एक या अधिक ब्लड क्लॉट बनते हैं। जब ऐसा होता है, तो क्लॉट उस जगह पर रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है जहां यह बना था, या यह ढीला होकर आपके शरीर में कहीं और जा सकता है। यदि कोई गतिशील थक्क किसी महत्वपूर्ण क्षेत्र में फंस जाता है, तो यह स्ट्रोक और दिल के दौरे जैसी जानलेवा स्थितियों का कारण बन सकता है।

इस तरह के होते हैं लक्षण
-शरीर के एक तरफ की मांसपेशियों में कमजोरी या नियंत्रण में परेशानी
-स्पष्ट बोल न पाना, आवाज में लड़खड़ाहट
-चेहरे के एक तरफ ध्यान देने योग्य झुकाव
- भ्रम, बेचैनी या असामान्य व्यवहार परिवर्तन
- सीने में दर्द या बेचैनी, दिल का दौरा
-सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना या बेहोश हो जाना

Posted By: Inextlive