कानपुर कमिश्नरेट पुलिस को इस बार &खाकी&य पर दाग पसंद नहीं आ रहे हैं. यह बात हम यूं ही नहीं कह रहे हैं. तीन साल यानि 2022 से 2024 के आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे पुलिसकर्मियों पर सबसे ज्यादा आरोप इसी साल लगे हैं. इस साल अभी तक 61 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड और लाइनहाजिर किया गया. खास बात यह है कि जहां पहले पुलिसकर्मियों को सस्पेंड और लाइनहाजिर करने के बाद उनकी बहाली कुछ महीनों बाद ही हो जाती थी लेकिन इस बार पुलिसकर्मियों की बहाली नहीं हो रही है.

कानपुर (ब्यूरो)। कानपुर कमिश्नरेट पुलिस को इस बार &खाकी&य पर दाग पसंद नहीं आ रहे हैं। यह बात हम यूं ही नहीं कह रहे हैं। तीन साल यानि 2022 से 2024 के आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे पुलिसकर्मियों पर सबसे ज्यादा आरोप इसी साल लगे हैं। इस साल अभी तक 61 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड और लाइनहाजिर किया गया। खास बात यह है कि जहां पहले पुलिसकर्मियों को सस्पेंड और लाइनहाजिर करने के बाद उनकी बहाली कुछ महीनों बाद ही हो जाती थी, लेकिन इस बार पुलिसकर्मियों की बहाली नहीं हो रही है। इस साल अभी तक सिर्फ तीन पुलिसकर्मी बहाल किए हैं। जबकि इससे पहले 2022 में 29 पर कार्रवाई हुई, इनमें 11 बहाल हो गए। वहीं, 2023 में 28 पर कार्रवाई हुई, इनमें 19 बहाल कर दिये। ऐसे में माना जा रहा है कि जुर्म आम करे या खास, बख्शा किसी को नहीं जाएगा।

लगातार लग रहा खाकी पर दाग
इस साल कहीं रिश्वत लेते इंस्पेक्टर रंगे हाथ पकड़े जाते हैैं तो कहीं चोरी का सोना ठिकाने लगाने में थानाध्यक्ष के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की जाती है। कहीं शादी का झांसा देने के मामले में रेप के मामले में सस्पेंशन होता है तो कहीं बर्खास्तगी की कार्रवाई भी की जाती है। फ्राइडे को साउथ जोन के एक थाने का मामला सामने आया, जिसमें सालों से होटल चला रहे होटल संचालक से एक साथ 50 हजार रुपये और 8 हजार रुपये महीने देने की बात कही। वहीं संबंधित दारोगा का कहना है कि उसने ऐसी कोई बात ही नहीं की है।


खूब हुआ कार्रवाई और बहाली का खेल
बीते साल में कमिश्नरेट में कार्रवाई तो हुई लेकिन उतनी नहीं जितनी होनी चाहिए थी। कार्रवाई कराने के बाद या तो पुलिस कर्मी ने ट्रांसफर करा लिया या गैरहाजिर हो गया। इसके अलावा तीसरा रास्ता कोर्ट की शरण में चले गए। कोर्ट के अलावा जाने वाले दो रास्तों में गैरहाजिर रपट और कुछ दिन बाद क्षमा याचना की एप्लीकेशन और फिर से एक बार बहाली। कहीं कहीं बीते साल पुलिस को अपने ही कर्मियों की वजह से बदनाम भी होना पड़ा। साइबर शातिरों का साथ देने वाले अमित के खिलाफ डेढ़ साल पहले कार्रवाई हुई थी। अमित का अब तक पता नहीं चला। न तो वह कोर्ट पहुंचा और न ही पुलिस उसे तलाश पाई। ऐसे एक नहीं कई मामले सामने आ चुके हैैं। अमित के खिलाफ सारी कार्रवाई हो चुकी है।

दो थानेदारों के आपसी विवाद
शहर में दो थानेदारों के विवाद के बाद कमिश्नरेट के सीनियर ऑफिसर्स बड़ी कार्रवाई भी कर चुके हैैं। काकादेव थाना प्रभारी और नवाबगंज थाना के बीच हुए विवाद के बाद बड़ी कार्रवाई हुई थी, जिसमें एक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई भी हो चुकी है।

90 पुलिस कर्मियों पर चार से ज्यादा केस
पुलिस कर्मियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और अपराध की शिकायतें बढऩे पर तत्कालीन पुलिस कमिश्नर बीपी जोगदंड ने चारों जोन से 90 ऐसे दागी कर्मियों की सूची तैयार कराई थी, जिनके ऊपर चार मुकदमे दर्ज थे। अब यह दागी सूची और लंबी हो गई है। रेल बाजार कांड के बाद एक बार फिर पुलिस कमिश्नर ने ऐसे पुलिस कर्मियों को चिह्नित करने को कहा है, जो अपराध करते या कराते हों अथवा आचरण ठीक न हो।

Posted By: Inextlive