बीते कुछ सालों में हेपेटाइटिस बी व सी से ग्रसित पेशेंट के आंकड़ों को कम करने के लिए शासन ने ठोस कदम उठाए है. शासन ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट को नोडल टेस्टिंग सेंटर और गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी डिपार्टमेंट को नोडल ट्रीटमेंट सेंटर बनाया हैं.

कानपुर (ब्यूरो)। बीते कुछ सालों में हेपेटाइटिस बी व सी से ग्रसित पेशेंट के आंकड़ों को कम करने के लिए शासन ने ठोस कदम उठाए है। शासन ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट को नोडल टेस्टिंग सेंटर और गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी डिपार्टमेंट को नोडल ट्रीटमेंट सेंटर बनाया हैं। जहां सेंट्रल गवर्नमेंट के नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के तहत हेपेटाइटिस बी व सी के पेशेंट के वायरल लोड की फ्री जांच होगी। पेशेंट के बॉडी में वायरल लोड के आधार पर ही उसको मेडिसिन व ट्रीटमेंट दिया जाएगा। इस जांच से डॉक्टर्स को पेशेंट का ट्रीटमेंट करने में काफी आसानी मिलेगी।

ट्रायल शुरु, 10 दिन बाद मिलने लगेगी सुविधा

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो। संजय काला ने बताया कि नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के तहत शासन ने यह सुविधा मुहैया कराई है। जो जांच प्राइवेट संस्थानों में लगभग 20 हजार रुपए की होती है। वही वायरल लोड की जांच जीएसवीएम मेें फ्री की जाएगी। इसका ट्रायल बीते कुछ दिनों से चल रहा है। आने वाले 10 दिनों में इसका लाभ कानपुराइट्स समेत आसपास से 18 सिटीज से ट्रीटमेंट को आने वाले पेशेंट को मिलने लगेगी।

स्क्रीनिंग बढऩे से चिन्हित होने लगे पेशेंट

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के गेस्ट्रोलॉजी डिपार्टमेंट प्रो। विनय कुमार ने बताया कि ऐसा नहीं है कि हेपेटाइटिस के पेशेंट की संख्या बीते दिनों की अपेक्षा वर्तमान में बढ़ी है। लेकिन कोरोना के बाद पेशेंट की स्क्रीनिंग बढऩे की वजह से जांच में हेपेटाइटिस के पेशेंट चिन्हित होकर निकल रहे हैं। यहीं कारण है कि हेपेटाइटिस के पेशेंट की संख्या बढ़ी है। उन्होंने बताया कि सभी सर्जरी व सिजेरियन डिलेवरी से पहले हेपेटाइटिस की भी जांच कराई जाती है। जिसमें कई पेशेंट पॉजिटिव निकलते हैं।

हेपेटाइटिस बी के 40 व सी के 10 पेशेंट हर वीक

प्रो। विनय कुमार बताते है कि हैलट हॉस्पिटल में गेस्ट्रोलॉजी डिपार्टमेंट की ओपीडी में हर सप्ताह हेपेटाइटिस बी के 30 से 40 पॉजिटिव पेशेंट ट्रीटमेंट को आते हैं। वहीं हेपेटाइटिस सी के एक वीक में लगभग 10 पॉजिटिव केस ट्रीटमेंट के लिए आते है। उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस बी के पेशेंट समय पर ट्रीटमेंट के लिए आते है तो उनकी बीमारी को कंट्रोल में रखा जा सकता हैं। वहीं हेपेटाइटिस सी के पेशेंट समय पर आते है तो तीन माह के निरंतर ट्रीटमेंट से उसको पूरी तरह से स्वस्थ किया जा सकता है।
आरटीपीसीआर टेस्टिंग होगी

माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट की एचओडी प्रो। सुरैया खान व नोडल टेस्टिंग आफिसर प्रो। विकास मिश्रा ने बताया कि सेंट्रल गवर्नमेंट के शुरु किया गए प्रोग्राम के तहत पेशेंट की स्क्रीनिंग कर हेपेटाइटिस बी व सी के वायर लोड की जांच की जाएगी। उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस के पॉजिटिव केस की मॉलीक्यूलर टेस्टिंग आरटीपीसीआर तकनीकी से हेपेटाइटिस बी व सी के वायर लोड की स्थति को जाना जाएगा। जिसके आधार पर ट्रीटमेंट जाएगा। इसके अलावा नेशनल वायरल हेपेटाइटिस प्रोग्राम के तहत पोर्टल में रजिस्टर्ड किया जाएगा।

यह है लक्षण
डॉ। विनय ने बताया कि हेपेटाइटिस बी व सी में शुरुआती दौर में काई लक्षण नहीं होता है। लेकिन बाद में पीठ के लीवर के बैक साइड दर्द रहना, सांस फूलना, मतली आना, भूख न लगना, पीलिया से ग्रसित होते हैं।

Posted By: Inextlive