प्रेसीडेंट के इंस्ट्रक्शन के बाद सेंट्रल पर लिखा जाएगा 'झंडा गीत'
- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आदेश के बाद कानपुर सेंट्रल के दोनों गेट पर शिलापट पर लिखा जाएगा झंडा गीत
kanpur@inext.co.in KANPUR : 'विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा' ये पूरा झंडा गीत अब कानपुर सेंट्रल पर हर कोई पैसेंजर पढ़ सकेगा। पार्षद स्मृति संस्थान ने सेंट्रल स्टेशन के गेट पर इस गीत के शिलापट लगाने की रिक्वेस्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से की थी। जिसके बाद राष्ट्रपति ने इसे लगाने के निर्देश दिए हैं। शासन से आए निर्देश के बाद डीएम विजय विश्वास पंत ने इसे लगाने को लेकर कार्यवाही शुरू कर दी है। बता दें कि कानपुर जनरलगंज निवासी पद्मश्री श्यामलाल गुप्त 'पार्षद' ने इस झंडा गीत की रचना की थी। ईयर 1924 में लिखा गया यह गीत आजादी के दौरान पूरे देश में गूंज उठा था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का झंडा गीत के प्रति विशेष लगाव है।गीत को लेकर रोचक है इतिहास
-ईयर 1923 में फतेहपुर जिला कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। सभापति के रूप में पधारे मोतीलाल नेहरू को अधिवेशन के दूसरे दिन ही जरूरी काम से मुंबई जाना पड़ा। -उनके स्थान पर सभापतित्व संभालने वाले गणेश शंकर विद्यार्थी को अंग्रेज सरकार के विरोध में भाषण देने के कारण जेल जाना पड़ा।-कांग्रेस ने उस समय तक 'तिरंगा झंडा' तय कर लिया था, लेकिन जन-मन को प्रेरित कर सकने वाला कोई झंडागीत नहीं था। ये बात श्यामलाल गुप्त को खटक रही थी।
- ऐसे में उन्होंने झंडागीत लिखने की ठान ली। साल 1924 में कानपुर में होने वाले अधिवेशन से पहले उन्होंने पूरी-पूरी रात जागकर झंडागीत की रचना की। -7 छंदों में लिखे इस गीत के पहले और आखिरी छंद को बेहद लोकप्रियता मिली। जलियावाला बाग के स्मृति में पहली बार यह गीत 13 अप्रैल 1924 को कानपुर के फूलबाग मैदान में हजारों लोगों के सामने गाया गया। उस दौरान जवाहर लाल नेहरू भी इस आम सभा में मौजूद थे। -पंडित नेहरू ने गीत को सुनकर कहा था, भले ही लोग श्याम लाल गुप्त को नहीं जानते होंगे, लेकिन पूरा देश राष्ट्रीय ध्वज पर लिखे गीत से जरूर परचित होगा। -क्रांतिकारी श्यामलाल गुप्त पार्षद को आजादी के बाद ईयर 1952 में 15 अगस्त को इस गीत को गाने के लिए लाल किला बुलाया गया था और उनसे गीत को गाने का अनुरोध किया था।