जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज का एलएलआर हॉस्पिटल हैलट मेडिकल फैसिलिटीज में प्राइवेट हॉस्पिटल्स को टक्कर दे रहा है. प्राइवेट में लाखों रुपये में होने वाला नी रिप्लेसमेंट हैलट में आधे से कम दाम में पहले से ही किया जा रहा है. लेकिन अब शासन से इम्पोर्ट इम्प्लांट का अप्रूवल मिलने के बाद लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से नी रिप्लेसमेंट सर्जरी शुरू कर दी गई है. कुछ सप्ताह पहले ही यहां पर आयुष्मान कार्ड के पात्र 65 साल के सीनियर सिटीजन का दोनों पैरों का नी रिप्लेसमेंट फ्री में किया गया है

कानपुर (ब्यूरो)। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज का एलएलआर हॉस्पिटल (हैलट) मेडिकल फैसिलिटीज में प्राइवेट हॉस्पिटल्स को टक्कर दे रहा है। प्राइवेट में लाखों रुपये में होने वाला नी रिप्लेसमेंट, हैलट में आधे से कम दाम में पहले से ही किया जा रहा है। लेकिन, अब शासन से इम्पोर्ट इम्प्लांट का अप्रूवल मिलने के बाद लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से नी रिप्लेसमेंट सर्जरी शुरू कर दी गई है। कुछ सप्ताह पहले ही यहां पर आयुष्मान कार्ड के पात्र 65 साल के सीनियर सिटीजन का दोनों पैरों का नी रिप्लेसमेंट फ्री में किया गया है, जिसके बाद से यहां पर सर्जरी कराने वाले पेशेंट्स की संख्या में इजाफा हुआ है।

हर सप्ताह 25 से ज्यादा पेशेंट
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ऑर्थो डिपार्टमेंट के प्रो। रोहित नाथ ने बताया कि ओपीडी में डेली 25 से अधिक पेशेंट गठिया दर्द की समस्या लेकर आते हंै। जिसमें से लगभग 10 पेशेंट का नी रिप्लेसमेंट किया जाता है। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले तक पहले नी रिप्लेसमेंट कराने वालों की संख्या काफी कम थी। पेशेंट प्राइवेट हॉस्पिटल की तरफ अधिक आकर्षित होते थे। लेकिन हैलट में आधुनिक सुविधा होने के बाद अब यहां पर नी रिप्लेसमेंट वाले पेशेंट की संख्या बढ़ रही है।

प्राइवेट वार्ड शुरू होने के बाद बढ़ेंगे केस
डॉक्टर्स के मुताबिक, हैलट में 50 बेड का प्राइवेट वार्ड शुरू होने के बाद नी रिप्लेसमेंट कराने वाले पेशेंट की संख्या और बढऩे की संभावना है। क्योंकि वर्तमान में नी रिप्लेसमेंट कराने वाले पेशेंट सर्जरी के बाद रुकने के लिए प्राइवेट एसी वार्ड की सुविधा के बारे में पूछते हैं। लेकिन वर्तमान में एसी प्राइवेट रूम न होने की वजह से वह प्राइवेट हॉस्पिटल चले जाते हैं। उन्होंने बताया कि एक-दो महीने में प्राइवेट एसी वार्ड शुरू हो जाएगा। जिसके बाद पेशेंट प्राइवेट हॉस्पिटल की बजाए हैलट में नी रिप्लेसमेंट कराना बेहतर समझेगा।

80 से 90 हजार में दर्द हो जाएगा दूर

नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए सिटी के प्राइवेट हॉस्पिटल 2 से 3 लाख रुपए खर्च करने होते हंै। जबकि हैलट में यह सर्जरी 80 से 90 हजार में होती है। इसमें इम्पोर्ट इम्प्लांट का खर्च 70 से 80 हजार रुपए आता है। वहीं कुछ मेडिसिन बाहर से लेनी पड़ती है। जिसेसे पेशेंट का 80 से 90 हजार के बीच में खर्च हो जाता है। जोकि प्राइवेट हॉस्पिटल की अपेक्षा आधे से भी कम है।

घुटने का इम्पोर्ट इम्प्लांट का अप्रूवल शासन से मिलने के बाद गठिया रोग से ग्रसित पेशेंट को काफी राहत मिलेगी। बीते एक सप्ताह पूर्व आयुष्मान योजना के तहत 65 वर्ष के सीनियर सिटीजन के दो पैरों का नी रिप्लेसमेंट किया गया है।
प्रो। रोहित नाथ, आर्थो सर्जन, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive