शहर का बिगड़ा ट्रैफिक सिस्टम कानपुराइट्स के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. रोजाना जाम से जूझना अब आदत से बन गई है. सिटी में जाम लगने की एक बड़ी वजह बन्द रेलवे क्रॉसिंग्स हैं. इन रेलवे क्रासिंग्स पर ओवरब्रिज बनाने के सपने तो दिखाए जाते हैं लेकिन सालों तक ये सिर्फ फाइलों में ही बना करते हैं. और किसी तरह जमीन पर उतर गए तो 2-4 वर्ष ही नहीं कई बार एक-एक दशक तक लग जाता है. सीओडी क्रॉसिंग ओवर ब्रिज इसका एग्जाम्पल है. इसी तरह सुजातगंज और पनकी पड़ाव रेलवे क्रासिंग पर वर्षो से फाइलों में ब्रिज बन रहा है. अब तक इन ब्रिजेस का काम जमीन पर शुरू नहीं हो सका है. दोनों ब्रिज की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट शासन में अटकी पड़ी हुई है. इस बीच प्रोजेक्ट कास्ट जरूर बढ़ती जा रही है.

कानपुर (ब्यूरो)। शहर का बिगड़ा ट्रैफिक सिस्टम कानपुराइट्स के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। रोजाना जाम से जूझना अब आदत से बन गई है। सिटी में जाम लगने की एक बड़ी वजह बन्द रेलवे क्रॉसिंग्स हैं। इन रेलवे क्रासिंग्स पर ओवरब्रिज बनाने के सपने तो दिखाए जाते हैं लेकिन सालों तक ये सिर्फ फाइलों में ही बना करते हैं। और किसी तरह जमीन पर उतर गए तो 2-4 वर्ष ही नहीं कई बार एक-एक दशक तक लग जाता है। सीओडी क्रॉसिंग ओवर ब्रिज इसका एग्जाम्पल है। इसी तरह सुजातगंज और पनकी पड़ाव रेलवे क्रासिंग पर वर्षो से फाइलों में ब्रिज बन रहा है। अब तक इन ब्रिजेस का काम जमीन पर शुरू नहीं हो सका है। दोनों ब्रिज की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट शासन में अटकी पड़ी हुई है। इस बीच प्रोजेक्ट कास्ट जरूर बढ़ती जा रही है।

2019 में हुआ सर्वे

श्याम नगर, जवाहरपुरम, देहलीसुजानपुर, सतबरी आदि से मालरोड, टाटमिल की ओर आने के लिए हर रोज लाखों की संख्या में लोग सुजातगंज रेलवे क्रॉसिंग होकर गुजरते हैं। लेकिन डेली 50 के लगभग मालगाडिय़ां गुजरने की वजह से लोगों को जाम से जूझना पड़ता है। वर्ष 2019 में सिटी की सुजातगंज व पनकी पड़ाव सहित कई अन्य जिलों की मिलाकर 14 क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज बनाए जाने को रेलवे ने सहमति दी थी। तत्कालीन जीएम राकेश सिंह ने सर्वे कराकर टू-टू लेन का प्रपोजल भेजा था। हालांकि बाद में डिफेंस का सीओडी होने के कारण एनओसी और स्पेस आदि प्रॉब्लम बताकर अंडरपास का प्रपोजल तैयार किया गया।

बढ़ती जा रही प्रोजेक्ट कॉस्ट

करीब एक साल पहले फिर टू लेन ब्रिज का प्रपोजल तैयार शासन को भेजा गया। इस ब्रिज की प्रोजेक्ट कास्ट बढक़र अब 97 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। हालांकि अब तक शासन से मंजूरी नहीं मिली और काम शुरू नहीं हो सका है। ये जरूर है कि सुजातगंज की बन्द रेलवे क्रासिंग के कारण आज भी 75 हजार से अधिक वाहन सवारों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें पीएसी मोड़ जीटी रोड से घूम कर मालरोड व टाटमिल की ओर जाना पड़ रहा है। इधर ऑफिसर प्रोजेक्ट पास न होने के कारण कास्ट और भी बढऩे की आशंका जताई जा रही है।

एलाइनमेंट और डिजाइन में फंसा

सुजातगंज की तरह पनकी पड़ाव क्रॉसिंग पर रेलवे ओवर ब्रिज भी फंसा हुआ है। इसकी वजह पनकी गंगागंज, जवाहरपुरम, शताब्दी नगर, रतनपुर एक्सटेंशन आदि मोहल्लों में लाखों की पापुलेशन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि दिल्ली-हावड़ा ट्रैक की इस क्रॉसिंग पर हर 15-20 मिनट पर एक ट्रेन गुजरती है। 2022 में इस ब्रिज का एलाइमेंट और डिजाइन भी फाइनल हो गया। हालांकि बाद में लोगों ने एलाइनमेंट को विरोध कर दिया। उन्होंने ट््रांसपोर्ट नगर के साथ हाईवे की ओर सेल की तरफ ब्रिज के लिए अप्रोच रोड बनाने की मांग की।

एल से बदलकर टी शेप

विरोध को देखते हुए गोविन्द नगर के एमएलए ने लोगों के साथ निरीक्षण किया। एल से बदलकर इसका शेप टी करते हुए एलाइनमेंट और डिजाइन बनाई गई है। तब लगभग 788 मीटर इस ब्रिज की कास्ट 58 करोड़ बताई गई थी। इसके बाद प्रपोजल शासन को भेज दिया गया। लेकिन अब यह ब्रिज फाइलों में ही अटका हुआ है। जमीन पर काम शुरू नहीं हो सका है। कुल मिलाकर लोगों को बन्द रेलवे क्रॉसिंग और जाम की समस्या से जूझना पड़ रहा है। कई बार क्रॉसिंग पर लगे जाम के कारण विजय नगर-पनकी भौंती रोड भी ब्लाक हो जाती है।

Posted By: Inextlive