Delhi Howrah Train route पर 160 की रफ्तार से दौड़ेंगी शताब्दी, राजधानी ट्रेनें
कानपुर (ब्यूरो)। न्यू ईयर से पहले रेलवे पैसेंजर्स के लिए गुड न्यूज है। जल्द ही रेलवे पैसेंजर्स का सफर पहले से फास्ट और कहीं ज्यादा सेफ हो जाएगा इसके लिए रेलवे अपने पूरे सिग्नल नेटवर्क को कम्प्यूटराइज्ड कर रहा है। इसी क्रम में राजधानी व शताब्दी ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने की तैयारी शुरू भी की जा चुकी है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत एनसीआर समेत देश में 640 किमी रेल मार्ग पर सिग्नल सिस्टम को मॉडर्न बनाने का वर्क मार्च से शुरू हो जाएगा। जिसमें सफलता हासिल होने पर आने वाले समय में फुल सिग्नल नेटवर्क कम्प्यूटराइज्ड हो जाएगा। जिससे ट्रेनों की स्पीड सुधरने के साथ ही रेल दुर्घटनाओं की आशंका भी नाम मात्र हो जाएगी।
लेटलतीफी में होगा सुधाररेलवे आफिसर्स के मुताबिक इस प्रोजेक्ट से जहां एक तरफ ट्रेन की स्पीड बढ़ेगी। वहीं दूसरी ओर ट्रैक क्षमता भी बढ़ेगी। जिससे ट्रेनों की लेटलतीफी में भी सुधार हो जाएगा। नई ट्रेनों को चलाने का रास्ता खुल जाएगा। सिग्नल सिस्टम के मॉडर्नाइजेशन से घने कोहरे, बारिश व खराब मौसम में ट्रेनें अपनी फिक्स स्पीड से दौड़ सकेंगी। जिससे लाखों पैसेंजर्स को रिलीफ मिलेगी।
कानपुर से दिल्ली तक सिस्टम फिटएनसीआर सीपीआरओ अजीत कुमार सिंह ने बताया कि कानपुर से दिल्ली तक रेलवे ट्रैक का लगभग 80 परसेंट सिग्नल सिस्टम ऑटोमैटिक कर दिया गया है। जिससे कानपुर से दिल्ली के बीच तक ट्रेनों की स्पीड प्रभावित नहीं होती है। इसका उदाहरण वंदे भारत एक्सप्रेस है। जोकि दिल्ली से कानपुर तक 99 परसेंट राइट टाइम चलती है। वहीं कानपुर से वाराणसी के बीच में यह अक्सर लेट हो जाती है।
झांसी रूट पर चल रहा ट्रायलरेलवे ट्रैफिक एंड सिग्नल डिपार्टमेंट के आफिसर्स के मुताबिक पहली बार कई आधुनिक तकनीक का एक साथ प्रयोग कर सिग्नल सिस्टम को आधुनिक सिस्टम से लैस किया जा रहा है। इसमें चार सबसे व्यस्त रेलमार्ग पर यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम लेवल 2 के टेंडर के लिए कंपनियों को आमंत्रित किया गया है। तकनीक व वित्तीय क्षमता परखने के बाद मार्च 2020 तक ईसीटी का वर्क शुरू हो जाएगा। यह प्रोजेक्ट झांसी-बीना सेक्सन समेत अन्य सेक्सन में शुरु होगा। इसके सफल होने पर कानपुर से मुम्बई जाने वाली ट्रेनों की भी स्पीड में सुधार आएगा।क्या है ऑटोमैटिक सिग्नलिंगरेलवे आफिसर्स के मुताबिक ऑटोमैटिक सिग्नल से एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच में कम से कम तीन ट्रेनों का संचालन एक ही ट्रैक पर किया जा सकता है। वर्तमान में कोहरे के दौरान एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच में एक ही ट्रेन का संचालन किया जाता है। ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम से ट्रेन के ड्राइवर को सिग्नल समेत अन्य जानकारी वायरलेस से आसानी से मिल जाएगी। जिससे दुर्घटना की आशंका शून्य हो जाएगी।
आंकड़े389 से अधिक ट्रेनों का संचालन3 लाख से ज्यादा पैसेंजर्स का मूवमेंट30 जोड़ी से अधिक ट्रेनों का आवागमन कानपुर-झांसी-मुम्बई रूट पर2020 के मार्च माह में शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट 218 माह में ऑटोमैटिक सिग्नलिंग वर्क पूरा करने का लक्ष्य'पैसेंजर्स की सुरक्षा व सुविधाओं को देखते हुए रेलवे बोर्ड इस प्रोजेक्ट में तेजी से काम कर रहा है। इससे ट्रेनों की स्पीड बढ़ेगी। ट्रेनों की लेटलतीफी होने की समस्या भी दूर हो जाएगी.'- अजीत कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनसीआर रीजनkanpur@inext.co.in