कानपुर कमिश्नरेट के रिमोट थानों में तहरीर कराने के बाद आपको एफआईआर की कॉपी लेनी है तो 24 से 36 घंटे का इंतजार करना पड़ेगा. इसकी वजह ये है कि इन रिमोट थानों में न तो संसाधन हैैं और न ही यहां बेहतर नेटवर्क है.

कानपुर (ब्यूरो)। कानपुर कमिश्नरेट के रिमोट थानों में तहरीर कराने के बाद आपको एफआईआर की कॉपी लेनी है तो 24 से 36 घंटे का इंतजार करना पड़ेगा। इसकी वजह ये है कि इन रिमोट थानों में न तो संसाधन हैैं और न ही यहां बेहतर नेटवर्क है। इस समस्या का समाधान विभाग ने कुछ इस तरह निकाला है कि जिन थानों से टूटकर ये थाने बने हैैं, वहां के सिस्टम में एफआईआर दर्ज की जा रही है। आपकी शिकायत संबंधित थाने में ली जाएगी और आपको 24 से 36 घंटे में एफआईआर लेने के लिए कहा जाएगा। इन 24 से से 36 घंटे में कनेक्टेड थाने में केस दर्ज होने के बाद आपको इसकी कॉपी दी जाएगी। वहीं, चिट्ठी मंजूरी यानि मेडिकल के लिए भी मूल थाने से ही परमिशन लेनी पड़ती है। इससे लोगों को तो परेशानी का सामना करना ही पड़ रहा है, साथ ही पुलिस कर्मियों को भी लोगों के तमाम सवालों का सामना करना पड़ रहा है।


आम आदमी के साथ पुलिस कर्मी भी जूझते हैैं परेशानियों से

रिमोट थाना होने से आम आदमी ही नहीं पुलिस कर्मियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन थानों में न तो पुलिस कर्मियों के लिए मेस होती है और न ही वॉशरूम। और तो और लगातार ड्यूटी करने के बाद रेस्ट रूम या बैरिक भी नहीं होती है। इन सारी समस्याओं की वजह से महिला पुलिस कर्मियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। रात के समय इन थानों में महिला पुलिस कर्मियों की ड्यूटी नहीं लगती है। पुलिस के सामने इन रिमोट थानाक्षेत्रों की सबसे बड़ी समस्या ये भी है कि महिला बंदियों को इमरजेंसी में यहां नहीं रखा जा सकता, इन्हें मूल थाने ही लेकर जाना होता है। उस पर पुलिस कर्मियों की संख्या कम होना। परेशानियों को और बढ़ा देता है।


पहले ही निपट जाते हैैं विवाद

पुलिस अधिकारियों की माने तो रिमोट थानाक्षेत्र में जो रूरल एरियाज आते हैैं। यहां होने वाले छोटे-छोटे विवाद को थानेदार या चौकी प्रभारी आसानी से हल कर देते हैैं। दूसरी बाद हर छोटे विवाद में दूर के थानों से पुलिस को पहुंचने में समय लगता था। ïवर्तमान में कोई विवाद होने पर पुलिस समय से पहुंच जाती है और समस्या का समाधान कर देती है। रिमोट थानों का सबसे बड़ा फायदा ये है कि आईजीआरएस और समाधान दिवस के दौरान शिकायतों की संख्या ज्यादा नहीं होती है और पुलिस मामलों का समाधान कर लेती है। सबसे बड़ा फायदा ये है कि मूल थानाक्षेत्रों में विवाद के दौरान पुलिस बड़ी संख्या में और समय से पहुंच जाती है।

Posted By: Inextlive