हैलट हॉस्पिटल में जल्द ही बर्न पेशेंट को मरहम मिल सकेगा. क्योंकि बर्न यूनिट की नई बिल्डिंग बनकर पूरी तरह तैयार है. वहीं पॉवर सप्लाई एसी फिटिंग के साथ मशीनों की फिटिंग का काम भी लगभग पूरा हो चुका है. अब भवन निर्माण करने वाली कंपनी बर्न यूनिट की नई बिल्डिंग को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को हैंड ओवर करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है.सब कुछ सही रहा तो नवंबर से बर्न यूनिट की नई बिल्डिंग में बर्न पेशेंट को ट्रीटमेंट मिलना शुरू हो जाएगा.

कानपुर (ब्यूरो)। हैलट हॉस्पिटल में जल्द ही बर्न पेशेंट को मरहम मिल सकेगा। क्योंकि बर्न यूनिट की नई बिल्डिंग बनकर पूरी तरह तैयार है। वहीं पॉवर सप्लाई, एसी फिटिंग के साथ मशीनों की फिटिंग का काम भी लगभग पूरा हो चुका है। अब भवन निर्माण करने वाली कंपनी बर्न यूनिट की नई बिल्डिंग को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को हैंड ओवर करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है.सब कुछ सही रहा तो नवंबर से बर्न यूनिट की नई बिल्डिंग में बर्न पेशेंट को ट्रीटमेंट मिलना शुरू हो जाएगा।

2019 में बना था प्रोजेक्ट
हैलट एसआईसी प्रो। आरके सिंह के मुताबिक इमरजेंसी के सामने बर्न यूनिट की नई बिल्डिंग बनाने का प्रोजेक्ट तत्कालीन जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने बनाया था। कारोना काल के दौरान प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया था। डॉ। संजय काला के मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल बनने के बाद बर्न पेशेंट की समस्या को देखते हुए प्रोजेक्ट पर गंभीरता दिखाई और दो साल के अंदर नई बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई। जल्द ही बिल्डिंग को हैंड ओवर किया जाएगा।

हैलट के ऑफिसर्स के मुताबिक वर्तमान में हैलट में बर्न पेशेंट को भर्ती करने के लिए कोई वार्ड नहीं है। पूराने बर्न वार्ड को रीडेवलपमेंट कर वार्ड में बदला जा रहा है। वहीं उसी के बगल में खाली पड़ी जमीन में नई बिल्डिंग बनाई गई है। जिससे बर्न पेशेंट को यहां पर भर्ती कर उनका ट्रीटमेंट किया जा सके। उन्होंने बताया कि सिटी में गर्वनमेंट हॉस्पिटल की बात करें तो उर्सला में 10 बेड का बर्न यूनिट है। जबकि पेशेंट की संख्या कई गुना अधिक है। लिहाजा पेशेंट को मजबूरन प्राइवेट हॉस्पिटल में अपने पेशेंट को भर्ती करना पड़ता है।

Posted By: Inextlive