सर्विस बॉंड ने रोका हार्ट सर्जरी का रास्ता
-बढ़ रहे पेशेंट, घट रहे सर्जन
- हार्ट डिसीज के पेशेंट्स लगातार बढ़ने के बावजूद इसका इलाज करने वाले सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की भारी कमी -हार्ट सर्जरी की पढ़ाई में एक करोड़ के सरकारी बांड ने रोका डॉक्टर्स का रास्ता, तीन साल से एक भी एडमिशन नहींKANPUR: एक तरफ हार्ट डिसीज लगातार बढ़ रही हैं वहीं दूसरी तरह इसका इलाज करने वाले सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की भारी कमी है। आगे चल कर यह और भी बड़ी क्राइसेस हो सकती है,क्योंकि कार्डियक सर्जरी की पढ़ाई करने के लिए डॉक्टर्स आ ही नहीं रहे। इस वजह से गवर्नमेंट के हार्ट इंस्टीट्यूट्स में सुपरस्पेशलिस्ट कोर्सेस की सीटें लगातार तीन सालों से खाली पड़ी हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, इसकी सबसे बड़ी वजह सरकार की ओर से एडमिशन के समय भराया जाने वाला सर्विस बॉन्ड है जिसकी वैल्यू एक करोड़ है। हालात ये हैं कि मौजूदा डॉक्टर्स पर पेशेंट्स के ट्रीटमेंट का भारी बोझ है। इस प्रॉब्लम से निपटने के लिए अब शासन स्तर से मुहिम शुरू हुई।
हार्ट सर्जन की भारी किल्लतयूपी में कार्डियोथोरेसिक सर्जन्स की बात करें तो मौजूदा वक्त में इनकी संख्या 100 भी नहीं है। यूपी के सबसे बड़े हार्ट इंस्टीट्यूट का दर्जा रखने वाले एलपीएस इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी में ही अभी तीन हार्ट सर्जन हैं। जोकि सीवीटीएस डिपार्टमेंट में बतौर फैकल्टी काम कर रहे हैं। इस डिपार्टमेंट में ही एमसीएच की तीन सीटें है। इस हिसाब से हर साल तीन पीजी डॉक्टर्स इस सुपरस्पेशलिस्ट कोर्स को करने के लिए आने चाहिए, लेकिन बीते तीन साल से यहां से एमसीएच करने के लिए कोई कैंडीडेट आया ही नहीं। इस वजह से डिपार्टमेंट में अब यहां कोई सीनियर रेजीडेंट बचा ही नहीं है। जिससे डॉक्टर्स को पेशेंट्स के ट्रीटमेंट में भी दिक्कतें आ रही हैं। मालूम हो कि थर्सडे को इंस्टीटयूट में होने वाली ओपीडी में हार्ट सर्जन ही बैठते हैं। इस दौरान एक हजार से ज्यादा पेशेंट्स आते हैं।
सीटें खाली रखने से ये दिक्कतें- - हार्ट सर्जरी में हयूमन रिसोर्स तैयार नहीं हो पाना - हार्ट सर्जरी के बाद पेशेंट्स की देखरेख में प्रॉब्लम्स - आयुष्मान योजना लागू होने की वजह से बढ़े हार्ट पेशेंट्स के ट्रीटमेंट में प्रॉब्लम - यूपी में बन रहे चार सुपरस्पेशिएलिटी ब्लॉकों के लिए हार्ट सर्जन की किल्लत - नए गवर्नमेंट मेडिकल कालेज में फैकल्टी की किल्लत - हार्ट सर्जरी में नई टेक्नोलॉजी के डेवलपमेंट में प्रॉब्लम इसके साथ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी का गैरकानूनी हो जाना --------------- सीटें भरने के लिए यह सॉल्यूशंस-- राजस्थान की तर्ज पर ही यूपी में भी सीवीटीएस में एमसीएच करने पर सर्विस बांड को खत्म किया जाए।
-नीट के एग्जाम में मेरिट लिस्ट में सीवीटीएस में कटऑफ को हटाया जाए ------------------- फैक्ट फाइल- - 8 सीटें पूरे यूपी में एमसीएच इन सीवीटीएस की - 4 गवर्नमेंट इंस्टीटयूट्स में ही एमसीएच इन सीवीटीएस की सुविधा यूपी में - 3 सीटें सबसे ज्यादा एलपीएस इंस्टीटयूट ऑफ कार्डियोलॉजी में - 50 हजार ओपीडी पेशेंट्स आए कार्डियक सर्जरी की ओपीडी में इंस्टीटयूट में - 800 से ज्यादा हार्ट सर्जरी हुई बीते साल एलपीएस इंस्टीटयूट ऑफ कार्डियोलॉजी में - 4 कार्डियक सर्जन, दो प्रोफेसर समेत ---------- सीवीटीएस में एमसीएच की सीटों पर इस बार कोई एडमिशन नहीं हुआ है। यह लगातार देखा जा रहा है। कि हार्ट सर्जरी की सीटें खाली जा रही हैं। शासन को पत्र लिख कर जानकारी दी है। साथ ही कुछ सुझाव भी दिए है। - प्रो। विनय कृष्णा, डॉयरेक्टर, एलपीएस इंस्टीटयूट ऑफ कार्डियोलॉजी