Kanpur News: संगीन अपराधों में शामिल पुलिसकर्मियों पर नहीं हो रही कार्रवाई
कानपुर (ब्यूरो)। एक कहावत आने जरूर सुनी होगी कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैैं और इसकी गिरफ्त से कोई अपराधी बच नहीं सकता। इसके बाद भी वो अपनों को नहीं पकड़ पा रहे हैैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सिटी में कई ऐसे मामले हैं, जिनमें पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई, लेकिन इसके बाद वह लापता हो गए। महीनों बाद भी उनको कोई अता पता नहीं है। इतना ही नहीं कुछ मामलों में तो क्लीनचिट देकर फाइल भी क्लोज कर दी गई। जहां पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की बात आती है तो पुलिस जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करती है। इसके बाद समय बीतने के साथ ही मामला ठंडे बस्ते में डाला दिया जाता है। जबकि नियमानुसार पुलिसकर्मियों पर सस्पेंड की कार्रवाई होने के बाद जब उन पर दोष सिद्ध हो जाता है तो उनकी सेवा समाप्त की जाती है।
केस: 1- दरोगा से परेशान होकर दी जान
एक सप्ताह पहले ही फेथफुलगंज निवासी दानिश ने शिवनारायण टण्डन सेतु के नीचे रेलवे ट्रैक पर सिर रखकर जान दे दी थी। जेब में मिले सुसाइड नोट में मौत का जिम्मेदार बहनोई सरताज और चौकी इंचार्ज माजिद खान को बताया था। जांच में पता चला कि दानिश के खिलाफ बहनोई सरताज ने कोर्ट के आदेश पर बाबूपुरवा थाने में केस दर्ज कराया था, जिसमें दारोगा माजिद खान समझौते का दबाव बना रहे थे। आत्महत्या करने से दो दिन पहले माजिद खान से समझौता न करने पर जेल भेजने की धमकी दी थी। जिससे दानिश बहुत परेशान था।
क्या कार्रवाई हुई घटना के बाद जब जांच में माजिद खान का नाम आया तो एसीपी बाबूपुरवा अंजलि विश्वकर्मा ने जांच की। 48 घंटे के अंदर ही माजिद खान को क्लीन चिट दे दी गई और पूरे मामले का दोष बहनोई सरताज पर मढ़ दिया गया। हालांकि इस मामले में डीसीपी साउथ अंकिता शर्मा का कहना है कि अभी जांच चल रही है। केस:2-चौकी इंजार्ज ने लापता युवती को बरामद कर किया बैड टचफेथफुलगंज से एक युवती गुम हो गई थी। जिसकी लोकेशन पुलिस को मुंबई में मिली थी। चौकी इंचार्ज गजेंद्र सिंह के साथ पीडि़ता का भाई, महिला दारोगा और कुछ पुलिस कर्मियों की टीम मुंबई के लिए रवाना हुई। युवती को बरामद करके पुलिस की टीम कानपुर ला रही थी। इसी दौरान गजेंद्र सिंह दारोगा ने पुलिस की टीम को दूसरे साधनों से रवाना कर दिया। इसके बाद युवती से न सिर्फ अश्लील हरकतेें की बल्कि किसी से कहने पर पूरे परिवार को मुकदमे में फंसाने की जानकारी भी दी। कानपुर आने पर जब इस बैड टच की चर्चा हुई तो गजेंद्र सिंह की वजह से कमिश्नरेट पुलिस का सिर नीचा होने लगा।
क्या कार्रवाई हुई संज्ञान में मामला लेने के बाद सीनियर ऑफिसर्स ने गजेंद्र को सस्पेंड कर दिया। इसके बाद नियमानुसार गजेंद्र को लाइन में आमद करा लेनी चाहिए, लेकिन गजेंद्र ने आमद नहीं कराई। डीसीपी ईस्ट एसके सिंह से जब इस मामले में बात की गई तो जांच रिपोर्ट आने तक इंतजार करने को कहा गया। एक महीने से ज्यादा हो गया, लेकिन जांच पूरी नहीं हो पाई। केस:3- सोना देख थानेदार का बदल गया ईमानलगभग दो महीने पहले साउथ जोन के बर्रा थानाक्षेत्र में चोरी की वारदात होती है। चोर कई लाख का सोना चांदी और जेवर ले जाते हैैं। केस दर्ज कर पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी। इसी बीच चोर चोरी का सोना बेचने के लिए रेल बाजार थाने पहुंच जाता है। सर्राफ पूरी ईमानदारी से मामले की जानकारी तत्कालीन थानाध्यक्ष विजय दर्शन शर्मा को देते हैैं। विजय दर्शन चोर को पकड़कर सोना भी ले आते हैैं। सोना थाने में ही गला दिया जाता है। चोर को सुविधा शुल्क लेकर छोड़ दिया जाता है। इस चोरी में बर्रा थाने की पुलिस लगी थी। पुलिस ने आरोपी चोर को गिरफ्तार किया तो सोने की पूछताछ की, चोर ने सारी घटना साफ साफ पुलिस अधिकारियों के सामने बयां कर दी। जब विजय दर्शन शर्मा से जानकारी मांगी गई तो वे फोन बंद कर फरार हो गए। साउथ जोन की पुलिस ने चांदी के जेवर बरामद कर चोर को जेल भेज दिया।
क्या कार्रवाई हुई करवा चौथ के 15 दिन पहले विजय दर्शन को सस्पेंड कर दिया गया। इसके बाद आज तक न तो विजय दर्शन का पता चला और न ही गुम हुए सोने का। डीसीपी ईस्ट ने बताया कि अभी जांच चल रही है। वहीं डीसीपी साउथ ने बताया गया कि विजय दर्शन शर्मा कोई तस्करा डाल गया था, जिसकी वजह से बर्रा के वर्तमान थानेदार का दोष सिद्ध नहीं होता है।