डॉक्टर हो या वकील...सक्सेसफुल बिजनेसमैन हो या फिर नेता...बड़ी मुश्किलों से वह अपना मुकाम बनाता है. अपना साम्राज्य खड़ा करता है. ऐसे में उसकी चाहत होती है कि उसका बेटा इस विरासत को न सिर्फ संभाले बल्कि आगे भी बढ़ाए. इसके कई बड़े उदाहरण भी समाज में आपके सामने होंगे.

कानपुर (ब्यूरो)। डॉक्टर हो या वकीलसक्सेसफुल बिजनेसमैन हो या फिर नेताबड़ी मुश्किलों से वह अपना मुकाम बनाता है। अपना साम्राज्य खड़ा करता है। ऐसे में उसकी चाहत होती है कि उसका बेटा इस विरासत को न सिर्फ संभाले बल्कि आगे भी बढ़ाए। इसके कई बड़े उदाहरण भी समाज में आपके सामने होंगे। यहां तक तो सब ठीक है लेकिन जब क्रिमिनल्स भी इसी राह पर चल पड़ें तो क्या होगा? शहर में दो दर्ज ने से ज्यादा शातिर क्रिमिनल्स और हिस्ट्रीशीटर्स हैं जिनकी तीन पीढ़ी की क्रिमिनल्स हिस्ट्री है। यानि वो भी जरायम की दुनिया में अपने पिता और दादा की विरासत को संभाल रहे हैं। कानपुर कमिश्नरेट पुलिस ने पुराने और नए अपराधियों का फैमिली ट्री बनाया तो ये चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।

52 थाने, 8000 क्रिमिनल
&अपने पैरों के निशां मिटाते चलिए, कहीं छोटे भी न चल पड़े इसी राह पर&य कानपुर में डी-टू गैैंग पर बनी &बाबर&य फिल्म का ये डायलॉग भी शायद यहां के हालात को देखकर ही लिखा गया था। कमिश्नरेट के 52 थानों में 8000 क्रिमिनल्स के नाम सामने आए हैैं, जिनमें से 3500 हिस्ट्रीशीटर्स हैैं। वहीं 26 फैमिली ट्री ऐसी मिली हैैं, जिनकी तीसरी पीढ़ी ने क्राइम का रास्ता पकडक़र अपने पिता और दादा के काम को आगे बढ़ाया है। कुछ क्रिमिनल्स नशे के कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं, तो कुछ लूट के कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैैं और कुछ छिनैती और हर तरह के क्राइम को अंजाम दे रहे हैैं।

तीन पीढिय़ों से नशे के कारोबार में
पुलिस विभाग के आंकड़ों की मानें तो कमिश्नरेट के 52 थानों में छह परिवार ऐसे हैैं जो तीन पीढ़ी से नशे का कारोबार कर रहे हैैं। बाबूपुरवा के राकिम के पिता सईद नारकोटिक्स डिपार्टमेंट के लिए मुखबिरी करते थे, धीरे धीरे वे नशीला पदार्थ बेचने लगे। सईद के बाद राकिम भी नशीला पदार्थ के धंधे में आ गए, अब राकिम का बेटा रईस भी नशे के कारोबार में है। वहीं काकादेव की बात की जाए तो नशा माफिया सूरज सोनकर के पिता नवल सोनकर भी नशे का कारोबार करते थे। आज सूरज का बेटा विमल भी नशे के कारोबार में लिप्त है। वहीं अगर रायपुरवा थानाक्षेत्र की बात की जाए तो महिला हिस्ट्रशीटर सीमा की मां अनीता नशे का कारोबार करती थी। शादी के बाद मायके में रहने की वजह से सीमा ने भी मां के कारोबार को संभाल लिया। अब सीमा का बेटा भी नशे का कारोबार कर रहा है।

कभी था दादा का खौफ, अब पोते का
शहर में भाड़े पर हत्या के मामले बहुत पुुराने हैैं। कानपुर के शार्प शूटर पूरे यूपी में कुख्यात हैंं। सात फैमिली इस तरह की हैं जिनकी तीसरी पीढ़ी शार्पशूटर की गद्दी संभाले हैैं। चमनगंज में डी-टू गैैंग का आफाक शार्प शूटर था, आफाक की हत्या के बाद पारिवारिक रंजिश और पिता की हत्या का बदला लेने के लिए आफाक का बेटा शाहिद मैदान में आ गया। एक दशक तक अपने आतंक का खौफ फैलाने के बाद शाहिद का एनकाउंटर हो गया। बीते पांच साल से शाहिद का बेटा शमीम दिल्ली में रह रहा है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक दिल्ली से रहकर शमीम कानपुर में गैैंग ऑपरेट कर रहा है। वहीं जाजमऊ में भी चौथी पीढ़ी क्राइम कर रही है। सिद्धनाथ घाट के पास रहने वाला नौशाद शातिर अपराधी था। 2005 में ट्रेन से उतरते समय नौशाद का पैर कट गया। नौशाद की गद्दी उसके बेटे साहिल ने संभाल ली लेकिन कार्यक्षेत्र बदल दिया। साहिल का गैैंग रेलवे स्टेशन के आस पास ही काम करता रहा। साहिल का बेटा अरमान भी अब शातिर पॉकेटमार है। वह फिलहाल जेल में है।

तीन परिवार जिनके लिए छिनैती बन गया पुश्तैनी काम
शहर में मोबाइल, बैग और चेन स्नेचिंग की वारदातें आम हो गई हैैं। कुछ गैैंग ऐसे भी हैैं जिनकी तीसरी पीढ़ी तक इस तरह की घटनाएं कर रही हैैं। चकेरी के गांधीग्राम निवासी साहिल चौधरी 44 साल के हैैं। कुछ दिन पहले ही जेल से छूटकर आए हैैं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक साहिल पर 12 छिनैती और लूट के केस केवल कानपुर में दर्ज हैैं। आस पास के जिलों में भी साहिल वारदात को अंजाम देता था। साहिल का पिता राम खिलावन भी हिस्ट्रीशीटर था और साहिल का बेटा अंकित भी स्नेचिंग की वारदातों को अंजाम देता है। इसी तरह कोयला नगर निवासी विमल के पिता शैलेन्द्र भी हिस्ट्रीशीटर थे और छिनैती की वारदातों को अंजाम देते थे। अब विमल का बेटा मनोज कुछ दिन पहले ही जेल भेजा गया है। वहीं साउथ सिटी के बर्रा निवासी अर्जुन का गैैंग भी स्नेचिंग की वारदात को अंजाम देता, अजु्र्रन को भी ये कला विरासत में मिली है।

पूरा परिवार लगा है साइबर क्राइम में
चकेरी समेत कानपुर कमिश्नरेट में 350 से ज्यादा साइबर क्रिमिनल हैैं। फैमिली ट्री बनाने के दौरान पता चला कि ऐसे आधा दर्जन परिवार है जिनका पूरा का पूरा परिवार साइबर ठगी की वारदातों में लिप्त है, इन परिवारों को पकडऩे के लिए कई बार देश के दूसरे प्रदेशों से भी पुलिस आ चुकी है। पुलिस सूत्रों की माने तो महीनों के हिसाब से परिवार की महिलाएं गुम होती है, वारदात को अंजाम देने के बाद वापस आ जाती है।

Posted By: Inextlive