7 हजार से ज्यादा खटारा वाहन बच्चों की जिंदगी से 'खेल' रहे
13 हजार ज्यादा स्कूली वाहन शहर में दौड़ रहे
4 हजार वाहन ही इनमें से आरटीओ में रजिस्टर्ड 7 हजार से ज्यादा वाहन खतरनाक और खटारा हैं 2 हजार के करीब वाहन ठीक लेकिन बिना परमिट 25 वाहनों को अभियान में आरटीओ ने पकड़ा था - लगातार चेकिंग और सख्ती के बाद भी 50 फीसदी स्कूली वाहन बिना फिटनेस व परमिट के दौड़ रहे - बच्चों की जान जोखिम में डाल रहे स्कूल संचालक, स्कूलों में अटैच कर रखे हैं प्राइवेट वाहन - ज्यादातर खटारा स्कूल गाडि़यों को आरटीओ अफसरों का भी आशीर्वाद है हासिल, खानापूर्ति के लिए चेकिंग kanpur@inext.co.inKANPUR। रूमा हाईवे पर स्कूली बच्चों से भरी बस में आग लगने से स्कूली वाहनों की फिटनेस को लेकर फिर से सवाल उठने लगे हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि बार-बार चेकिंग अभियान और आरटीओ के तमाम दावों के बावजूद बिना फिटनेस खटारा वाहन बच्चों के लेकर रोड पर कैसे दौड़ रहे हैं? सोर्सेस के मुताबिक, दस, बीस या 100 नहीं बल्कि करीब 7 हजार अधिक खटारा वैन और बसें स्कूली बच्चों को लाने- ले जाने का काम कर रही हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि यह आंकड़ा खुद आरटीओ का ही है। किसी और का नहीं बल्कि कानपुर आरटीओ का ही है।
अभियान ठंडा, काम शुरू
बीते दिनों शासन के आदेशानुसार एआरटीओ प्रवर्तन की टीम ने सिटी में बिना स्कूल परमिट के बिना बच्चे ढोने वाले प्राइवेट वाहनों के खिलाफ सख्त चेकिंग अभियान चलाया था। जिसमें तीन सप्ताह में लगभग दो हजार से अधिक बस व वैन पर कार्रवाई की गई थी। जिसके बाद वैन चालक एसोसिएशन ने विरोध करते हुए हड़ताल भी की थी। मामला ठंडा पड़ते ही बिना परमिट और फिटनेस के फिर से सभी खटारा वैन और बसें सड़कों पर दौड़ रही हैं। सूत्रों की मानें तो आरटीओ अफसर महज खानापूर्ति के लिए अभियान चलाते हैं। क्योंकि यही गाडि़यों इन अफसरों की मोटी कमाई का जरिया हैं। अफसरों की आशीर्वाद से ही खटारा गाडि़यों बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करते हुए सड़कों पर दौड़ रही हैं। बॉक्स घटिया सीएनजी किट लगवा रहेस्कूली बच्चों को ढोने वाली ज्यादातर प्राइवेट वैन व बसों में फैक्ट्री फिटेड या ऑथराइज्ड जगह से सीएनजी किट नहीं लगी है। शहर में गली-गली अवैध रूप से सीएनजी किट लगाने वाली दुकानें खुल गई हैं। जो किट लगाने वाले स्टैंडर्ड्स का ध्यान नहीं रखते हैं। किट की सही समय पर प्रॉपर जांच न कराने से तारों में स्पार्किंग की समस्या होती है। जोकि दुर्घटनाओं का कारण बनती है। फ्राइडे की सुबह महाराजपुर में स्कूली बस में लगी आग का भी कारण यही बताया जा रहा है।
घटना के बाद आती याद रोड सेफ्टी कमेटी की बैठक में स्कूली वाहनों को लेकर बात तो होती है लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती है। खानापूर्ति के लिए कुछ दिनों की कार्रवाई और कुछ वाहनों को बंद कर दिया जाता है। हकीकत यह है कि वर्तमान में कानपुर में 7 हजार से अधिक खटारा वाहन बिना स्कूली परमिट व फिटनेस के स्कूली बच्चों को ढो रहीं हैं। जिनके खिलाफ अभी भी कार्रवाई नहीं हो रही है। कोट बिना परमिट और फिटनेस के चल रहे स्कूली वाहनों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। एक महीने में दो हजार से अधिक वाहनों पर कार्रवाई भी की गई है। स्कूली बच्चों की सेफ्टी से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। सुनील दत्त, एआरटीओ प्रवर्तन --------------- पैरेंट्स इन बातों का ध्यान जरूर रखें -ड्राइवर के पास कॉमर्शियल लाइसेंस है या नहीं -गाड़ी चलाने का पर्याप्त अनुभव होना चाहिए -वैन की फिटनेस समय पर हो रही या नहीं -गाड़ी के पास स्कूल वाहन का परमिट होना चाहिए-गाड़ी में बच्चों की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम हों
-गाड़ी में क्षमता से अधिक बच्चों को न बैठाएं