सबसे आगे वाले रथ पर भगवान जगन्नाथ का निशान. उसके बाद घोड़े और हाथी के रथ मंडल की ओर से बाद्य यंत्रों का प्रदर्शन. 18 रथों वाली यात्रा में अलग अलग देवी देवता. आखिरी वाले रथ में सवार भगवान जगन्नाथ. जगन्नाथ प्रभु के रथ को खींचते भक्त. गलियों से होती फूलों की बरसात और जय जय जगन्नाथ के गूंजते जयकारे. संडे शाम चार बजे श्री जगन्नाथ मंदिर बाईजी समिति जनरल गंज से भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण को निकले तो शहर का माहौल पुरी से कम नहीं था.

कानपुर (ब्यूरो)। सबसे आगे वाले रथ पर भगवान जगन्नाथ का निशान। उसके बाद घोड़े और हाथी के रथ, मंडल की ओर से बाद्य यंत्रों का प्रदर्शन। 18 रथों वाली यात्रा में अलग अलग देवी देवता। आखिरी वाले रथ में सवार भगवान जगन्नाथ। जगन्नाथ प्रभु के रथ को खींचते भक्त। गलियों से होती फूलों की बरसात और जय जय जगन्नाथ के गूंजते जयकारे। संडे शाम चार बजे श्री जगन्नाथ मंदिर (बाईजी) समिति जनरल गंज से भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण को निकले तो शहर का माहौल पुरी से कम नहीं था। भक्तों की भीड़ ऐसी कि भगवान का रथ अपने आप रथ यात्रा मार्ग पर आगे बढ़ता जा रहा था। जगन्नाथ मंदिर (बाईजी) के महामंत्री विवेक अग्निहोत्री ने बताया कि यह यात्रा 208 साल पुरानी है।

दर्शन के लिए लगी लंबी कतार

सिटी के जनरलगंज इलाके में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर (बाईजी) समिति, श्री जगन्नाथ मंदिर (बिरजी भगत) और श्री उमा जगदीश मंदिर में सुबह से ही भगवान जगन्नाथ की भक्ति वाला माहौल देखने को मिला। जनरल गंज की गलियों में लगभग 500 मीटर लंबी लाइन में भक्त, नंगे पैर ही अपने आराध्य के दर्शन के लिए खड़े नजर आए। लाइन में बच्चे, बूढ़े और जवान सभी लगे थे। मंदिर से निकलकर आने वालों के मस्तक पर तिलक, गले में माला चेहरे पर संतुष्टि के भाव देखने को मिल रहे थे। वह प्रसन्न थे कि उनको इस विशेष दिन भगवान के दर्शन हो गए।

भीगी हुई दाल का लगा भोग
मंदिरों में भगवान जगन्नाथ को भोग लगाया गया, जिसमें भीगी हुई मूंग की दाल, चने की दाल, आम, जामुन, मिश्री और मिठाई शामिल थे। दर्शन करने आने वाले हर भक्त को प्रसाद में भोग दिया जा रहा था। इतना ही नहीं गलियों में वहां के रिहायशी लोगों ने शरबत, नमकीन और पूड़ी सब्जी आदि को बांटा।

यह था यात्रा मार्ग

श्री जगन्नाथ मंदिर (बाईजी) जनरलगंज की रथ यात्रा लगभग छह किलोमीटर की थी। यात्रा काहूकोठी से शुरु होकर नयागंज, हूलागंज, भूसाटोली, नागेश्वर मंदिर चौराहा, जनरलगंज, मनीराम बगिया, मेस्टन रोड, शिवाला, सरसैया घाट से कमला टावर होते हुए मंदिर में आकर खत्म हुई। पूरे यात्रा मार्ग में भक्तों ने रथ में सवार भगवान जगन्नाथ को हाथ जोडक़र प्रणाम किया और आशीर्वाद लिया। रथ का पूरे मार्ग में जगह जगह पर वेलकम हुआ। घरों से फूलों की बारिश हुई।
आज निकलेगी 214 साल पुरानी यात्रा

रथ यात्रा आयोजक संिमति के ज्ञानेंद्र विश्नोई ने बताया कि मंडे को श्री जगन्नाथ मंदिर (बिरजी भगत) और श्री उमा जगदीश मंदिर से रथ यात्रा निकलेगी। दोनों रथयात्रा अलग अलग स्थान से उठेंगी लेकिन एक मार्ग में एक स्थान पर आकर मिल जाएंगी। दिन में पूजा अर्चना के बाद शाम छह बजे यात्रा को निकाला जाएगा। बताया कि बिरजी भगत मंदिर वाली रथ यात्रा सिटी की सबसे पुरानी रथ यात्रा है। इस साल इस मंदिर से निकलने वाली रथ यात्रा के 214 साल पूरे हो रहे हैैं।

Posted By: Inextlive