आईआईटी परिसर से सटे जंगल में तेंदुए के ताजे पगचिह्न दिखाई दिए हैं. तेंदुए को पकडऩे के लिए एक और ङ्क्षपजड़ा लगाया गया है. तेंदुए की स्थिति कि जानकारी के लिए कैमरा ट्रैप व पकडऩे के लिए ङ्क्षपजड़ा लगाया गया था. कैमरे में उसकी छवि कैद हुई लेकिन वह अब तक ङ्क्षपजड़े में नहीं फंस सका है. बताते चलें कि तेंदुए को पकडऩे के लिए वन विभाग चार माह से प्रयास कर रहा है.

कानपुर (ब्यूरो)। आईआईटी परिसर से सटे जंगल में तेंदुए के ताजे पगचिह्न दिखाई दिए हैं। तेंदुए को पकडऩे के लिए एक और ङ्क्षपजड़ा लगाया गया है। तेंदुए की स्थिति कि जानकारी के लिए कैमरा ट्रैप व पकडऩे के लिए ङ्क्षपजड़ा लगाया गया था। कैमरे में उसकी छवि कैद हुई लेकिन वह अब तक ङ्क्षपजड़े में नहीं फंस सका है। बताते चलें कि तेंदुए को पकडऩे के लिए वन विभाग चार माह से प्रयास कर रहा है।

तेंदुआ के ही फुटप्रिंट

आईआईटी कैंपस में जुलाई में तेंदुआ देखा गया था। वन विभाग की टीम ने यहां जांच की। पहले माना गया कि कोई अन्य जंगली जानवर है। बाद में पगचिह्नों से स्पष्ट हो गया कि यह तेंदुआ ही है। वन विभाग ने कैमरा ट्रैप लगाए तो उसमें तेंदुए की छवि भी कैद हो गई। तेंदुए के पकडऩे के लिए ङ्क्षपजड़े भी लगाए गए लेकिन कुछ दिनों बाद वह गायब हो गया। अब दोबारा दिखाई देने पर फिर से उसे पकडऩे के प्रयास शुरू हो गए हैं।

किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया

आईआईटी से राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के बीच कई बार तेंदुआ दिख चुका है हालांकि उसने अभी तक किसी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाया है। तेंदुए के आईआईटी से सटे जंगलों में बसेरा करने की बात भी कही जा रही है। आशंका यह भी जताई जा रही है कि तेंदुए ने आईआईटी के जंगलों में अपना निवास बना रखता है। प्रभागीय वनाधिकारी दिव्या बताती हैं कि तेंदुए को पकडऩे के लिए ङ्क्षपजड़ा लगाया गया है। वन विभाग की टीम इसे पकडऩे का प्रयास कर रही है। तेंदुए की स्थित का अंदाजा भी लगाया जा रहा है।

Posted By: Inextlive