Kanpur News: कैसे हो ट्रांसगंगा सिटी आबाद जगह-जगह बन गए तालाब, जिस सेक्टर में डेवलपमेंट वक्र्स पूरा करने का दावा, वहां भी तालाब जैसे नजारे
कानपुर (ब्यूरो)। गंगा बैराज रोड के एक साइड स्थित ट्रांसगंगा सिटी में बारिश शुरू होने के साथ जगह-जगह तालाब बन गए हैं। अगर लगातार कई दिनों तक बारिश नहीं हुई तभी ये सूखते हैं। वरना ये नजारा पूरे मानसून सीजन में बना रहता है। हालांकि इंजीनियर 80 परसेंट से अधिक ड्रेनेज सिस्टम बना देने के दावे कर रहे हैं। जिस सेक्टर तीन में पूरी तरह से डेवलप वक्र्स का दावा यूपीसीडा के ऑफिसर करते हैं, उसका भी एक हिस्सा तालाब जैसे नजारे से अछूता नहीं है।
19 सेक्टर में
दरअसल वर्ष 2014 में तत्कालीन चीफ मिनिस्टर और चीफ सेक्रेटरी ने गंगा बैराज से मरहला चौराहा शुक्लागंज जाने वाली रोड के एक साइड ट्रांस गंगा हाईटेक सिटी की आधार शिला रखी थी। 1144 एकड़ वाली इस सिटी को यूपीसीडा (पहले यूपीएसआईडीसी) ने 19 सेक्टर में डिवाइड कर नाम के मुताबिक हाईटेक तरीके से बसाने के दावे किए थे। कई शहरों में इस प्रोजेक्ट की ब्रॉडिंग की गई थी। शायद यही वजह है कि पहले 2015 और फिर 2016 में प्लॉट लांच हुए तो लोगों ने हाथों-हाथ लिया। लगभग 1800 प्लाट एलॉट हो गए है।
स्कीम की आधारशिला रखे हुए दस वर्ष होने को हैं, अब तक ट्रांस गंगा सिटी में रोड, ड्रेनेज, सीवेज आदि डेवलपमेंट वर्क कम्प्लीट नहीं हो सके ट्रांस गंगा सिटी की जिम्मेदारी संभाल रहे यूपीसीडा के इंजीनियर खुद नाम न छापने की शर्त पर रोड, ड्रेनेज, सीवेज आदि वक्र्स 80 से 90 परसेंट होने के दावे कर रहे हैं।
बरसात में खुली दावों की पोल यूपीसीडा इंजीनियर के इन दावों को हकीकत मानसून की चंद दिनों की बारिश में खुलकर सामने आ चुकी है। शायद ही कोई ऐसा सेक्टर हो जिसमें बरसात का पानी न भरा हो। कई सेक्टर्स में काफी दूर तक पानी ही नजर आता है। एलॉटीज के मुताबिक अब तक यूपीसीडा ड्रेनेज सिस्टम को पूरी तरह से डेवलप नहीं कर सका है। आधा-अधूरा ड्रेनेज सिस्टम होने के कारण पानी बरसाती नालों में नहीं जाता पाता है। एक दूसरी वजह ये है कि प्लॉट्स की जमीन रोड व ड्रेन से बहुत नीचे है। इसी वजह से वाटर लॉगिंग बनी हुई है। जिसमें मच्छर, बैक्टीरिया पनप रहे हैं। बाद में यही मलेरिया, डेंगू आदि का कारण बनेंगे। बीमारियों का खतराऐसे में वहां घर बनाकर रहना बीमारियों की वजह साबित हो सकता है। वैसे अबतक ट्रांसगंगा सिटी में स्कूल-कालेज, हॉस्पिटल कुछ बनते भी नहीं दिखाई पड़ रहा है। जिससे घर बनाकर वहां फैमिली के साथ रहा जा सके। ट्रांसगंगा सिटी में डेवलपमेंट वक्र्स व जलभराव को लेकर जीएम सिविल एके अरोड़ा से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की। वहीं यूपीसीडा मुख्यालय के ऑफिसर खान बसी ने कहा कि फिलहाल इस संबंध में कुछ नहीं कह सकते हैं। जीएम सिविल की तरफ सीईओ को रिपोर्ट भेजी गई है।
ट्रांस गंगा सिटी--1144 एकड़ में ट्रांस गंगा हाईटेक सिटी स्कीम
-- 19 सेक्टर में डिवाइड की गई है हाईटेक सिटी
-- 2071 प्लॉट हैं रेजीडेंशियल, ग्र्रुप व इंडस्ट्रियल हाउसिंग के
-- 252 प्लॉट हैं विभिन्न सेक्टर्स में इंडस्ट्रियल
--35 प्लॉट हैं मिक्स्ड यूज एंड इंस्टीट्यूशनल
-- 96 प्लॉट अदर ग्र्रीनरी आदि लैंडयूज के हैं
--90.30 किलोमीटर लंबा है ड्रेन नेटवर्क
-- 9.89 किलोमीटर लंबी हैं सीमेंट कंक्रीट रोड्स की लंबाई
-- 42.47 किलोमीटर लंबी हैं बिटुमिन रोड्स की लंबाई