Kanpur News: ढाई घंटे तक मैग्नीफाइंग ग्लास से इविडेंस तलाशती रही फॉरेंसिक टीम
कानपुर (ब्यूरो)। कालिंदी एक्सप्रेस को एलपीजी सिलेंडर से टकराकर बर्निंग ट्रेन बनाने साजिश के मामले में 80 घंटे बाद भी सुरक्षा एजेंसियों के हाथ खाली हैं। कोई ऐसा ठोस सबूत हाथ नहीं लगा है जिससे जांच की गाड़ी आगे बढ़ सके। साजिश रचने वालों की तलाश करना एजेंसियों के लिए भूसे के ढेर में सुई तलाशने जैसा है। वेडनसडे को लखनऊ से एफएसएल की टीम भी मौके पर पहुंची। टीम घटनास्थल से 50 मीटर दोनों तरफ, 200 मीटर तक की दूरी पर स्थित हाईवे, हाईवे पर ढाबा समेत तमाम स्थानों पर अपने स्ट्रांग मैग्नीफाइंग लेंस से ह्यूमन गूजबंप्स (रोंगटे) की तलाश की गई है। अधिकारियों की मानें तो अगर कोई ऐसा सबूत हाथ लग जाता है तो डीएनए के जरिए साजिशकर्ताओं तक पहुंचा जा सकता है। हालांकि ये बेहद मुश्किल टास्क है।
डीएनए रिपोर्ट के लिए
जांच करने पहुंचे एफएसएल अधिकारी की मानें तो अगर सरफेस प्लेन होता है तो आसानी से गूजबंप्स मिल जाते हैैं, जिसका डीएनए कराने के बाद जानकारी में आए संदिग्धों का डीएनए कराया जाता है। अगर रिपोर्ट सेम आ जाती है तो वारदात को अंजाम देने वाले तक पहुंचना आसान हो जाता है। रेलवे ट्रैक पर पथरी होने की वजह से सतह खुरदरी है, इसलिए गूजबंप्स को तलाशना मुश्किल ही नहीं लगभग नामुमकिन है। टीम को मौके से कुछ ब्लड ड्रॉप्स मिले हैैं, जिनसे संदिग्धों का मिलान कराने का डिसीजन किया गया है। अगर ये चीजें मैच कर जाती हैैं तो साजिश रचने वालों की तरफ दो कदम बढऩे की संभावना है।
लखनऊ से आई एफएसएल टीम ने क्राइम सीन रीक्रिएट करने के लिए ट्रैक पर फिर एक सिलेेंडर रखा। क्राइम सीन से सिलेेंडर की दूरी नापी गई। टक्कर के बाद सिलेंडर कहां गिरा? कितनी दूरी पर गिरा? ये सारा कुछ देखा गया। पूरे क्राइम सीन पर 71 ऑब्जेक्ट्स डिटेक्ट किए गए। इसके बाद पूरे क्राइम सीन और घटनास्थल की फोटोग्राफी भी की गई। जिस जगह बोतल और झोला मिला था वहां बोतल और झोला भी रखा गया। एक-एक कदम को बारीकी से देखा गया है। लगभग ढाई घंटे की एक्सरसाइज एफएसएल की टीम ने की है।
शाहरुख के मोबाइल की सीडीआर खंगाल रहे
फिलहाला सुरक्षा एजेंसियों की जांच शक के आधार पर गिरफ्तार मुंडेरी गांव निवासी हिस्ट्रीशीटर शाहरुख के इर्द गिर्द ही घूम रही है। एजेंसियों का दावा है कि शाहरुख इंटरस्टेट दहशतगर्दों का गैैंग लीडर है, जिससे कई राउंड पूछताछ हो चुकी है। उसने बीते एक साल में जितने मोबाइल नंबर इस्तेमाल किए हैैं, सारे खंगाले जा रहे हैैं। सियाराम स्वीट हाउस के डीवीआर और टोल प्लाजा से मिली सीसीटीवी में दो लोग कॉमन और संदिग्ध दिखे हैैं। कॉमन दिखने की वजह से सुरक्षा एजेंसियों और राजफाश में लगी पुलिस टीमों के लिए ये बहुत बड़ी उपलब्धि तो है लेकिन अभी इसे सफलता नहीं कह सकते। एनआईए की महिला इंस्पेक्टर का मानना है कि को-इंसिडेंट भी हो सकता है। इसके बाद भी इन दोनों की तलाश की जा रही है।
वारदात का राजफाश करने में लगी टीमों का ये मानना है कि मौके से जो बोतल मिली थी, उसमें केवल पेट्रोल नहीं बल्कि डीजल भी मिला हुआ था। इसके पीछे की वजह ये बताई गई कि पेट्रोल तुरंत आग पकड़ता है और आद्र्रता रहने तक जलता है जबकि डीजल इसकी अपेक्षा देर तक ज्वलनशील रहता है।
छह एजेंसियां, 300 लोग जांच में
संडे की शाम को कालिंदी को उड़ाने की कोशिश की गई। 50 किलोमीटर का कॉशन और 30 किलोमीटर की स्पीड की वजह से ट्रेन में धमाका नहीं हो सका बल्कि सिलेेंडर स्किड करता हुआ आगे चला गया। कानपुर कमिश्नरेट की 6 टीमें, कानपुर और लखनऊ की एफएसएल की टीम, एलआईयू, आईबी, एनआईए, जीआरपी और आरपीएफ इसके राजफाश पर काम कर रही हैैं। इन टीमों में मिलाकर कम से कम 300 लोग हैैं। 54 पुलिस अधिकारी घटनास्थल का निरीक्षण कर चुके हैैं। इसके बाद भी शाहरुख के अलावा कोई भी फ्रूटफुल रिजल्ट सामने नहीं आया है।