भले ही चकेरी में एयरपोर्ट का नया भव्य टर्मिनल चालू हुए डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त हो गया हो उड़ानों की संख्या भी धीरे धीरे बढ़ रही हो लेकिन पुराने टर्मिनल वाली कई दिक्कतें यहां भी बरकरार हैं. सर्दी और कोहरे की मार से निपटने के लिए जरूरी इंतजाम नहीं किए गए हैं. ऐसे में सर्दी के दौरान सुबह की उड़ानों पर ब्रेक लग सकता है. आईएलएस इंस्टूमेंट लैङ्क्षडग सिस्टम के सहायक सिस्टम मानक के अनुरूप न होने से लो विजिबिलिटी के कारण टेकऑफ और लैंडिंग में दिक्कत आती है.

कानपुर (ब्यूरो)। भले ही चकेरी में एयरपोर्ट का नया भव्य टर्मिनल चालू हुए डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त हो गया हो, उड़ानों की संख्या भी धीरे धीरे बढ़ रही हो, लेकिन पुराने टर्मिनल वाली कई दिक्कतें यहां भी बरकरार हैं। सर्दी और कोहरे की मार से निपटने के लिए जरूरी इंतजाम नहीं किए गए हैं। ऐसे में सर्दी के दौरान सुबह की उड़ानों पर ब्रेक लग सकता है। आईएलएस (इंस्टूमेंट लैङ्क्षडग सिस्टम) के सहायक सिस्टम मानक के अनुरूप न होने से लो विजिबिलिटी के कारण टेकऑफ और लैंडिंग में दिक्कत आती है।

दोनों सांसद कर रहे प्रयास
अकबरपुर से सांसद देवेंद्र ङ्क्षसह भोले और सिटी के सांसद रमेश अवस्थी आईएलएस व्यवस्था ठीक कर नाइट लैंडिंग और टेकऑफ की सुविधा दिलाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अभी तक यह सुविधा नहीं मिल सकी है। बता दें कि मई 2023 में 150 करोड़ की लागत से अहिरवां चकेरी में बने नए टर्मिनल भवन का लोकार्पण केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य ङ्क्षसधिया और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। इसके बाद यहां से दिल्ली, मुंबई, बंगलुरू की हवाई यात्रा की शुरुआत हुई। नया टर्मिनल बनने के बाद से ही रात में भी उड़ान की सुविधा की मांग उठ रही है।

28 अक्टूबर से विंटर शेड्यूल
एयरपोर्ट का ङ्क्षवटर शेड्यूल 28 अक्टूबर से लागू होगा। कोहरे और खराब मौसम में लो विजिबिलिटी के कारण चकेरी एयरपोर्ट से सुबह की उड़ान की सुविधा नहीं मिल सकती है। इसलिए उड़ानों का समय पहले से ही दोपहर से रखा गया है। आईएलएस के सहायक उपकरणों के दो तरह के मानक होते हैं। एक बिना पर्याप्त लाइट और दूसरा पर्याप्त लाइट की सुविधा का आईएलएस होता है। यहां पर बिना पर्याप्त लाइट का आईएलएस लगा है। इसमें 400 मीटर तक ही लाइट की व्यवस्था है। लाइट की व्यवस्था कम से कम 900 मीटर होनी चाहिए। इसके लिए रनवे के आगे 675 बाई 150 मीटर जमीन की जरूरत है। पिछले दो साल से जमीन की मांग हो रही है।

Posted By: Inextlive