कहीं लापरवाही तो कहीं नियमों की अनदेखी से शहर में लगातार आग की घटनाएं हो रही हैं. भीषण गर्मी के चलते तो आग की घटनाओं की बाढ़ आ गई है. करोड़ों का माल इन आग की घटनाओं में खाक हो चुका है. लेकिन फायर ब्रिगेड कार्रवाई के नाम पर सिर्फ फार्मेलिटी कर रहा है. फैक्ट्री मॉल्स हॉस्पिटल हाई राइज बिल्डिंग घनी आबादी वाले इलाके में बनी मार्केट और कॉमर्शियल प्लेसेज की जांच की जा रही है. लेकिन कमियां मिलने पर एक्शन के बजाए सिर्फ नोटिस दी जा रही है.

कानपुर (ब्यूरो)। कहीं लापरवाही तो कहीं नियमों की अनदेखी से शहर में लगातार आग की घटनाएं हो रही हैं। भीषण गर्मी के चलते तो आग की घटनाओं की बाढ़ आ गई है। करोड़ों का माल इन आग की घटनाओं में खाक हो चुका है। लेकिन, फायर ब्रिगेड कार्रवाई के नाम पर सिर्फ फार्मेलिटी कर रहा है। फैक्ट्री, मॉल्स, हॉस्पिटल, हाई राइज बिल्डिंग, घनी आबादी वाले इलाके में बनी मार्केट और कॉमर्शियल प्लेसेज की जांच की जा रही है। लेकिन कमियां मिलने पर एक्शन के बजाए सिर्फ नोटिस दी जा रही है। बीते छह महीनों में एक हजार से ज्यादा बिल्डिंगों की जांच की गई। जबकि ३५३ लोगों को नोटिस जारी किया गया। ८५० के करीब एनओसी पेंडिंग पड़ी हैं। दमकल विभाग के सूत्रों की ही मानें तो कानपुर में ७० फीसद से ज्यादा इमारतें आग के मुहाने पर खड़ी हैैं।

संकरी गलियों में चल रहे बाजार
फायर विभाग के सूत्रों की मानें तो उनके लिए पहली प्राथमिकता कम समय में घटनास्थल पर पहुंचना होता है। कानपुर में संकरी गलियों में बने मार्केट और अवैध बस्तियां सबसे ज्यादा खतरनाक हैैं। संकरी गलियों में बने बाजारों में फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां नहीं पहुंच पाती है, जिसके बाद हौज रील फैलानी पड़ती है, जिसमें काफी समय बीत जाता है। जबकि आग की घटनाओं में एक-एक मिनट कीमती होता है। पल दर पल आग की लपटें खतरनाक होती जाती हैैं। ऐसे में हाईराइज बिल्डिंग में फंसे लोगों को निकालना प्राथमिकता होती है। लोगों की जान बचाने के बाद आग बुझाने की कवायद शुरू की जाती है। यही हालात अवैध बस्तियों की होती है।

घटिया वायरिंग बनती मुसीबत
एक बार वायरिंग की औसत आयु दस साल होती है। मानक के मुताबिक हर १० साल मेें (फैक्ट्री, मॉल्स, हॉस्पिटल, हाई राइज बिल्डिंग और अन्य कॉमर्शियल प्लेस) वायरिंग चेंज करा लेनी चाहिए। फायर विभाग के सूत्रों की मानें तो लोग रुपये बचाने के लिए घटिया क्वालिटी की वायर यूज करते हैैं, ऐसा करना खतरे से खाली नहीं होता। ७० प्रतिशत आग कमजोर वायर पर अधिक लोड पडऩे की वजह से ही लगती हंै, आम तौर पर लोगों को फायर प्रिवेंटिव मैटेरियल यूज करना चाहिए। दूसरी बात ये कि दिक्कत आने पर लोग वायरिंग सही कराने के बजाय रिपेयरिंग कराना ज्यादा अच्छा समझते है, बल्कि उस तार को इंड प्वाइंट तक हटा देना चाहिए।

गर्मी ने बढ़ाई मुसीबत
यूं तो आग किसी भी समय में लग सकती है लेकिन फायर प्रिवेंटिव मैटेरियल यूज न करने से गर्मी में तार गर्म होते होते पिघल जाते हैैं और लोकल तार पिघलने के बाद एक दूसरे से मिल जाते हैैं और शार्ट सर्किट हो जाता है, आग लग जाती है। शार्ट सर्किट से लगी आग कम समय में पूरी बिल्डिंग को अपने जद मेें ले लेती है और लोगों को जान बचाना मुश्किल पड़ जाता है।

गाडिय़ां भी बन रहीं आग का गोला
गर्मी में घरों और बिल्डिंग्स के साथ गाडिय़ों में आग लग रही है। गाड़ी में कभी कूलेंट की कमी से रेडियेटर ड्राई हो जाता है और इंजन गर्म हो जाता है। इंजन की गर्मी तार तक पहुंच जाती है तो कार की वायरिंग में आग पकड़ लेती है और जब तक कार सवार बाहर निकल कर आ पाते हैैं, उससे पहले ही कार आग का गोला बन जाती है। बाइक में इंजन के पास से फ्यूल पाइप आता है। अगर बाइक ओवर फ्लो होती है और उसका फ्यूल तार के संपर्क में आता है तो आग लग जाती है।

बीते छह महीने का हाल
०९ एनओसी मात्र जारी की विभाग ने
६९० आग की घटनाएं दर्ज हुईं रिकॉर्ड में
१३४५ स्थानों पर फायर ब्रिगेड ने जांच की
३५३ जगह फायर सेफ्टी नोटिस जारी की गई
८५० एनओसी फायर विभाग के पास पेंडिंग
२० करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ आग में
३४ लोगों की जान बचाई फायर ब्रिगेड ने

Posted By: Inextlive