Kanpur Medical College Case: यादें ताजा करने मेडिकल कॉलेज आई थी डॉ. दीक्षा, GSVM के 5 कैमरों में मिले तीनों के आते हुए फुटेज
कानपुर (ब्यूरो)। Kanpur Medical College Case: 2018 में 21 साल की उम्र में जब दीक्षा पहली बार मेडिकल कॉलेज पहुंची तो यहां के काउंसिलिंग सेंटर में हिमांशु और मयंक से से हुई पहली बार मुलाकात हुई। यहीं से तीनों की फ्रेंडशिप और कुछ साल बाद ही दीक्षा और हिमांशु की लव स्टोरी भी शुरू हो गई थी। पढ़ाई कंप्लीट के बाद दोनों ने सेटल होने का सपना देखा था। यही वजह थी कि दीक्षा ने जब आर्यनगर में किराए पर रूम लिया तो हिमांशु भी वहीं रहने लगा। दोनों के कमरे आमने सामने थे, बीच में एक ड्राइंग रूम था। वेडनसडे देर रात रूम में पार्टी करने के बाद दीक्षा, हिमांशु और मयंक के साथ छह साल पुरानी यादें ताजा करने के लिए मेडिकल कॉलेज में गए थे। इस बिल्डिंग में लैब, काउंसिलिंग सेंटर और एग्जाम हॉल है। ड्यूटी टाइम में यह बिल्ंिडग खुलती है।
ऑडिटोरियम की दीवार फांदकर अंदर गए
वेडनेसडे रात को तीनों बिल्डिंग के पास पहुंचे और ऑडिटोरियम की दीवार फांदकर अंदर गए। परिसर के अंदर बने बैैंक, पोस्ट ऑफिस और एटीएम के बाहर लगे कैमरों में तीनों की पैदल जाते हुए फुटेज मिले हैं। इसमें दिख रहा है कि दीक्षा हिमांशुका हाथ पकड़े और कंधे पर सिर रखकर आगे बढ़ रही है, जबकि मयंक पीछे चल रहा है। लैब, काउंसिलिंग सेंटर और एग्जाम हॉल देखने के बाद तीनों छत पर जाते हैं। कुछ देर बातचीत के बाद हिमांशु डक्ट के किनारे बैठ गया। दीक्षा भी उसके बगल में बैठने की जिद करने लगी। हिमांशु ने सहारा देकर दीक्षा को डक्ट पर बिठाया। दीक्षा केडक्ट पर बैठते ही प्लास्टर टूट गया और वह नीचे जा गिरी।
डीसीपी सेंट्रल आरएस गौतम को हिमांशु ने बताया, &दीक्षा के नीचे गिरने के बाद मैं डक्ट में उतर गया। नीचे उतरते के दौरान मेरा दम घुटने लगा। डक्ट संकरी होने की वजह से मैं एक तरफ से पीठ सटाए था। दूसरी तरफ ड्रेन पाइप के जरिए नीचे उतरते हुए दीक्षा के ऊपर गिर गया। जिससे मेरे पैर और बैक में चोट लग गई। ईंट से और दूसरे प्रयासों से उसने डक्ट का दरवाजा तोड़ा। दीक्षा को जब बाहर निकाला तो उसकी सांसें चल रही थीं। मैंने उसे सीपीआर दी। इसी बीच मयंक भी पहुंच गया और उसने डॉयल-112 को जानकारी दी। अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने दीक्षा को मृत घोषित कर दिया।
आखिरी तक बचाने की कोशिश की
दोनों ने पुलिस को बताया, &ये महज हादसा था.&य हिमांशु ने पुलिस से दीक्षा को देखने की इच्छा जताई। कहा, &आखिरी तक बचाने की कोशिश करता रहा। आखिरी बार उसे दिखा दीजिए.&य पुलिस ने दीक्षा के घरवाले को यह बात बताई, तो उनका भी दिल पसीज गया। हिमांशु ने जैसे ही दीक्षा का चेहरा देखा, वो शव से लिपट कर रोने लगा।
हिमांशु का बयान दर्ज करने के बाद पुलिस उसके आर्य नगर स्थित रूम पर पहुंची। हिमांशु ने रूम का दरवाजा खोला तो मेज पर नमकीन और स्नैक्स के पैकेट बिखरे मिले। सिगरेट के फिल्टर भी मिले। हिमांशु के बयान और एक-एक बात की पुलिस ने जांच की, तो सब मिनट-टू-मिनट घटनाक्रम और सभी बातें एकदम सच निकलीं। हादसे के बाद मौके पर पुलिस फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के सीनियर डॉ। प्रवीण श्रीवास्तव अपनी टीम के साथ जांच करने पहुंचे।
उन्होंने पहले डक्ट पर बनी टूटने वाली छत की मोटाई देखी, फिर छत पर बने निशान को देखा। एक-एक करके पूरे घटनाक्रम की जानकारी की। डॉ। प्रवीण श्रीवास्तव की रिपोर्ट की मानें तो जांच के दौरान कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है। पूरा घटनाक्रम महज एक हादसा है। दूसरी तरफ छत पर बने धूल में रगड़ के निशान को भी मयंक ने बताया कि डक्ट में दीक्षा के गिरने के बाद वह छत के तार को तोडक़र नीचे खींचने की मशक्कत में लगा था। तार को तोडऩे के दौरान ही छत पर निशान बने हैं। पुलिस ने बिल्डिंग को सील कर बाहर से लॉक कर दिया है।
क्या है मामलामेडिकल कॉलेज की पासआउट डॉ। दीक्षा की वेडनेसडे रात मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग से गिरकर मौत हो गई थी। हादसे के वक्त के उसके साथ दो डॉक्टर दोस्त हिमांशु और मयंक साथ थे। दीक्षा बरेली के सुरेश शर्मा नगर की रहने वाली थी। उसका भाई बीटेक करने के बाद पुणे में इंजीनियर है। पिता प्रदीप तिवारी का बरेली में प्रिंटिंग प्रेस हैं। मां अनीता हाउस वाइफ हैं। हादसे के पोस्टमॉर्टम हाउस में पहुंची मां बार-बार अचेत हो जा रही थीं। अभी तक कोई तहरीर नहीं
एडिशनल सीपी हरीश चंदर ने बताया कि परिवार वालों ने कोई तहरीर नहीं दी है। हिमांशु को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है जबकि मयंक को भी घर भेज दिया गया है। दोनों को कहा गया है कि अगर पुलिस पूछताछ के लिए बुलाएगी तो आना होगा। पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक रिपोर्ट का मिलान कर उसकी जांच होगी, जैसा हर केस में होता है।