Kanpur News: प्रि-एक्टिवेटेड सिम का यूज कर साइबर शातिर बना रहे कानपुराइट्स को कंगाल
कानपुर (ब्यूरो)। अगर आप सिम कार्ड खरीदने दुकान पर जा रहे हैं तो अलर्ट रहें। नहीं तो आपके नाम पर दुकानदार दूसरा सिम कार्ड लेकर एक्टिवेट कर सकता है। इसका यूज किसी क्राइम में हुआ तो फंसना तय है। इसलिए सिम कार्ड खरीदते समय अलर्ट रहें, तभी उनके जाल में फंसने से बच सकते हैं। दरअसल, इन दिनों साइबर क्रिमिनल्स और हैकर्स प्री एक्टिवेटेड सिम से ठगी कर रहे हैं। सिटी में एक दो नहीं, सैकड़ों की संख्या में प्री-एक्टिवेटेड सिम का यूज क्रिमिनल एक्टिविटीज में हो रहा है। कानपुर और आसपास के जिलों से सिम खरीदरकर दूसरे प्रदेशों में ठगी को अंजाम दिया जा रहा है। वहीं, दूसरे प्रदेशों के सिम से कानपुर में ठगी की जा रही है।
ऐसे हुआ खुलासा
बीते तीन दिनों से कानपुर क्राइम ब्रांच के साथ नासिक पुलिस सिम कार्ड बेचने वालों की तलाश में जुटी है। सिम कार्ड बेचने वाले एक दर्जन से ज्यादा दुकानदारों को हिरासत में लिया गया है। इन सभी से पूछताछ की जा रही है। अब तक की जांच में सामने आया है कि यूपी के साइबर क्रिमिनल जिन सिमों का यूज करते हैैं, वे सभी गुजरात और महाराष्ट्र से इश्यू किए गए हैैं। जबकि जो सिम यूपी से जारी किए गए हैैं। उनसे महाराष्ट्र और गुजरात में साइबर फ्रॉड किया जा रहा है।
यूपी कॉप से की ठगी तो पुलिस हुई एक्टिव
दरअसल, बीते दिनों साइबर शातिरों ने एक नया पैैंतरा अपनाया। यूपी पुुलिस का एप च्यूपी कॉपज् हैक कर लिया। इसके बाद किसी भी जिले की एफआईआर खोलकर ठगी की गई। बताते चलें कि एफआईआर में वादी का मोबाइल नंबर रहता है। शातिर पुलिसकर्मी बनकर कॉल करते हैैं और समझौते के नाम पर ५ से २० हजार रुपये तक की ठगी को अंजाम दे रहे हैैं। इस तरह के ९ मामलों में कानपुर क्राइम ब्रांच जांच कर रही है। इसके अलावा फोर व्हीलर्स के इंश्योरेंस की अवधि पूरी होने पर जिन व्हीकल ओनर्स ने पॉलिसी रिन्यू नहीं कराई है, उनके साथ भी शातिर ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। २०२४ में कानपुर कमिश्नरेट में हुए लगभग २०० से ज्यादा मामलों में साइबर शातिरों ने प्री-एक्टिवेटेड सिम यूज किए हैैं।
क्रिमिनल्स भी कर रहे हैैं इस्तेमाल
दूसरे प्रदेशों से मिले प्री-एक्टिवेटेड सिम को साइबर शातिरों के अलावा क्रिमिनल्स भी यूज कर रहे हैैं। अपराध होने के बाद जब पुलिस बीटीएस उठाती है तो कई नंबर मिलते हैैं। नंबर फिल्टर होने पर जिन नंबरों पर पुलिस काम करती है और ओरिजिनल आईडी पर पहुंचती है तो पता चलता है कि इस समय में ये फोन यहां काम नहीं कर रहा था। बिरहाना रोड पर एक्सिस बैैंक एटीएम में चोरी की कोशिश का मामला हो या चकेरी में कारोबारी की हत्या का मामला। लोहा कारोबारी की हत्या का मामला हो या दो साल पहले सचेंडी में बैैंक में सुरंग बनाकर चोरी का मामला, पुलिस के हाथ ऐसे एक दो दर्जन नहीं बल्कि पांच दर्जन से ज्यादा मामले हैैं जो फाइलों में दफन हो गए। इन मामलों में वारदातों को अंजाम देने वालों ने प्री-एक्टिवेटेड सिम का यूज किया है।
एक्सपर्ट के मुताबिक, कुछ दुकानदार पहले से ही सिम एक्टिवेट करके रखते थे। जो ग्राहक उनकी दुकान पर सिम लेने आते हैं, उनके और आधार कार्ड के दो फोटो खींच लेते हैं। एक सिम ग्राहक को देने के बाद दूसरी सिम एक्टिवेट करके अपने पास रख लेते हैं। फिर इस सिम को साइबर क्रिमिनल्स को बेच देते हैं।
साइबर एक्सपर्ट की सलाह
डीसीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि सिम लेते समय आईडी और फोटो देते समय सावधान रहें। कार्ड लेने के बाद ट्रू कॉलर और आईडी का नाम जरूर मिला लें। समय समय पर चेक करते रहें कि आपकी आईडी पर किसी और ने तो सिम नहीं लिया है। किसी भी कंपनी में जाकर ये चेक करा लें कि आपकी आईडी पर कितने सिम जारी किए गए हैैं।