रेल मंत्री का नहीं, सेंट्रल पर चलता है कंपनी का 'हुक्म'
- रेलमंत्री के आदेश के बाद भी कानपुर सेंट्रल स्थित फूड प्लाजा और स्टॉल्स पर पैसेंजर्स को नहीं दिया जाता खान-पानी सामग्री का बिल
- बिल मांगने वाले से की जाती है बदसलूकी, नहीं दिया जाता है सामान, शिकायत करने की भी नहीं है कोई व्यवस्था, पैसेंजर्स मजबूर - हाल ही मे मिला है एक कंपनी को टेंडर, ऊपर तक मिलीभगत कर चल रहा खेल, लाखों रुपए की हर महीने हो रही है जीएसटी चोरीKANPUR। रेलवे के स्टेशनों पर किस का आदेश चलेगारेल मंत्री का या किसी प्राइवेट कंपनी का? आप कहेंगे मंत्री कालेकिन हम कहते हैं कंपनी का? अगर सेंट्रल स्टेशन के फूड प्लाजा और स्टॉल्स से खाने-पीने का सामान खरीदने जाएंगे तो आप भी कहेंगे कि यहां तो कंपनी का हुक्म का चलता है। जी हां, कानपुर सेंट्रल पर रेल मंत्री के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं वो भी अधिकारियों की नाक के नीचे।
रेलमंत्री के आदेश के बाद भी पैसेंजर्स को फूड प्लाजा व स्टॉल्स पर खान-पान सामग्री का बिल नहीं दिया जा रहा है। अगर कोई पैसेंजर बिल अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए बिल मांगता भी है तो उसके साथ बदसलूकी की जाती है। सीधे बोल दिया जाता है कि खरीदना है तो खरीदो नहीं तो रास्ता देखो। इसकी शिकायत करने के लिए कोई व्यवस्था न होने से पैसेंजर्स को मजबूरी में बिना बिल सामान खरीदना पड़ रहा है।
'नो बिल-नो पेमेंट' का आदेश एक सप्ताह पहले रेलमंत्री ने ट्वीट कर पूरे देश में 'नो बिल-नो पेमेंट' की घोषणा की थी। यानी ट्रेन व प्लेटफार्म पर खाने पीने का सामान खरीदने के बाद पैसेंजर्स को बिल नहीं देता है तो खरीदी गई वस्तु फ्री में मिलेगी। वहीं दूसरी ओर कानपुर सेंट्रल पर फूड प्लाजा व स्टॉल्स पर पैक्ड डिनर व लंच पैकेट प्लेटफार्म पर वेंडर घूम घूम कर बेच रहे हैं। इसका कोई बिल नहीं दिया जाता है। इस बिक्री का रेलवे के पास कोई हिसाब भी नहीं होता है। सेंट्रल पर रोज हजारों लंच व डिनर पैकेट बिना बिल के बेचे जाते हैं। यानि पैसेंजर्स के साथ सरकार को भी हर महीने लाखों की जीएसटी का चूना लगाया जा रहा है। बिल के लिए कोई व्यवस्था नहींरेलमंत्री के आदेशों का रियलिटी चेक करने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने कानपुर सेंट्रल के प्लेटफार्म नंबर एक पर स्थित फूड प्लाजा व अन्य प्लेटफार्म्स पर स्थित फूड स्टॉल्स को चेक किया। साथ ही कई पैसेंजर्स से भी बात की, हर पैसेंजर ने बिल न मिलने की शिकायत की। किसी भी स्टॉल पर बिल बनाने के लिए प्रिंटर आदि की कोई व्यवस्था ही नहीं दिखी।
प्राइवेट कंपनी बेच रही खाना एक रेलवे अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, यह खेल ऊपर तक मिलीभगत से हो रहा है। हाल ही में एक कंपनी को प्लेटफार्म्स पर घूम घूम कर खाना बिक्री करने का टेंडर मिला है। इसी कंपनी के वेंडर बिक्री करते हैं, जोकोई बिल नहीं देते हैं। वेंडर्स से बिल न देने की बात पूछी गई तो उसने कहां मैनेजर ही बिल नहीं देते हैं तो वह कहां से दें। आरपीएफ सिपाहियों की भी शह आरपीएफ के कुछ सिपाहियों की शह पर शांतिनगर, मुरे कंपनी पुल, हैरिसगंज पुल, जूही यार्ड व पनकी स्टेशन के आउटर में खुलेआम अवैध वेंडर ट्रेन में चढ़ कर खान-पान का सामान बेचते हैं। जबकि कुछ महीने पहले आरपीएफ आईजी ने इलाहाबाद स्टेशन पर औचक छापेमारी कर एक दर्जन से अधिक अवैध वेंडर्स को पकड़ा था। जिसमें दो आरपीएफ सिपाही भी लिप्त पाए गए थे। ------------------- - 30 हजार के करीब लंच पैकेट की रोजाना खपत - 9 प्लेटफार्म हैं कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर - 389 ट्रेनों का प्रतिदिन आवागमन होता है यहां- 3 लाख से अधिक पैसेंजर्स का डेली फुटफाल
'' मामले की जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो इसकी जांच कराई जाएगी। अवैध वेंडरिंग में लिप्त आरपीएफ सिपाहियों को बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही रेलमंत्री के आदेशानुसार पैसेंजर्स को बिल न देने वालों के खिलाफ भी अभियान चलाकर जुर्माना किया जाएगा.'' एसएन पांडेय, आईजी आरपीएफ, एनसीआर