3 अक्टूबर से नवरात्र शुरू हो रहे हैैं. इस दिन से कमिश्नरेट पुलिस शहर को नशा मुक्त करने के लिए &ऑपरेशन कवच&य का शुभारंभ करेगी. पुलिस ने शहर के 52 थानों में पुराने नशा कारोबारियों की घेराबंदी की गिरफ्तारी का ब्लू प्रिंट तैयार किया है. हर थाने में छह मेन प्वाइंट चिन्हित किए गए हैैं जहां नशीला पदार्थ बिकता है. साथ ही थाने वाइज टॉप थ्री पुरुष और टॉप थ्री महिला माफिया की लिस्ट भी तैयार कर ली है.

कानपुर (ब्यूरो)। 3 अक्टूबर से नवरात्र शुरू हो रहे हैैं। इस दिन से कमिश्नरेट पुलिस शहर को नशा मुक्त करने के लिए &ऑपरेशन कवच&य का शुभारंभ करेगी। पुलिस ने शहर के 52 थानों में पुराने नशा कारोबारियों की घेराबंदी की गिरफ्तारी का ब्लू प्रिंट तैयार किया है। हर थाने में छह मेन प्वाइंट चिन्हित किए गए हैैं, जहां नशीला पदार्थ बिकता है। साथ ही थाने वाइज टॉप थ्री पुरुष और टॉप थ्री महिला माफिया की लिस्ट भी तैयार कर ली है। अधिकारियों का मानना है कि दीपावली से पहले हर हाल में शहर में आने वाले नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध लगाना है। इस अभियान के लिए स्पेशल टीम और स्थानीय इनफार्मर को काम पर लगाया ही गया है। साथ ही नशा माफियाओं के पुराने नंबरों को भी सर्विलांस पर लिया जा रहा है, जिससे नशे के सौदागारों पर शिकंजा कसा जा सके। यह अभियान 15 दिन तक चलेगा।

इन इलाकों में बिक रहे नशीले पदार्थ
सेंट्रल जोन का काकादेव इलाके में गांजा और चरस की बिक्री होती है, वहीं नजीराबाद के कुछ इलाकों में गांजे की बिक्री की जाती है। ईस्ट जोन की बात की जाए तो रेलवे स्टेशन, चकेरी, घंटाघर और टाटमिल के कुछ इलाके में नशीले पदार्थ की बिक्री की जाती है। साउथ जोन में किदवई नगर, नौबस्ता, बर्रा और जूही वे इलाके हैैं, जहां नशीले पदार्थों की बिक्री होती है। चकेरी और महाराजपुर में नशीले पदार्थों का कंसाइनमेंट लाया जाता है स्टोर किया जाता है। वेस्ट जोन के पनकी और कल्याणपुर के साथ बिठूर भी नशे का गढ़ माना जाता है।


30 माफिया शहर में एक्टिव
कमिश्नरेट में 11 महिला नशा माफिया हैैं, जो घूम घूम कर मादक पदार्थों की बिक्री करती हैैं। इन महिलाओं ने अपने बच्चों को भी नशे के दलदल में धकेल दिया है। वहीं 19 पुरुष नशा माफिया भी पुलिस की लिस्ट में शामिल हैैं। ये लोग किसी संगठित अपराध की तरह नशे का कारोबार करते हैैं। कई महिलाएं कैरियर का काम भी करती हैैं।


कानून की कमजोरी होने का फायदा
दरअसल, कानपुर कमिश्नरेट पुलिस हो या किसी दूसरे जिले की पुलिस। कभी भी बरामद माल की पूरी मात्रा नहीं दिखाई जाती है। इस संबंध में थानेदारों का अपना-अपना मत है। कोई दूसरों पर मादक पदार्थ लगाने की दलील देता है तो कोई पकड़े गए नशेडिय़ों को नशे की डोज देने की लेकिन इसकी असलियत ये ही है कि पुलिस पकड़े गए माफिया पर कम मात्रा में मादक पदार्थ लगाकर उसकी जल्द जमानत होने के लिए करती है। इसके बदले जेल से छूटने के बाद माफिया पुलिस की इनफार्मर बन जाता है।

बड़े माफिया पकड़ से दूर
काकादेव निवासी नशीले पदार्थ के तस्कर दो सगे भाई सुशील और उसका भाई दोनों पुलिस की पकड़ से दूर हैैं। पुलिस दो बार इनके घर में दबिश दे चुकी है लेकिन पुलिस चौकी से मिली इनफार्मेशन के बाद सुशील और उसका भाई फरार हो गया था।

Posted By: Inextlive