नगर निगम इम्प्लाइज का अजब खेल है. दो साल के एरियर के साथ हाउसटैक्स का बिल बढ़ाकर तो पांच से 10 गुना तक बढ़ा दिया लेकिन सभी प्रॉपर्टी ओनर्स को बिल की हार्ड कॉपी घर तक नहीं पहुंचा सके हैं. जबकि हाउस टैक्स पर मिलने वाली 10 परसेंट छूट की समय सीमा आज यानि 31 अगस्त को खत्म हो रही है. सवाल ये है कि जब लोगों को बिल ही नहीं मिलेंगे तो छूट का लाभ कैसे लेगा? यह आरोप खुद पार्षद भी लगा रहे हैं. हालांकि नगर निगम के ऑफिसर सभी प्रॉपर्टी ओनर्स को बिल के मैसेज भेजे जाने के दावे कर रहे हैं. इसी महीने ही करीब करीब एक लाख लोगों हाउस टैक्स बिल के मैसेज भेजे जाने का दावा किया है.

कानपुर(ब्यूरो)। नगर निगम इम्प्लाइज का अजब खेल है। दो साल के एरियर के साथ हाउसटैक्स का बिल बढ़ाकर तो पांच से 10 गुना तक बढ़ा दिया लेकिन सभी प्रॉपर्टी ओनर्स को बिल की हार्ड कॉपी घर तक नहीं पहुंचा सके हैं। जबकि हाउस टैक्स पर मिलने वाली 10 परसेंट छूट की समय सीमा आज यानि 31 अगस्त को खत्म हो रही है। सवाल ये है कि जब लोगों को बिल ही नहीं मिलेंगे तो छूट का लाभ कैसे लेगा? यह आरोप खुद पार्षद भी लगा रहे हैं। हालांकि नगर निगम के ऑफिसर सभी प्रॉपर्टी ओनर्स को बिल के मैसेज भेजे जाने के दावे कर रहे हैं। इसी महीने ही करीब करीब एक लाख लोगों हाउस टैक्स बिल के मैसेज भेजे जाने का दावा किया है।

119 करोड़ रुपए
नगर निगम ने फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए 500 करोड़ रुपए का रेवेन्यू टारगेट रखा है। 31 जुलाई तक हाउस टैक्स बिल जमा करने पर 10 परसेंट की छूट दी गई। हालांकि बाद में बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया है। बावजूद इसके अब तक लगभग 119 करोड़ ही टैक्स वसूल कर सके हैं। 4.50 लाख हाउस होल्डर्स में से करीब 1.20 लाख लोगों ने ही हाउस टैक्स जमा किया है। इसमें से ज्यादातर वह लोग हैं, जिनके वार्ड में जीआईएस सर्वे नहीं होने के कारण हाउस टैक्स नहीं बढ़ा है या फिर बिल संशोधित कर दिया गया है।

पार्षद भी लगा रहे आरोप
पार्षदों के मुताबिक, टैक्स जमा न होने की एक बड़ी वजह लोगों के घरों में हाउस टैक्स बिल न पहुंचना भी है। नगर निगम के इम्प्लाइज हाउस टैक्स बिल का सेलफोन पर मैसेज भेजने और छूट के भरोसे ही बने रहे। हालांकि जिनके बिल सही थे, उन्होंने 10 परसेंट छूट लेते हुए टैक्स जमा कर दिया, जिनके बिल अधिक हैं। वह चेक करके शिकायत करने के लिए बिल की हार्ड कॉपी का इंतजार कर रहे हैं। पार्षद हाजी सुहेल, नवीन पंडित, शुभम वर्मा, शालू कनौजिया, पार्षद पति अर्पित यादव ने आरोप लगाया गया वार्ड में हाउस टैक्स अभी बिल पूरी तरह से नहीं बटे हैं।

70 परसेंट के गलत बिल
29 मई को तत्कालीन म्यूनिसिपल कमिश्नर शिवशरणप्पा की अध्यक्षता में रेवेन्यू वसूली को लेकर मीटिंग हुई थी। मीटिंग में कम वसूली पर म्यूनिसिपल कमिश्नर ने नाराजगी जताई थी। आईटी मैनेजर अमृत योजना आशुतोष सिंह ने बताया था कि जीआईएस कम्पनी नेसर्वे की गई 70 परसेंट प्रॉपर्टीज गलत बिल बना दिए गए, जिन्हें वापस कर दिया गया है। इसके बाद भी बिलों को घर पहुंचाने में लेटलतीफी की गई।

बड़े टैक्स पेयर्स को मिलता है बिल
पार्षदों का कहना है कि रेवेन्यू इंस्पेक्टर के पास हाउस टैक्स बिल घर-घर पहुंचाने की जिम्मेदारी होती है। लेकिन वह बड़े टैक्स पेयर्स, कॉमर्शियल व इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टीज वालों को बिल पहुंचाने में प्रायोरिटी देते हैं। जिससे बड़े एमाउंट जमा होने से उनका टारगेट पूरा हो सके। उन्होंने बताया कि कि ज्यादातर लोग खुद ही रेवेन्यू इंस्पेक्टर के पास जाकर अपना बिल पता करते हैं और जमा करते हैं। जिससे 10 परसेंट की छूट मिल सके।

Posted By: Inextlive