Kanpur News: फेस्टिवल के आते ही तत्काल कोटे की टिकटों में शुरु हो गई सेंधमारी
कानपुर (ब्यूरो)। फेस्टिवल सीजन के आते ही रेल टिकट दलालों ने रेलवे की तत्काल कोटे की टिकटों में सेंधमारी करना शुरू कर दिया है। ऐसे में आप जो टिकट बुक कर रहे हैं, वो वेटिंग में जा रहा है। जबकि दलालों का टिकट कंफर्म हो चुका है। यह बातें हम ऐसे ही नहीं कह रहे हैं। दरअसल, दो दिन पहले ही सेंट्रल स्टेशन पर आरपीएफ और आरपीएफ की सीआईबी &खूफिया&य विंग की टीम ने एक दलाल के पास से कंफर्म रेल टिकट बरामद की हैं। पूछताछ में आरपीएफ को कई और दलालों के सुराग मिले हैं, जिनको फेस्टिवल से पहले सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए आरपीएफ ने अपनी कमर कस ली है।
विंडो की वीडियों रिकार्डिंग
आरपीएफ आफिसर के मुताबिक कानपुर सेंट्रल स्टेशन समेत छोटे स्टेशनों के तत्काल टिकट विंडो में आरपीएफ सिपाही की तैनाती की जाएगी। जिसकी रिकार्डिंग भी आरपीएफ स्टॉफ करेगा। जिससे तत्काल टिकटों की लाइन में लगने वाले दलालों के गुर्गों को चिन्हित कर दबोचा जा सके। वहीं कानपुर सेंट्रल स्टेशन में रिजर्वेशन हॉल में लगे सीसीटीवी कैमरे से कंट्रोल रूम से निगरानी कर जाएगी। जिससे तत्काल टिकटों में सेंधमारी करने वालों पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जा सके।
फर्जी आईडी से एडवांस बुकिंग
प्रयागराज रीजन के आरपीएफ कमांडेंट विजय पंडित ने बताया कि पकड़े जाने वाले रेल टिकट दलालों के पास से एक-एक दर्जन फर्जी आईडी बनाकर ऑनलाइन टिकटों की एडवांस बुकिंग कर ली जाती है। यह काम वह फेस्टिवल के दो से तीन सप्ताह पहले कर लेते है। फेस्टिवल में कंफर्म टिकटों की मारा मारी होने पर यह दलाल पैसेंजर्स के मजबूरी का फायदा उठाकर दोगुने रेट में बेच देते हैं। उन्होंने बताया कि नियमानुसार पैसेंजर एक आईडी से एक माह में सिर्फ छह टिकटों की ही ऑनलाइन बुकिंग कर सकता हैं।
आरपीएफ आफिसर्स के मुताबिक कानपुर सेंट्रल स्टेशन, जीएमसी व आरपीएफ की सीआईबी विंग ने संयुक्त से चलाए गए अभियान के तहत बीते 9 माह में 12 से अधिक टिकट दलालों को पकड़ कर जेल भेज चुके हैं। यह दलाल टूर एंड ट्रैवल्स बुकिंग सेंटर खोल कर फर्जी आईडी के माध्यम से टिकटों की एडवांस ऑनलाइन बुकिंग करते थे। जिनके कम्प्यूटर में डिजिटल एवीडेंस भी बरामद हुए थे।
छोटे स्टेशनों पर बड़ा खेल
कानपुर सेंट्रल स्टेशन की अपेक्षा सिटी के छोटे स्टेशनों में तत्काल कोटे की विंडो टिकटों में फेस्टिवल सीजन में अधिक खेल होता है। जिसमें दलाल के गुर्गे सुबह से ही विंडो की लाइन में लग जाते है और चिन्हित पैसेंजर के नाम पर टिकट बनवा लेते हैं। यह गुर्गे लाइन में लगने के लिए दो सौ से पांच सौ रुपए लगते हैं।
कमाई लाखों में, जुर्माना सिर्फ दस हजार
आरपीएफ टिकट दलाल पकड़े जा रहे हैं, लेकिन इस धंधे में इतना मुनाफा है कि दलाल जमानत पर छूटकर आते हैं और नई आईडी से दोबारा कारोबार खोल देते हैं। पकड़े जाने पर तीन साल की सजा व दस हजार रुपये जुर्माना है। जमकर होती है वसूली
दलाल दिल्ली व जम्मू की ट्रेनों में स्लीपर सीट कन्फर्म करवाने के एवज में 300 से 500 रुपये तक लेते हैं, जबकि एसी बोगियों के लिए हजार से 12 सौ रुपये वसूलते हैं। पुष्पक एक्सप्रेस, लखनऊ मेल या एसी एक्सप्रेस में टिकट कन्फर्म करवाने के एवज में मनमाने रेट लिए जाते हैं।
स्लीपर टिकट की बुकिंग पर 20 रुपये प्रति टिकट मिलता है कमीशन
टिकट एजेंटों को स्लीपर टिकट की बुकिंग पर 20 रुपये प्रति टिकट और एसी में 40 रुपये कमीशन मिलता है। जबकि सॉफ्टवेयर से बनवाए गए टिकट पर वे मनमाने रेट वसूलते हैं। दूसरे, आरक्षण केंद्रों पर आम यात्रियों के लिए तत्काल बुकिंग जहां सुबह दस बजे एसी सीटों के लिए व 11 बजे स्लीपर के लिए शुरू होती है, वहीं एजेंटों को सवा दस व सवा 11 बजे बुकिंग की सुविधा मिलती है।
विजय पंडित, कमांडेंट, आरपीएफ, प्रयागराज डिवीजन