जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा हॉस्पिटल में फ्राइडे को बोन मिनरल डेंसिटी यानी बीएमडी जांच में 80 प्रतिशत गर्भवती आस्टियोपीनिया से ग्रसित मिलीं. डॉक्टरों ने सभी को कैल्शियम और विटामिन डी की दवा दी. डॉक्टर्स ने बताया कि इस बीमारी में शरीर पुरानी हड्डी के पुन: अवशोषित होने के साथ ही नई हड्डी का निर्माण नहीं करता है. आस्टियोपीनिया हड्डियों के नुकसान का प्रारंभिक चरण है. जो अनदेखी करने पर आस्टियोपोरोसिस में बदल जाता है.

कानपुर (ब्यूरो)। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा हॉस्पिटल में फ्राइडे को बोन मिनरल डेंसिटी यानी बीएमडी जांच में 80 प्रतिशत गर्भवती आस्टियोपीनिया से ग्रसित मिलीं। डॉक्टरों ने सभी को कैल्शियम और विटामिन डी की दवा दी। डॉक्टर्स ने बताया कि इस बीमारी में शरीर पुरानी हड्डी के पुन: अवशोषित होने के साथ ही नई हड्डी का निर्माण नहीं करता है। आस्टियोपीनिया हड्डियों के नुकसान का प्रारंभिक चरण है। जो अनदेखी करने पर आस्टियोपोरोसिस में बदल जाता है।

बीएमडी जांच कराई गई
विश्व रजोनिवृत्ति दिवस के अवसर गायनिक डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ। रेनू गुप्ता की पहल पर सभी गर्भवती और ओपीडी में आई महिलाओं की बीएमडी जांच कराई गई। साथ ही महिलाओं को ओस्टियोपोरोसिस के बारे में जागरूक किया गया। महिलाओं को हड्डियों को मजबूत करने के लिए नियमित व्यायाम और कैल्शियम युक्त भोजन की सलाह दी गई।

हड्डी टूटने का खतरा
डॉ। रेनू ने बताया कि 40 वर्ष की आयु के बाद 40 प्रतिशत महिलाओं में ओस्टियोपीनिया तथा ओस्टियोपोरोसिस की समस्या हो जाती है। जबकि 65 वर्ष की आयु के बाद 80 प्रतिशत महिलाओं में ओस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डी टूटने का खतरा रहता है। यहां कानपुर मेनोपाज सोसाइटी की संरक्षक डॉ। मीरा अग्निहोत्री, अध्यक्ष डॉ। किरण पांडेय, डॉ। नीना गुप्ता, डॉ। सीमा द्विवेदी, डॉ। पाविका लाल, डॉ। ऊरुज जहान, डा। शैली आदि रहीं।

Posted By: Inextlive