स्टैैंड संचालक और पुलिस के बीच एक शब्द का इस्तेमाल किया जाता है वह है &बेगार&य. पुलिस स्टैैंड संचालकों के माध्यम से व्हीकल ड्राइवर्स से बेगार कराती है और उसके बदले स्टैैंड संचालक को पूरी संरक्षण देती है. यही वजह है कि पूरी तरह से अवैध इन स्टैैंड पर आए दिन मारपीट होती है सवारी भरने को लेकर विवाद होता हे टोकन को लेकर भी झगड़ा होता है. सामने पुलिस की पिकेट रहती है या पीआरवी रहती है या चौकी थाना होता है लेकिन कोई स्टैैंड संचालक व्हीकल ड्राइवर और सवारियों के विवाद में नहीं पड़ता है.

कानपुर (ब्यूरो)। स्टैैंड संचालक और पुलिस के बीच एक शब्द का इस्तेमाल किया जाता है, वह है &बेगार&य। पुलिस स्टैैंड संचालकों के माध्यम से व्हीकल ड्राइवर्स से बेगार कराती है और उसके बदले स्टैैंड संचालक को पूरी संरक्षण देती है। यही वजह है कि पूरी तरह से अवैध इन स्टैैंड पर आए दिन मारपीट होती है, सवारी भरने को लेकर विवाद होता हे, टोकन को लेकर भी झगड़ा होता है। सामने पुलिस की पिकेट रहती है या पीआरवी रहती है या चौकी थाना होता है, लेकिन कोई स्टैैंड संचालक, व्हीकल ड्राइवर और सवारियों के विवाद में नहीं पड़ता है। पुुलिस की शह की वजह से ही स्टैैंड संचालकों के हौसले बुलंद हैैं और पूरे शहर में दर्जनों अवैध स्टैैंड लगे हुए हैैं। पुलिस की मांग पूरी करने के बाद ये स्टैैंड संचालक मनमानी करते हैैं। जिसका नतीजा फ्राइडे सुबह हरिकरन सिंह की हत्या के रूप में नजर आया।

हाईकोर्ट ने अवैध स्टैैंड पर लगा रखी है रोक

हाईकोर्ट ने दो साल पहले प्रदेश के सभी अवैध स्टैैंड पर रोक लगाई थी, जिसके बाद सीएम ने आदेश देकर जिलों की पुलिस को स्टैैंड हटाने के लिए कह दिया था। कुछ महीने बीते कमिश्नरेट पुलिस ने अपने हितों को देखते हुए स्टैैंड लगवाने के आदेश दे दिए। जिसके बाद से शहर के तमाम चौराहे अवैध स्टैैंड से गुलजार हो गए और फिर शुरू हो गई एक बार दबंगों की चौराहों पर दबंगई। इन स्टैैंड संचालकों की माने तो उन्हें पुलिस की बेगार के अलावा इलाके के नेताओं की मांगे भी पूरी करनी पड़ती है। इन्ही नेताओं की सरपरस्ती में स्टैैंड संचालक अपनी मनमानी तो करते ही हैैं साथ ही कोई विवाद होने पर अगर पुलिस इन स्टैैंड को हटवाने का मन बनाती है तो नेता जी इनकी थाने से लेकर ऊपर तक पैरवी करते हैैं।

टोकन के नाम पर वसूली

हर स्टैैंड पर टोकन के नाम पर 20 रुपये से लेकर 50 रुपये तक की वसूली चल रही है। कोई भी स्टैैंड ऐसा नहीं है जिसमें 100 से कम व्हीकल हों। इस हिसाब से इन स्टैैंड संचालकों की वसूली बड़ी रकम में होती है। ज्यादातर स्टैैंड इलाके के दबंग और अपराधी ही संचालित कर रहे हैैं। जिसकी वजह से कोई विवाद करने की हालत में नहीं रहता है। हर चौराहे पर स्टैैंड संचालक के गुर्गे डंडा लेकर खड़े रहते हैैं। बिना टोकन मनी दिए अगर व्हीकल में सवारी बिठाई जाती है तो डंडा लिए संचालक का गुर्ग उसे दूर तक खदेड़ कर आता है। विवाद करता है, व्हीकल में डंडा मारकर नुकसान करता है, गाली गलौज करता है, बैठी हुई सवारियां उतार देता है। तमाम ऐसे कारनामे करता है, जिससे सवारी भर रहा व्हीकल ड्राइïवर भाग खड़ा हो।

स्टैैंड में खड़े आड़े तिरछे वाहन बनते हैं जाम की वजह
चौराहों पर आड़े तिरछे वाहन खड़ा करके ड्राइवर सवारी भरते हैैं, स्टैैंड संचालक उनको शह देते हैैं और इन व्हीकल्स की वजह से जाम लगता रहता है लेकिन ये जाम न तो ट्रैफिक पुलिस को दिखाई देता है और न ही थाना पुलिस को। चौराहों पर क्राउड कंट्रोल करने वाले पुलिस कर्मी न तो ट्रै्िरफक कंट्रोल करते हैैं और न ही इन वाहनों को हटवाते हैैं।

Posted By: Inextlive