एक तरफ परिवहन सुविधा के लिए पैसेंजर्स की मांग पर दिन पर दिन बसें बढ़ रही हैं. वहीं उप्र स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन के विकास नगर स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया वर्कशॉप में 131 नई बसें तीन महीने सीएम से हरी झंडी मिलने के इंतजार में खड़ी हैं. यहां बसों पर धूल मिट्टी की परत चढ़ रही है. इन बसों को कब हरी झंडी मिलेगी और कब ये रूट पर उतरकर पैसेंजर्स को सुविधा देंगी अभी कुछ भी तय नहीं है.

कानपुर (ब्यूरो)। एक तरफ परिवहन सुविधा के लिए पैसेंजर्स की मांग पर दिन पर दिन बसें बढ़ रही हैं। वहीं, उप्र स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन के विकास नगर स्थित डॉ। राम मनोहर लोहिया वर्कशॉप में 131 नई बसें तीन महीने सीएम से हरी झंडी मिलने के इंतजार में खड़ी हैं। यहां बसों पर धूल मिट्टी की परत चढ़ रही है। इन बसों को कब हरी झंडी मिलेगी और कब ये रूट पर उतरकर पैसेंजर्स को सुविधा देंगी, अभी कुछ भी तय नहीं है।

बसें भर देतीं खजाना
सोर्सेस के मुताबिक, वर्कशॉप में तैयार खड़ी इन बसों का संचालन यदि लंबे रूट पर होता तो डेली हजारों पैसेंजर्स को राहत मिलती। उन्हें बस के इंतजार में समय खर्च नहीं करना पड़ता। वहीं प्रत्येक बस से औसतन दस हजार यानी 131 बसों से तीन माह में 1.18 करोड़ रुपये की इनकम रोडवेज को होती। यानि ये बसें रोडवेज का खजाना भी भर देंतीं। अब भी परिवहन निगम की वर्कशॉप के जीएम के पास बसों के संचालन को लेकर कोई प्लान तैयार नहीं है।

अवगत करा चुके हैं
वर्कशॉप के अधिकारी ने बताया कि परिवहन निगम के कानपुर रीजन में वर्तमान में 485 बसों का बेड़ा है। इनमें 84 बसों को कंडम करने की प्रक्रिया चल रही है। क्योंकि ये बसें 11 लाख किलोमीटर का सफर तय कर चुकी हैं। हाल ही में लखनऊ में सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ उप्र के प्रतिनिधिमंडल ने परिवहन निगम के प्रमुख सचिव को वार्ता के दौरान पैसेंजर्स को बेहतर परिवहन सुविधा न मिलने, स्पेयर पाट््र्स और ड्राइवर व कंडेक्टर का अभाव दूर करने, संविदा ड्राइवर व कंडेक्टर के श्रमिक निगम बोर्ड के निर्णय के अनुसार न होने सहित अन्य मुद्दों से अवगत करा चुके हैं.वर्कशॉप में खड़ी 131 बसों का संचालन न होने के मुद्दे पर मुख्य प्रधान प्रबंधक राजीव आनंद का पक्ष जानने के लिए उन्हें कई बार कॉल की गई और वाट्सएप मैसेज भी किया गया लेकिन लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
अधिकारियों के सामने उठाएंगे मुद्दा
त्रिलोकी व्यास, प्रदेश अध्यक्ष, सेंट्रल रीजनल वर्कशाप कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष त्रिलोकी व्यास ने बताया कि राजस्थान की निजी कंपनी ने तीन माह पूर्व यूपीएसआरटीसी को 131 नई बसें बनाकर दी थीं। सीएम से हरी झंडी दिखवाने के इंतजार में अधिकारियों ने अब तक बसों का संचालन नहीं कराया है। ये बसें अगर रूट पर जातीं तो प्रत्येक बस नियमित औसतन दस हजार रुपये के हिसाब से इनकम कराती। पैसेंजर्स को भी सुविधा मिलती। एक करोड़ से अधिक रेवेन्यू के नुकसान और पैसेंजर्स को हो रही असुविधा पर उच्चाधिकारियों से वार्ता करेंगे।

Posted By: Inextlive