अगर आपके पास किसी अंजान नंबर से फोन कॉल या वाट्सएप कॉल आती है. कॉल करने वाला खुद को पुलिस कस्टम या किसी अन्य बड़ी एजेंसी का अधिकारी बताकर आपको या आपके किसी फैमिली मेंबर के बारे में गलत जानकारी देकर जेल भिजवाने की धमकी देता है तो सावधान हो जाएं. उसकी बातों में कतई न फंसें. क्यों कि यह कोई अधिकारी नहीं है. बल्कि साइबर शातिरों का ठगी का नया पैंतरा है. जिसे नाम दिया गया है डिजिटल अरेस्ट. प्रदेश में इस तरह कई मामले आए चुके हैं

कानपुर (ब्यूरो)। अगर आपके पास किसी अंजान नंबर से फोन कॉल या वाट्सएप कॉल आती है। कॉल करने वाला खुद को पुलिस, कस्टम या किसी अन्य बड़ी एजेंसी का अधिकारी बताकर आपको या आपके किसी फैमिली मेंबर के बारे में गलत जानकारी देकर जेल भिजवाने की धमकी देता है तो सावधान हो जाएं। उसकी बातों में कतई न फंसें। क्यों कि यह कोई अधिकारी नहीं है। बल्कि साइबर शातिरों का ठगी का नया पैंतरा है। जिसे नाम दिया गया है डिजिटल अरेस्ट। प्रदेश में इस तरह कई मामले आए चुके हैं जिसमें डिजिटल अरेस्ट कर लाखों की ठगी की गई। कानपुर क्राइम ब्रांच में पास भी तीन मामले आए हैं।

होमवर्क के बाद करते अटैक
साइबर शातिरों की ओर से डिजिटल अरेस्ट के इस पैंतरे में खास बात है कि इससे किसी लोअर या मिडिल क्लास फैमिली के मुखिया को नहीं बल्कि हाई क्लास लोगों को को फंसाया जा रहा है। ऐसे हाई क्लास लोग जिनके बच्चे दूसरे शहर या फिर विदेश में नौकरी कर रहे हैं या हायर स्टडी। जिनके विदेशों में कॉमर्शियल या फॉइनेंशियल रिलेशन हैैं। क्राइम ब्रांच ऑफिसर्स की मानें तो इस पैतरे को यूज करने से पहले शातिर पूरी तरह से होमवर्क भी कर रहे हैैं। जिस फैमिली को टारगेट करते हैं, रेकी कर उसके बारे में बारीक से बारीक जानकारी कलेक्ट कर लेते हैं। फिर इन्हीं जानकारियों का इस्तेमाल आपको ट्रैप करने के लिए करते हैं।

इस तरह करते &अरेस्ट&य

रिटायर्ड एयरफोर्स अधिकारी ने क्राइम ब्रांच को बताया कि कुछ दिन पहले उनके पास एक अज्ञात नंबर से फोन आया था। कॉलर ने खुद को फेडेक्स कंपनी का कर्मचारी बताते हुए मनी लांड्रिंग में शामिल होने और पार्सल में ड्रग पकड़े जाने की बात कहते हुए धमकाया। ये कहते हुए कॉलर ने कथित मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच में कॉल ट्रांसफर कर दी। क्रॉइम ब्रांच की तरफ से वीडियो कॉलिंग एप डाउनलोड करवाया गया। इसके बाद वीडियो कॉल पर कथित रूप से पूछताछ की गई। बैकग्राउंड में वर्दी में मौजूद कई पुलिस अधिकारी भी दिखाई दे रहे थे।

ऐसे डराते हैं शातिर
पूछताछ के दौरान ही बताया गया कि आपकी आईडी कई गैरकानूनी गतिविधियों ड्रग्स सप्लाई, मनी लांड्रिंग व अन्य जगह उपयोग में लाई गई है। इसके बाद लगातार वीडियो कॉल पर सवाल पूछे गए और रात भर सोने नहीं दिया गया। संगीन धाराओं में केस दर्ज करने और लंबी सजा का डर दिखाया गया। अगले दिन अलग-अलग तरीके से डरा धमका कर दो लाख बत्तीस हजार रुपये खाते में डलवा लिए गए। इसी तरह से रिटायर्ड रेलवे अधिकारी से एक लाख नब्बे हजार और कारोबारी से एक लाख 25 हजार रुपये की ठगी की गई।

आपके खिलाफ गोपनीय जांच चल रही

क्राइम ब्रांच टीम के मेंबर्स ने बताया कि साइबर शातिर बैंक अकाउंट थर्ड पार्टी के माध्यम से कलेक्ट करते हैं। साइबर शातिरों के सहयोगी अकाउंट होल्डर्स को फोन, वाट््सएप कॉल, स्काइप कॉल करके बताते है कि उसके नाम की आईडी से एक पार्सल विदेश भेजा जा रहा था। जिसे मुंबई कस्टम में पकड़ा गया है, जिसमें अवैध मादक पदार्थ, अवैध पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड व बड़े पैमाने पर पैसों का लेनदेन हवाला आदि से संबंधित डिटेल पाया गया है। इसकी जांच मुंबई क्राइम ब्रांच, आरबीआई व अन्य एजेंसियों की संयुक्त टीम गोपनीय रूप से कर रही है। जांच के बारे में किसी को न बताएं, अन्यथा आपका बड़ा नुकसान हो सकता है। इस प्रकार डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करते थे।

6 आरोपियों को किया गिरफ्तार

कुछ दिन पहले ही नोएडा पुलिस ने एक गैैंग का पर्दाफाश किया था, जिसमें किशन गैैंग का नाम सामने आया था। राजस्थान के सीकर जिले में संडे को यूपी पुलिस ने एक बड़ें गैंग का भंडाफोड़ किया है। यूपी पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट गिरोह के 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन सभी पर मादक पदार्थ की तस्करी करने, अवैध पासपोर्ट तैयार करने और धोखाधड़ी की गतिविधियों में शामिल होने समेत लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने जैसे कई आरोप हैं। गैैंग के शातिर लगातार उन अकाउंट की तलाश करते हैैं जो काफी दिनों से बंद चल रहे हैैं।

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट एक ऐसी रणनीति है जहां साइबर अपराधी धोखाधड़ी करने के लिए अपने शिकार को उसी के घर में बंधक बना देते हैं। ये अपराधी अक्सर ऑडियो या वीडियो कॉल कर लोगों के सामने कानून प्रवर्तन अधिकारी के रूप में पेश आते हैं और उनके मन में डर पैदा करते हैं। इस काम को अंजाम देने के लिए वो एआई जनरेटेड आवाज या वीडियो की मदद लेते हैं। गिरफ्तारी का डर दिखाकर आपको आपके घर में ही कैद कर देते हैं। तक अपने वीडियो कॉल के बैकग्राउंड को किसी पुलिस स्टेशन की तरह बना लेते हैं। जिसे देखने वाला व्यक्ति डर जाता है और उनकी बातों में आ जाता है। इसके बाद वह झूठे आरोप लगाते हैं और ऑनलाइन रकम ट्रांसफर कराते हैं। अपराधी इस दौरान आपको वीडियो कॉल से हटने भी नहीं देते हैं और ना ही किसी को कॉल करने देते हैं। दुनियाभर में साइबर अपराध की घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं।

Posted By: Inextlive