Kanpur Crime News: माइनर क्राइम में नहीं आना होगा कोर्ट, बिना वकील मिलेगी जमानत
कानपुर (ब्यूरो)। कानपुराइट्स के लिए राहत वाली खबर है। अब माइनर क्राइम्स में लोगों को कोर्ट के चक्कर नहीं लगाने होंगे। इतना ही नहीं, जमानत के लिए वकील के आगे पीछे नहीं घूमना पड़ेगा। अब शांतिभंग, मारपीट जैसे मामलों की सुनवाई सर्किल के एसपी ऑफिस में होगी। मामले की सुनवाई के बाद यहीं से जमानत भी मिल जाएगी। ऐसे में सरसौल, घाटमपुर और बिल्हौर जैसी दूर की जगहों से कोर्ट आने वालों को काफी राहत मिलेगी।
पेशकर से मिलना होगाशहर में 14 सर्किल हैं। ऐसे में सभी सर्किल के एसीपी अपने ऑफिस में ही मामलों की सुनवाई करेंगे। केस की सुनवाई के दौरान वह वर्दी में नहीं रहेंगे। ये डिसीजन दूर-दराज से आने वाले लोगों को देखते हुए लिया गया है। मामूली धारा (जिनमें निजी मुचलके पर जमानत होती है) एडवोकेट्स की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। संबंधित एसीपी को ऑफिस परिसर में ही बनी कोर्ट के पेशकार से मिलना होगा। वह सारे कागज तैयार करा देगा और कम समय में निजी मुचलके पर जमानत हो जाएगी।
फर्जी जमानतगीरों का नेक्सस टूटेगापुलिस अधिकारियों का मानना है कि ये प्रक्रिया लागू होने से घाटमपुर, महाराजपुर, कल्याणपुर और बिल्हौर सर्किल के रहने वालों की दौड़ और समय बचेगा। जमानतगीर की जरूरत न होने पर फर्जी जमानतगीर का नेक्सस टूटेगा। कानपुर कमिश्नरेट के इलाके में रहने वाले एडवोकेट्स की मनमानी वसूली से बचेंगे। वहीं एक व्यक्ति को सर्किल से लाने में दो पुलिसकर्मियों की जरूरत पड़ती थी। यह प्रक्रिया लागू होने के बाद से मुल्जिम ड्यूटी में लाने वाले पुलिसकर्मी लॉ एंड ऑर्डर की ड्यूटी मेंटेन करने में काम आएंगे। वहीं, कोर्ट में बिना वर्दी के अधिकारी को देखकर आम आदमी में दहशत कम होगी और वह अपनी बात कह सकेगा।
पूरी कोर्ट में लगाया जाएगा सीसीटीवी कैमरा पुलिस पर कोई आरोप न लगे और पूरा प्रॉसेस ट्रंासपेरेंट रहे, इसलिए सभी एसीपी कोर्ट में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए गए हैैं, हालांकि सभी एसीपी ऑफिस में पहले से सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैैं। इन कैमरों का एक्सस एसीपी, एडीसीपी, संबंधित डीसीपी और सीपी के पास रहेगा और इसकी रिकॉर्डिंग भी तीन महीने तक रखी जाएगी। हर शिकायत फीडबैक डेस्क परपुलिस कमिश्नर ने बताया कि कमिश्नरेट के सभी थानों में आने वाली शिकायतें या किसी भी तरह पुलिस तक पहुंचने वाली हर शिकायत की कॉपी फीडबैक डेस्क पर दी जाएगी। इससे कंपलेंट मॉनीटरिंग की जाएगी। फीडबैक सेल के पुलिसकर्मी पीडि़त से बात कर उसकी शिकायत का फीडबैक लेंगे और उससे पुलिस कर्मी के व्यवहार की जानकारी की जाएगी। अगर किसी पुलिसकर्मी का व्यवहार खराब पाया जाएगा तो उसके खिलाफ सस्पेंशन के साथ ही विभागीय कार्रवाई की संस्तुति भी की जाएगी। यही प्रक्रिया थाने आने वाले हर शिकायतकर्ता की होगी। हर शिकायत आईजीआरएस पर डाली जाएगी जिससे शिकायतों का गुणवत्तापूर्ण निस्तारण हो और शासन तक कानपुर कमिश्नरेट की कार्रवाई की जानकारी हो।
पहले ये था प्रॉसेसअब तक पुलिस लाइन में कोर्ट लगती थी। यहां अलग-अलग एसीपी की ड्यूटी लगती थी। दूर के सर्किल से दो पुलिसकर्मी आरोपियों को लेकर आते थे। एडवोकेट जमानत के लिए कोर्ट में आते थे। बेल मंजूर होने के बाद दो जमानतगीरों का इंतजाम करना पड़ता था। कोर्ट में मौजूद एसीपी अगर जमानत मंजूर कर देते थे तो आरोपी अपने घर चले जाते थे। क्रिमिनल हिस्ट्री के आधार पर 14 दिन तक जेल भी भेज दिया जाता था। इस पूरी प्रक्रिया में एडवोकेट्स अपनी मनमानी फीस वसूलते थे। 2000 रुपये जमानत के कागज तैयार कराने में लगते थे। बीते छह महीने में शांति भंग और मामूली मारपीट और गाली गलौज के मामले में 6000 लोगों पर कार्रवाई की गई थी, जिनमें 300 लोगों को जेल भेजा गया था।
सभी सर्किल के एसीपी अपने इलाके में ही छोटे अपराधों की सुनवाई करेंगे। नए नियमों से सभी एसीपी को अवगत करा दिया गया है।
अखिल कुमार, पुलिस कमिश्नर कानपुर कमिश्नरेट