कानपुर की होली जिस तरह पूरे देश में मशहूर है ठीक उसी तरह यहां का गुलाल भी क्वालिटी में नंबर वन है. इस बार कानपुर की फैक्ट्रियों में बना गुलाल मथुरा वृंदावन बरसाने आदि क्षेत्र में जबरदस्त सप्लाई हो रहा है. ये गुलाल होली के दिनों में पूरे ब्रज क्षेत्र की गलियों में उड़ता नजर आएगा. गुलाल बनाने में देश की तीन बड़ी मंडियों में कानपुर एक बड़ा हब माना जाता है और क्वालिटी के मामले में नंबर एक है. जैसे-जैसे होली नजदीक आती हैै रंग बनाने का काम भी तेज हो जाता है. होली के आने से एक महीना पहले से ही गुलाल बनाने का काम शहर के कई हिस्सों में बनी फैक्ट्रियों में शुरू हो चुका है. यहां से सिर्फ कानपुर ही नहीं बल्कि बिहार मध्य प्रदेश राजस्थान असोम समेत कई राज्यों में गुलाल की सप्लाई होती है. कानपुर से गुलाल का कारोबार कितना जुड़ा है? यहां से कितना कारोबार है? किन-किन जगहों पर सप्लाई होता है? क्या क्वालिटी होती है? यहां बनाया गया गुलाल कितना सेफ है? इन सब सवालों का जवाब लेते हुए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने एक खास रिपोर्ट तैयार की है जिसे पढ़ कर आप भी जान सकेंगे कि कानपुर वाकई &रंग&य बाज है.

कानपुर (ब्यूरो) दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम गंगापुर पहुंची, यहां चारों तरफ बड़े-बड़े प्लाटों में सिर्फ गुलाल ही गुलाल धूप में सुखता नजर आ रहा था। हजारों क्विंटल एक साथ गुलाल बन रहा था, चारों तरफ वर्कर काम कर रहे थे। पूछने पर पता चला कि एक दिन में लगभग 1800 किलो गुलाल बनाया जा रहा है। इतनी बड़ी क्वांटिटी में काम होने का मतलब था कि यहां के गुलाल की डिमांड ज्यादा होना। गुलाल बना रहे सुरेन्द्र ने बताया कि कानपुर का गुलाल सिर्फ यूपी ही नहीं, कई अन्य राज्यों में भी विख्यात है। इसकी वजह है कि यहां के रंग में आरारोट कलर के क्वांटिटी के हिसाब से मिलाया जाता है, जो हमारी सेहत को नुकसान न पहुंचाए। फरवरी के पहले सप्ताह से गुलाल बनाने का काम शुरू कर दिया गया था, जो एक मार्च तक चलेगा।
क्वालिटी काफी अच्छी मानी जाती
शहर में लगभग 15 कारोबारी हैं, जो रंग और गुलाल बना कर थोक व फुटकर में खुद बिक्री करते हैं। इसके अलावा शहर के कई मार्केट में दुकानों में भी इसका कारोबार होता है। गुलाल बनाने वाले सुरेन्द्र ने बताया कि आरारोट से गुलाल बनाए जाने की वजह से यहां की क्वालिटी अन्य जगह से काफी अच्छी मानी जाती है। यही वजह है कि कानपुर का गुलाल पूरे देश में एक अलग पहचान बनाता है। इतना ही नहीं, पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान आदि जगहों तक यह गुलाल जाता है। इसके लिए दूसरे राज्यों के कारोबारी थोक में गुलाल खरीदने वसंतपंचमी से शहर आने लगते हैं।

ए से बनाए जाता कानपुर में गुलाल
गुलाल- आरारोट की क्वांटिटी के हिसाब जिस रंग का गुलाल बनाना होता है वह रंग मिलाया जाता है फिर इसमें जरूरत के हिसाब से पानी मिला कर मिक्सर मशीन से कई घंटे मिक्स किया जाता है। इसके बाद इस मिश्रण को धूप में सुखाया जाता है। कई घंटे धूप में सूखने के बाद रंग बिरंगा गुलाल तैयार हो जाता है। वर्षो पूर्व गुलाल गुलाबी और हरे रंग का ही मिलता था, लेकिन अब यह लाल, पीला, नीला, केसरिया, फिरोजी, बैंगनी, धानी रंग में भी बनाया जाने लगा है।
देश की तीन बड़ी गुलाल मंडी
कानपुर
हाथरस
बनारस
इन-इन जगहों पर जाता है गुलाल
मध्य प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, बिहार, राजस्थान, पंजाब, असोम समेत दस से अधिक राज्यों में

इन-इन जगहों पर बनता गुलाल
गंगापुर, नौबस्ता,
मसवानपुर, पनकी, बर्रा
यह भी जान लीजिए
- 01 महीने पहले से शुरू होता गुलाल बनाने का काम
- 10 राज्यों में कानपुर से सप्लाई होता है गुलाल
- 1800 किलो रोजाना बन रहा गुलाल
- 15 से अधिक कारोबारी करते हैं गुलाल का कारोबार
- 01 हजार टन से ज्यादा होती है गुलाल की सप्लाई
- 100 करोड़ के करीब कुल बिजनेस होता है
कोरोना काल के बाद दाम बढ़े
जो गुलाल 2020 में 55 रुपए बिक रहा था वह अब बढ़ कर 65 रुपए किलो हो गया है। यानी दो साल में 10 रुपए की बढ़ोत्तरी हो गई। दुकानदारों का कहना है कोरोना काल के बाद लेबर व रंगों के दाम बढ़ जाने से यह वृद्धि हुई है।


चार साल में गुलाल के रेट
2020--- 55 रुपए
2021--- 45 रुपए
2022----50 रुपए
2023----65 रुपए
(नोट- रेट होलसेल में प्रति किलो)

Posted By: Inextlive