फर्जी दस्तावेज से 32 साल तक की नौकरी
कानपुर (ब्यूरो) केस्को के मीडिया प्रभारी सीएसबी अंबेडकर ने बताया कि मूलरूप से प्रतापगढ़ के कमौली निवासी संतोष पुत्र दुलारे ने 1989 में नौकरी ज्वाइन की थी। उसे रिटायर्ड पेंशनर आश्रित योजना के तहत नौकरी दी गयी थी, जबकि उसका वास्तविक नाम अशोक कुमार यादव पुत्र शिवदुलारे है और वह दुलारे का सगा भतीजा है। आरोपी जिसका वास्तविक नाम अशोक कुमार है, उसने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बावजूद वास्तविक नाम छुपाने के लिये संतोष पुत्र दुलारे के नाम से दोनों परीक्षाएं दोबारा दी जिसमें वह फेल भी हो गया। इतना ही नहीं उसने वास्तविक नाम छुपाने के लिये 1995 में इसी नाम से मतदाता पहचान पत्र भी बनवाया। मामले को लेकर रिटायर्ड पेंशनर दुलारे ने प्रतापगढ़ में मुकदमा दर्ज कराते हुए संतोष को अपना भतीजा बताया तो विजिलेंस की जांच हुई, जिसके बाद उसे बर्खास्त कर दिया गया था।
आरोपी के खिलाफ केस दर्ज
हालांकि आरोपी हाईकोर्ट से विभागीय जांच कराने का आदेश ले आया तो दोबारा नौकरी ज्वाइन कर ली। मीडिया प्रभारी ने बताया कि 2016 में तत्कालीन एमडी ने संतोष बने अशोक को बर्खास्त करने को कहा लेकिन वह नौकरी करता रहा। 2018 में जांच दोबारा शुरू की गई, जिसके बाद तत्कालीन केस्को एमडी के आदेश के बाद पिछले महीने उसे बर्खास्त कर दिया गया। एसीपी स्वरूप नगर मृगांक शेखर पाठक ने बताया कि पुलिस आयुक्त के आदेश पर आरोपी के खिलाफ कूटरचित दस्तावेजों से धोखाधड़ी करने में रिपोर्ट दर्जकर कार्रवाई की जा रही है।
तीन साल बाद रिटायरमेंट
मीडिया प्रभारी सीएसबी अंबेडकर ने बताया कि संतोष बने अशोक यादव को तीन साल बाद रिटायर होना था वह दुलारे का भतीजा है, जबकि दुलारे का जो वास्तविक बेटा संतोष है वह दिव्यांग है। केस्को एमडी के आदेश पर पिछले महीने उसे बर्खास्त कर दिया गया था।