kanpur : दुर्दात विकास दुबे की काली कमाई को इंवेस्ट करने वाला उसका खंजाची यानि जय बा

- गलत कामों को अंजाम देने के लिए गाडि़यों में 10 फर्जी नंबर प्लेट बदल बदल कर यूज करता था जय बाजपेई

- सचिवालय के फर्जी पास मामले में पुलिस ने रिमांड पर लेकर की पूछताछ, ग्रीन बेल्ट से बरामद कराई नंबर प्लेट

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KANPUR : दुर्दात विकास दुबे की काली कमाई को इंवेस्ट करने वाला उसका खंजाची यानि जय बाजपेयी बेहद शातिर है। बिकरू कांरू के बाद विकास दुबे को फरार होने में मदद करने का आरोपी जय आपराधिक वारदातों को अंजाम देने के लिए विकास की काली कमाई से खरीद गई लग्जरी कारों का यूज करता था। लोगों की निगाह और पुलिस से बचने के लिए वह एक दो नहीं बल्कि 10 फर्जी नंबर की प्लेट इस्तेमाल करता था। पुलिस को गच्चा देने के लिए वह बार-बार गाड़ी की नंबर प्लेट बदलता रहता था। कार में सचिवालय का फर्जी पास लगाने के मामले में फ्राइडे को काकादेव पुलिस ने जय को 9 घंटे की रिमांड पर लिया तो यह सच सामने आया। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर विजय नगर चौराहे के पास ग्रीन बेल्ट से कार की 10 अलग-अलग फर्जी नंबरों की नंबर प्लेट बरामद कीं। हैरानी की बात ये है कि वारदात के 116 दिन बाद भी नंबर प्लेटें सुरक्षि्ात मिलीं।

4 जुलाई को बरामद

2 जुलाई की रात दहशतगर्द विकास दुबे और उसके साथियों ने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। 4 जुलाई की सुबह काकादेव पुलिस ने विजय नगर चौराहे के पास लावारिस खड़ी तीन लग्जरी कारें बरामद की थीं। जांच में पता चला था कि ये तीनों कारें विकास दुबे के गुर्गे जय बाजपेई की हैं। इस पर सचिवालय का फर्जी पास लगा था। पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज किया था। इसी के तहत पुलिस ने फ्राईडे को जय बाजपेई को रिमांड पर लिया।

अपराध करने के लिए होता था कारों का यूज

काकादेव इंस्पेक्टर आरबी सिंह ने बताया कि जय की निशानदेही पर विजयनगर में ग्रीन बेल्ट से 10 फर्जी नंबर प्लेटें बरामद की गईं हैं। कारों में बदल-बदल कर इन नंबर प्लेट का इस्तेमाल जय करता था। खासकर तब जब किसी आपराधिक वारदात में शामिल होता था। तीन चार घंटे की पूछताछ के बाद पुलिस ने उसको वापस जेल भेज दिया। करीब 4 महीने के बाद सड़क किनारे सभी नंबर प्लेटों का मिलना भी चौंकाने जैसा ही है।

जो हो गया सो हो गया

बिकरू कांड के बाद जब पुलिस ने जय को जेल भेजा था तब दावा किया था कि जय विकास का खास है। वारदात के एक दिन पहले विकास को उसने 2 लाख रुपए और 25 कारतूस उपलब्ध कराए थे। वहीं अपनी तीनों कारों से उसने विकास व उसके साथियों को फरार कराया था। मगर पुलिस के डर से कारें रास्ते में छोड़ दी थीं। अब जब रिमांड के दौरान पुलिस ने जय से इस संबंध में पूछताछ की आखिर विकास से कैसे सांठगांठ की थी और कैसे फरार कराने की साजिश रची तो उसने ज्यादा कुछ नहीं कहा। उसने कहा कि अब क्या कहें, जो हो गया सो हो गया।

वारदात में हाथ नहीं कबूला

पुलिस ने तीन चार घंटे तक थाने में जय से पूछताछ की। फर्जी पास और विकास दुबे को लेकर पुलिस ने सवाल किए। पुलिस सूत्रों के मुताबिक जय ने बताया कि उसका विकास से परिचय था। कई बार मिला था। मगर उसने वारदात में शामिल होने की बात से इंकार कर दिया। उसका ये भी कहना था कि विकास से परिचय होने के कारण उसे आशंका थी कि पुलिस उसको परेशान करेगी, इसलिए कारें उसने दूसरी जगह खड़ी करवा दी थीं। लेकिन, ये पुलिस के गले नहीं उतरा।

''जय बाजपेई को कस्टडी रिमांड पर लेकर कार की नंबर प्लेटें बरामद की गई हैं। दस नंबर प्लेट मिली हैं। जो फर्जी हैं। इनका इस्तेमाल जय करता था। पूछताछ में जो जानकारियां मिली हैं, उस आधार पर आगे तफ्तीश की जा रही है.''

-डॉ। अनिल कुमार, एसपी पश्चिम।

Posted By: Inextlive