ट्यूनीशिया चुनावों में इस्लामी पार्टी की जीत का दावा
आधिकारिक नतीजे हालाकि मंगलवार को घोषित किए जाएंगे, लेकिन शुरुआती नतीजे इस तरफ़ इशारा करते हैं कि इन्नहदा को सबसे ज़्यादा वोट मिलेंगे लेकिन फिर भी वो पूर्ण बहुमत नहीं पा सकेगा।
इन्नहदा की मुख्य प्रतिद्वंदी पीडीपी से पहले ही अपनी हार स्वीकार कर ली है। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने भी रविवार को होने वाले चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष बताया था।ट्यूनीशिया के पूर्व राष्ट्रपति ज़ैनुल आबिदिन बिन अली को नौ महीने पहले जन आंदोलन के दबाव में सत्ता छोड़ना पड़ा था जहां वो पिछले 23 वर्षों से कुर्सी पर बैठे हुए थे। लेकिन अपने पूर्वी पड़ोसी लीबिया के ठीक विपरीत, ट्यूनीशिया में निरंकुश शासन तंत्र से प्रजातंत्र की तरफ़ सत्ता परिवर्तन शांतिपूर्वक तरीक़े से हुआ।इन्नहदा के नेताओं ने यक़ीन दिलाया है कि वे बहुदलीए धर्मनिरपेक्ष प्रजातंत्र में विश्वास रखते हैं इस्लामी राज्य में नहीं। पार्टी की एक प्रवक्ता युसरा गन्नौची ने कहा, ''ट्यूनीशिया मे लोगों ने उन पार्टियों के पक्ष में मतदान किया है जो तत्कालीन राष्ट्रपति बिन अली की तानाशाही के ख़िलाफ़ और प्रजातंत्र के लिए जारी संघर्ष का हिस्सा रहें हैं.''
ट्यूनीशिया में 217 सदस्यों वाले संविधान सभा के गठन के लिए रविवार को चुने हुए थे। ये संविधान सभा देश के लिए नया संविधान बनाने के अलावा एक अंतरिम राष्ट्रपति का भी चयन करेगा। अंतरिम राष्ट्रपित फिर नई सरकार का गठन करेंगे।
चुनाव आयोग के महासचिव ने कहा कि ट्यूनीशिया के कुल 41 लाख पंजीकृत वोटरों में से लगभग 90 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था। लगभग 100 से भी ज्यादा पार्टियों ने और कई आज़ाद उम्मीद्वारों ने चुनाव में भाग लेने के लिए ख़द को पंजीकृत कराया था।सैंकड़ों विदेशी पर्यवेक्षकों ने चुनावों की निगरानी की थी और अब वे मतगणना में भी पूरी निगरानी कर रहें हैं। अमरीका और ब्रिटेन ने भी शांतिपूर्ण तरीक़े से संपन्न हुए चुनावों के लिए ट्यूनीशिया की तारीफ़ की थी।मोहम्मद बोआजीज़ी, पिछले दिसंबर में जिनके आत्मदाह के बाद ट्यूनीशिया में बग़ावत की लहर दौड़ पड़ी थी, उनकी मां ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि अभी होने वाले चुनाव आत्मसम्मान और आज़ादी की सफलता है। उन्होंने आगे कहा , ''आज मैं ख़ुश हुं कि मेरे पुत्र की मौत ने हमें डर और नाइंसाफ़ी का मुक़ाबला करने की हिम्मत दी''।