कोर्ट से आदेश की पत्रावली लेकर फरार होने के मामले में एमएसएमई मंत्री राकेश सचान के खिलाफ एमएम-2 कोर्ट की रीडर द्वारा कोतवाली में दी गई तहरीर के आधार पर चल रही जांच में गवाही पूरी नहीं हो पाई है. पहले दिए वक्त के मुताबिक सात दिन में जांच पूरी हो जानी चाहिए थी. बयान समय से दर्ज न होने की वजह से मुख्य जांच अधिकारी ने अदालत में लगातार छुट्टियों के चलते और सात दिनों का वक्त मांगा है.


कानपुर (ब्यूरो) छह अगस्त को मंत्री राकेश सचान आम्र्स एक्ट के एक मामले में एमएम-2 की अदालत में पेश होने गए थे। एमएम-2 कोर्ट की रीडर कामिनी की ओर से पुलिस को जो तहरीर दी गई, उसमें आरोप लगाया गया कि मंत्री के खिलाफ चल रहे मामले में उन्हें दोषी सिद्ध किया जा चुका था। उनके अधिवक्ता ने पढऩे के लिए आदेश की कॉपी ली और मंत्री व अधिवक्ता कॉपी लेकर फरार हो गए। इस मामले ने तूल पकड़ा तो दो दिन बाद मंत्री ने अदालत के सामने सरेंडर कर दिया था, जहां उन्हें एक साल की सजा सुनाई गई।

14 गवाह में 4 के बयान
मुकदमे से जुड़ी अदालती प्रक्रिया तो समाप्त हो चुकी है, लेकिन पत्रावली लेकर फरार होने की शिकायत पर अभी भी पुलिस जांच कर रही है। इसकी जांच एसीपी कोतवाली अशोक कुमार ङ्क्षसह कर रहे हैं। संयुक्त पुलिस आयुक्त की ओर से दिए गए बयान में दावा किया गया था कि ललिता कुमार बनाम यूपी सरकार के मामले में संज्ञेय अपराध की पुष्टि न होने पर सात दिनों के भीतर जांच कर पुलिस को निर्णय लेने का अधिकार है। 13 अगस्त को सात दिनों की मियाद पूरी हो गई। लेकिन, अब तक 14 चिह्नित गवाहों में केवल चार ने ही बयान दिए हैं। मुख्य जांचकर्ता ने जांच के लिए और सात दिनों का समय मांगा है। तर्क है कि पिछले सप्ताह अधिकांश दिन अदालत बंद रही, इसलिए गवाहों के बयान नहीं हो सके।

Posted By: Inextlive