इंस्पेक्टर का विजनरी प्लान आया काम
- खिड़कियों के शीशे तोड़ने के फैसले ने बचा ली कई जिंदगियां
>kanpur@inext.co.in KANPUR : पूरी बिल्डिंग में धुआं भरा था। इसी बीच स्वरूप नगर इंस्पेक्टर अश्वनी कुमार पांडेय का विजनरी प्लान काम आया। मरीजों का दम न घुटे इसलिए उन्होंने आईसीयू, इमरजेंसी और जनरल वार्ड के कमरों की खिड़कियां तोड़ने का न सिर्फ फैसला लिया बल्कि खुद भी शीशे तोड़ने लगे। घटना कितनी भयावह थी, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पहली और दूसरी मंजिल में फंसे मरीजों को चादर में लपेटकर खिड़कियों के रास्ते बाहर निकालना पड़ा। कमरा खोलते ही फैल गई आगकार्डियोलॉजी के रिकार्ड रूप में आग लगने के बाद जैसे ही कमरा खोला गया आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। रिकार्ड रूम के ठीक सामने एक्सरे रूम है और एक्सरे रूम के दोनों ओर इमरजेंसी वार्ड। रिकार्ड रूम के अंदर आग इतनी भीषण थी कि लपटों से एक्सरे रूम और इमरजेंसी रूम का सामान भी धधकने लगा। सेकेंड फ्लोर तक धुआं भरने लगा। अस्पताल कैम्पस में ब्रिक शीशे लगे हुए थे, इसलिए हथौड़े से उन्हें तोड़ा गया। इसके बाद अस्पताल स्टॉफ व सफाईकर्मियों के साथ तीमारदारों ने मरीजों को खिड़कियों के रास्ते ही बाहर निकाला। बाद में मेट्रो की वाल ¨फगर मशीन के जरिए तीसरी मंजिल में फंसे मरीजों को नीचे उतारा गया।
लगाई जान की बाजी कार्डियोलॉजी संस्थान में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों ने जान की बाजी लगाकर मरीजों को बचाने में मदद की। सफाई कर्मचारी अनिल उर्फ रामभरोसे ने करीब सात से आठ मरीजों को पहली मंजिल की खिड़की से चादर में लपेट कर नीचे उतारा। इस दौरान वह झुलस भी गए। महिला सफाई कर्मचारी मन्नू ने बताया कि जैसे ही उसे अस्पताल में आग लगने की सूचना मिली, उसने वार्ड का दरवाजा बंद कर लिया। बाद में मरीजों को खिड़कियों के रास्ते ही नीचे उतारा गया।